प्रधान संपादक योगेश
आरडब्ल्यूए न्यू पालम विहार के तत्वावधान में एक सभा का आयोजन किया गया . इस आयोजन का मुख्य विषय बिंदु हमारी कॉलोनी के नियमितीकरण के बारे में दो हजार ग्यारह से अभी तक आरडब्ल्यूए व रिशी राज राणा द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में एवं उन प्रयासों से प्राप्त परिणामो से अपने कॉलोनी वासियों को अवगत करवाया। रिशी राज राणा जी ने बताया कि जब सन 2011 में वह पार्षद बने तो सबसे पहले सदन से उन्होंने गुड़गांव की अनियमित कॉलोनियों को नियमित कराने का प्रस्ताव पास कराया।
जिसमें हमारे वार्ड की पूरी कॉलोनियों के नाम थे। प्रस्ताव पास होते ही गुड़गांव के निगम डिविजनल कमिश्नर ने न्यू पालम विहार कॉलोनी का नाम नियमित करने के लिए रिकमेंड किया क्योंकि हमारी कॉलोनी में 50% से ज्यादा कंस्ट्रक्शन हो चुका था। जो कि नियमित होने का पहला नियम था। लेकिन फिर भी न्यू पालम विहार कॉलोनी का नाम नियमित कॉलोनियों की लिस्ट में नहीं आया सन 2013 में हरियाणा मैनेजमेंट ऑफ सिविक एमेनिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर रेजिडेंशियल एरिया (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 2013 हरियाणा सरकार द्वारा अनियमित कॉलोनियों के लिए बनाया गया जो पास होने के पैरामीटर को पूरे करती थी लेकिन वहां मूलभूत सुविधाएं नहीं थी.
मूलभूत सुविधा मुहैया कराने के लिए एक्ट 2013 के तहत न्यू पालम विहार आरडब्लूए और ऋषि राज राणा जी ने कई बार प्रशासन और सरकार के पास अपनी मांग रखी परंतु कहीं कोई सुनवाई ना होने पर कानूनी सलाह लेने के बाद एक्ट 2013 के तहत अपनी कॉलोनी वासियों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के लिए माननीय हाईकोर्ट चंडीगढ़ में एक केस फाइल किया। कोर्ट ने सभी तथ्यों का संज्ञान लेते हुए न्यू पालम विहार आरडब्लूए के पक्ष में एक फैसला सुनाया और सरकार को निर्देश दिए कि जब न्यू पालम विहार कॉलोनी एक्ट के सभी नॉर्म्स और पैरामीटर पूरा करती है तो इस कॉलोनी में उचित कार्यवाही करते हुए 3 महीने के अंदर मूलभूत सुविधाएं दी जाए। कोर्ट के ऑर्डर दस्ती होने के कारण सभी अधिकारियों को तुरंत कोर्ट ऑर्डर पहुंचाए गए। ताकि वह तुरंत प्रभाव से अपना कार्य शुरू कर सके।
6 महीने बीत जाने के बाद भी नगर निगम गुड़गांव और अर्बन लोकल बॉडी द्वारा जब कोर्ट के आदेशों की पालना नहीं की गई तो उन्हें कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस भेजा गया। नोटिस का भी जवाब ना मिलने पर यूएलबी डायरेक्टर के खिलाफ कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का केस हाईकोर्ट में न्यू पालम विहार आरडब्लूए द्वारा फाइल किया गया जिसमें माननीय हाईकोर्ट के जज ने स्पष्ट रूप से सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने जानबूझकर देरी की है ताकि 2013 एक्ट की अवधि समाप्त हो जाए। सरकार की लापरवाही के कारण आरडब्ल्यूए को दुबारा कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। सरकार के इस लापरवाही जनक रवैया से कोर्ट ने 50000 का जुर्माना लगाया जोकि न्यू पालम विहार आरडब्लूए को मिला, लेकिन एक्ट 2013 की अवधि समाप्त हो चुकी थी इसलिए सरकार आरडब्ल्यूए के पक्ष में फैसला नहीं कर पाई और यहां के लोगों को मूलभूत सुविधा नहीं दी गई। जब कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के केस में एसीएस द्वारा एफिडेविट न्यू पालम विहार के खिलाफ दाखिल किया
जिसमें उन्होंने मूलभूत सुविधा ना देने का कारण एक तो 1997 का सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर बताया और दूसरा एक्ट समाप्त होने की अवधि बताई। लेकिन एसीएस ने भी अपनी एफिडेविट में माना कि 1997 में जो एक मॉनिटरिंग सेल सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई थी, जिसे हर 6 महीने में अवैध कॉलोनियों की रिपोर्ट हाईकोर्ट में गठित एक स्पेशल बेंच को रखनी थी उस मॉनिटरिंग सेल ने अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं किया। इसीलिए इस तरह की कॉलोनियां बढ़ती गई। एसीएस के उस एफिडेविट के बाद नगर निगम गुड़गांव में एक नई मॉनिटरिंग सेल का गठन हुआ। 2015 में न्यू पालम विहार आरडब्ल्यूएमए ने नई मॉनिटरिंग सेल के सामने अपने सभी तथ्य रखे, सर्वे करवाकर और पूरे वार्ड का लेआउट प्लान भी रखा। मॉनिटरिंग सेल ने अपनी पहली ही मीटिंग में न्यू पालम विहार के पक्ष में एक रिपोर्ट बनाते हुए कहा कि 1997 के टाइम पर कॉलोनी की स्थिति और आज 2015 में कॉलोनी की स्थिति में जमीन आसमान का फर्क है आज यह कॉलोनी पास होने के पूरे पैरामीटर और पूरे नाम फुल फील करती है 54 परसेंट से ज्यादा यहां आबादी है.
