संस्कार आधारित है हमारी नई शिक्षा नीति: रमन मलिक
-दिल्ली की शिक्षा का ढोल पीटने वाली दिल्ली सरकार दे ध्यान
-शिक्षा सिर्फ व्यवसाय के लायक बनाने वाली हो, यह सही नहीं
-देश का सबसे बड़ा छात्रों को टेबलेट वितरण कार्यक्रम हरियाणा में हुआ
Reporter Madhu Khatri
गुरुग्राम। हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। इस दौर में कहीं ना कहीं हमारी शिक्षा के कारण संस्कार पीछे छूट गए हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी देश का गौरव बढ़ाने के लिए संस्कार पैदा करने वाली शिक्षा की तरफ भी ध्यान देें। इसी सोच के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति तैयार हुई है। हरियाणा में मनोहर सरकार ने इसे लागू करने का भी समय 2025 तक रख दिया है। यह कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं वरिष्ठ नेता रमन मलिक का।
मलिक ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता के हरियाणा में ज्ञान मिलता है।
अब्दाली के दिल्ली में शिक्षा के नाम पर धोखा हो रहा है। हरियाणा में देश का सबसे बड़ा टेबलेट वितरण कार्यक्रम किया गया। दिल्ली में किसी अन्य स्कूल की पुरानी फोटो और किसी स्कूल की नई फोटो दिखाकर वाहवाही लूटने का काम केजरीवाल सरकार कर रही है। रमन मलिक ने आम आदमी पार्टी की सरकार से सवाल किया कि दिल्ली में कितने नए कॉलेज खोल दिए, इस पर कभी नहीं बताया। 9वीं पास एमएलए को ट्विटर पर चिल्लाने के लिए छोड़ दिया है। 12वीं पास वल्र्ड क्लास शिक्षा मंत्री जेल में है। मुख्यमंत्री केजरीवाल शायद खुद कोई विभाग संभालने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए उन्होंने कोई विभाग ही नहीं लिया है। रमन मलिक ने कहा कि दिल्ली सरकार अपनी शिक्षा के स्तर को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर देश में खुद को एक मॉडल के रूप में प्रदर्शित करती रहती है। उन्होंने कहा अगर सरकार सिर्फ डिग्री और रोजगार देने वाली शिक्षा की पक्षधर है तो यह सही नहीं है। क्योंकि डिग्री लेकर रोजगार पाना अपने आप में परिपूर्ण नहीं है।
हमें बच्चों को संस्कारवान भी बनाना होगा। हमारे यहां पाश्चात्य संस्कृति बहुत अधिक हावी हो चुकी है। स्कूल, कालेजों के कैंपस से हमें पाश्चात्य संस्कृति को निकालकर फिर से गुरुओं का आदर करने वाली शिक्षा, कैंपस में हवन-यज्ञ से कक्षाओं की शुरुआत करने वाली शिक्षा की तरफ जाना होगा। पाश्चात्य संस्कृति से कहीं अधिक प्रभावी हमारी शिक्षा है, लेकिन इसकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। हमें अपने यहां पाठ्यक्रम में वेदों को भी पढ़ाना होगा,
ताकि बच्चे वहां से रोजगार पाने की सोच वाले नहीं बल्कि संस्कारित होकर निकलें। वे दुनिया में कहीं पर भी जाएं, वे अपने वेदों, पुराणों का वहां जिक्र करें। असली ज्ञानी हम तभी बन सकते हैं जब अपने धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान रखेंगे। हम किताबी ज्ञान को कहीं पर भी सुना नहीं सकते, लेकिन गं्रथों में लिखी बातों से हम हर किसी को संस्कार भी दे सकते हैं, हर किसी को अपनी बातों से प्रभावित भी कर सकते हैं। किसी भी देश की शिक्षा अगर संस्कार देने वाली होगी तो वह देश दुनिया की नजर में सबसे अलग, अहम होगा। प्रदेश में 500 नए स्कूल खोलने का वादा सरकार ने किया है।
रमन मलिक ने कहा किदेश को आगे बढ़ाने के लिए, राष्ट्र निर्माण करने के लिए संस्कारित शिक्षा की जरूरत है। शिक्षा में सामाजिक, राष्ट्रीय दृष्टिकोण भी रखना होगा। भारतवर्ष में 2030 तक नई शिक्षा नीति को लागू करने का समय निर्धारित किया गया है, जबकि हरियाणा ने 2025 तक का समय रखा है। छोटा और शांतिप्रिय राज्य होने के कारण हरियाणा में इस कार्य को तय समय से पूर्व ही पूर्ण किया जाएगा। क्योंकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल एक अच्छी और सच्ची सोच लेकर इस पर काम कर रहे हैं। उनके जहन में यह भी है कि प्राथमिक स्तर पर बच्चों पर किसी तरह से परीक्षाओं का बोझ ना हो। बच्चे सिर्फ खेल-खेल में सीखें।
हरियाणा में 28 हजार आंगनवाड़ी केंद्रों में से 4000 को प्ले-वे स्कूल बना दिया है। यहां प्री-प्राइमरी शिक्षा मिलेगी। बच्चे मानसिक रूप से पढ़ाई के लिए यहां मजबूत बनेंगे। स्कूल की शिक्षा प्रभावी और गुणवत्तापरक हो, इस पर भी सरकार का फोकस है। निजी स्कूलों के साथ मिलकर शिक्षा और शिक्षकों के मिश्रण से सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार के लिए भी सरकार काम कर रही है। रमन मलिक ने कहा कि देश में अब पीएम-श्री स्कूलों को भी शुरू किया जा रहा है। हरियाणा में 135 खंड हैं और हर खंड में 2 पीएम-श्री स्कूल खोलने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। सरकार का यही प्रयास है कि वह सरकारी स्कूलों से ड्रॉप आउट बच्चों को वापस ला सके। सरकारी स्कूलों में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जा सके। हम सबका सहयोग इसके लिए अपेक्षित है।
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