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पर्यारण को बचाना हमारा पहला कर्तव्य है सुरेश तंवर आरडब्लुए प्रधान

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प्रधान संपादक योगेश

वृक्षारोपण व पर्यावरण की महत्त्वता के बारे में जागरूकता अभियान के तहत गुरूग्राम के अशोक विहार में सुरेश तंवर आरडब्लुए प्रधान लोेगो बीच पर्यावरण को बचाने के लिए पौधे रोपण व पौधे वितरण कार्य लगातार कर रहे है लोगो को जागरूक करने कार्य कर रहे है। जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके।


सुरेश तंवर आरडब्लुए प्रधान ने कहा कि हमारे देश भारत की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित तथा विकसित हुई है यह एक तरह से मानव का जीवन सहचर है वृक्षारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहता है वृक्ष अगर ना हो तो सरोवर (नदियां ) में ना ही जल से भरी रहेंगी और ना ही सरिता ही कल कल ध्वनि से प्रभावित होंगी वृक्षों की जड़ों से वर्षा ऋतु का है।
भारत की सभ्यता वनों की गोद मे ही विकासमान हुई है। हमारे यहां के ऋषि मुनियों ने इन वृक्ष की छांव में बैठकर ही चिंतन मनन के साथ ही ज्ञान के भंडार को मानव को सौपा है। वैदिक ज्ञान के वैराग्य में, आरण्यक ग्रंथों का विशेष स्थान है वनों की ही गोद में गुरुकुल की स्थापना की गई थी। इन गुरुकुलो में अर्थशास्त्री, दार्शनिक तथा राष्ट्र निर्माण शिक्षा ग्रहण करते थे इन्ही वनों से आचार्य तथा ऋषि मानव के हितों के अनेक तरह की खोजें करते थे ओर यह क्रम चला ही आ रहा है। पशियो चहकना, फूलो का खिलना किसके मन को नहीं भाता है इसलिए वृक्षारोपण हमारी संस्कृती में समाहित
हमारे भारत देश में जहां वृक्षारोपण का कार्य होता है वही इन्हें पूजा भी जाता है। कई ऐसे वृक्ष है, जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है, जैसे नीमका पेड़, पीपल का पेड़, आंवला, बरगद आदी को शास्त्रों के अनुसार पूजनीय कहलाते है और साथ ही धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष प्रकृति के सभी तत्वों की विवेचना करते हैं। जिन वृक्ष की हम पूजा करते है वो औषधीय गुणों का भंडार भी होते हैं, जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिद्ध होते है। आदिकाल में वृक्ष से ही मनुष्य की भोजन की पूर्ति होती थी, वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन ओर संतुष्टि मिलती है। इसलिए आज सबका पौधे लगाना जरूरी है। जिससे आज हम पर्यावरण को बचाया जा सके।

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