पूरी प्लान सुनियोजित तरीके से कटी कॉलोनी है तो मॉनिटरिंग सेल ने कहा कि जहां एक तरफ हम आज छोटी-छोटी un plaaned कॉलोनियों को नियमित कर रहे हैं वही न्यू पालम विहार जो इतनी बड़ी कॉलोनी है अच्छी तरीके से प्लान है। उनको मूलभूत सुविधाएं भी देनी चाहिए और उनको नियमित करना चाहिए। इसी बीच ऋषिराज राणा जी ने आरडब्लूए के बिहाफ़ में एसीएस के उस स्पीकिंग ऑर्डर को दोबारा हाई कोर्ट में चैलेंज किया जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए हमें मूलभूत सुविधाएं देने के लिए मना किया था हाईकोर्ट द्वारा फिर से सरकार प्रशासन व सभी संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा गया। बार-बार कोर्ट द्वारा जवाब मांगने पर भी जब अधिकारी अपना जवाब फाइल ना कर पाए तो एक बार फिर 20/2 /2019 में हाईकोर्ट ने ₹20000 का जुर्माना प्रशासन पर लगाया और उनको एक लास्ट मौका दिया कि वह अपना जवाब फाइल कर सके . इसी बीच 2019 में विधानसभा का चुनाव हुआ
जिसमें बीजेपी और जजपा की संयुक्त सरकार बनी उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जी बने। न्यू पालम विहार आरडब्ल्यूए ने ऋषि राज के माध्यम से उप मुख्यमंत्री जी के समक्ष अपनी कॉलोनी की नियमितीकरण के विषय को रखा। उप मुख्यमंत्री जी ने तुरंत यूएलबी के डायरेक्टर से मीटिंग फिक्स करवाई कोरोना के चलते वह मीटिंग नहीं हो पाई । ऋषि राज जी एक बार फिर से यूएलबी के डायरेक्टर और उप मुख्यमंत्री जी से मिले और अपने वार्ड की स्थिति से अवगत कराया। उप मुख्यमंत्री ने गुड़गांव सीटीपी और DA को तुरंत फोन कर आरडब्लूए से मीटिंग करवाई आरडब्लूए की मीटिंग के बाद उप मुख्यमंत्री जी ने यूएलबी डायरेक्टर अशोक मीना जी से बात कर आरडब्ल्यूए की मीटिंग कराई जिसमें आरडब्ल्यूए ने अपने सभी तथ्यों को अशोक मीणा जी के सामने रखा और मॉनिटरिंग सेल की रिपोर्ट भी उनके समक्ष पेश की।
यूएलबी के डायरेक्टर ने सभी तथ्यों और दस्तावेजों की जांच करते हुए AG को लीगल ओपिनियन के लिए अपनी फाइल भेजी। एजी की लीगल ओपिनियन भी न्यू पालम विहार के पक्ष में रहे और इसी बीच जो एक्ट 2013 मूलभूत सुविधाओं के लिए बना था उसमें 2016 में भी संशोधन हुआ फिर 2020 में संशोधन हुआ फिर 2022 में संशोधन हुआ और कुछ क्लोज जुड़े। 2013 का जो यह एक्ट बार-बार संशोधित होता रहा उसमें कॉलोनी को नियमित करने के जो चार प्रमुख नॉर्म थे कि अगर वह कॉलोनी नगर निगम सीमा के अंदर आती है तो नगर निगम से प्रस्ताव पास होना चाहिए । जो कि 2011 में हमारी कॉलोनी का प्रस्ताव पास हो चुका था। दूसरा नियम था निगम डिविजनल कमिश्नर द्वारा कॉलोनी का नाम रिकमंड होना चाहिए, वो भी दो बार डिविजनल कमिश्नर द्वारा न्यू पालम विहार कॉलोनी का नाम रिकमंड हो चुका था।
तीसरा था कि 50% से ज्यादा आबादी होनी चाहिए तो हमारी कॉलोनी की आबादी 50% से ज्यादा थी और जो सबसे प्रमुख नॉर्म था वह था कि अगर कोई एरिया स्पेशल प्रोविजन एक्ट के तहत डिक्लेयर्ड एरिया घोषित होता है तो उस एरिया में यदि कोई कोर्ट का आर्डर, डिक्री या राज्य का कानून है तो वह उनको मूलभूत सुविधाएं देने से नहीं रोक सकता। एक्ट 2022 अमेंडमेंट हुआ और उसके तहत पूरे हरियाणा से अनियमित कॉलोनियों की रिपोर्ट एक हरियाणा सरकार के पोर्टल में मांगी गई जिसमें न्यू पालम विहार आरडब्ल्यूए ने भी गंगा विहार साईं कुंज, साहिब कुंज EZ, डब्ल्यू जेड, आई जेड, चंदन विहार, निहाल कॉलोनी फेज 1 फेस टू प्रकाश पुरी जॉन और अपने वार्ड की सभी अनियमित कॉलोनियों का सर्वे कराकर अपनी रिपोर्ट पेश की। गुड़गांव की 103 कालोनियों के नाम नियमित होने की लिस्ट में आए इसमें हमारे वार्ड की भी सभी कॉलोनियों का नाम है। एक्ट 2022 में एक क्लोज में अमेंडमेंट करते हुए यूएलबी डायरेक्टर ने सभी टाउन प्लानर्स को निर्देश दिए की अनियमित कॉलोनियों की रजिस्टर्ड आरडब्लूए से उनके क्षेत्र का लेआउट प्लान लेकर उन्हें वेरीफाई किया जाए और
उन्हें वेरीफाई करके उनका नाम नियमित होने के लिए भेजा जाए आज की इस सभा में इसी जानकारी को सभी निवासियों को इसलिए बताया गया ताकि लोग अपनी राजनीति के लिए जो भ्रम फैला रहे थे जिससे कॉलोनी वासी भ्रमित होकर परेशान हो रहे थे वह भरम दूर किया जा सके और उनको सही स्थिति से अवगत कराया जा सके। RWA के महासचिव राम अवतार राणा ने लेआउट प्लान बनाने की जिम्मेदारी ली। सभा मे सभी ने एकमत होकर इस कार्य मे अपना अपना योगदान देने की बात को स्वीकारा। इस अवसर पर आर डब्लू अध्यक्ष किरण कांडपाल, उप प्रधान बृहमपाली, उप प्रधान सत्यवीर मलिक, सह सचिव सुरेंद्र, सह सचिव रविन्द्र, कैशियर रामबाबू शर्मा, कैशियर आर पी सिंह, कैशियर कमल, सी एल दहिया आई ब्लॉक, कमल, अजमेर निहाल कॉलोनी, आर के शर्मा डब्लू जेड, रिषभ डब्लू जेड, आर एन पांडेय, भगत गंगा विहार, राजवीर गंगा विहार, सुरेंद्र पहलवान, बलराज, अरविंद जैन, सुनील, संदीप, के एन शर्मा, बी ड़ी यादव, बलबीर हुड्डा, रमेश राणा, अशोक भाटिया, भरत नैन, आर पी शर्मा, हवा सिंह, एन डी शर्मा, वीरेंद्र यादव, विक्रम शर्मा, निरंजन पांडेय एन ब्लॉक, बी एस यादव, नरेंद्र, रविन्द्र, सज्जन, भगवान दास, कमल, रविन्द्र, चिरंजीलाल, मेवा लाल, सूरत सिंह, बी एम राजदान, सुनील राजदान, हरि सिंह, राजिंदर सहित न्यू पालम विहार कॉलोनी के सैकड़ों निवासी उपस्थित रहे।
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