हाईकोर्ट में दो बड़े मामले: दिव्यांग अभ्यर्थी को नियुक्ति देने के आदेश, अनुकंपा नियुक्ति मामले में किया जवाब तलब
हाईकोर्ट में दो बड़े मामले: दिव्यांग अभ्यर्थी को नियुक्ति देने के आदेश, अनुकंपा नियुक्ति मामले में किया जवाब तलब
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2022 में प्रदेश से बाहर का दिव्यांग प्रमाण पत्र रखने वाले अभ्यर्थियों को चार सप्ताह में नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश राहुल कुमार सहित करीब एक दर्जन अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2022 में अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे थे. याचिकाकर्ताओं ने सामान्य दिव्यांग वर्ग में आवेदन किया था. वहीं उनका यह कहते हुए चयन नहीं किया गया कि उनका दिव्यांग प्रमाण पत्र प्रदेश से बाहर का है. इसके चुनौती देते हुए कहा गया कि दिव्यांगजन अधिनियम केंद्रीय कानून है और संपूर्ण भारत में समान रूप से लागू है. इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने एससी, एसटी या ओबीसी के पद के लिए आवेदन नहीं किया है. उन्होंने सामान्य दिव्यांग वर्ग में आवेदन किया है.
वहीं नियुक्ति देते समय भी उनका मेडिकल होगा. ऐसे में यदि वह दिव्यांग साबित नहीं होते हैं, तो उनका चयन निरस्त हो जाएगा. इसलिए उन्हें नियुक्ति दी जानी चाहिए. जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि भर्ती विज्ञापन में शर्त रखी गई थी कि दिव्यांग वर्ग में आवेदन करने के लिए प्रदेश के सक्षम अधिकारी का ही दिव्यांग प्रमाण पत्र को मान्यता दी जाएगी. याचिकाकर्ताओं के पास प्रदेश से बाहर का दिव्यांग प्रमाण पत्र है. ऐसे में उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने चार सप्ताह में याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति देने के लिए कहा है.
अनुकंपा नियुक्ति लाभ नहीं देने पर जवाब तलब: राजस्थान हाईकोर्ट ने स्थाई पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नहीं देने से जुड़े मामले में प्रमुख महिला एवं बाल विकास सचिव और निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले को याचिका के निर्णयाधीन रखा है. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश उमाशंकर चौरसिया की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता महिला एवं बाल विकास विभाग, बूंदी में एएओ पद पर कार्यरत है. साल 2017 में 52 साल की उम्र में ड्यूटी के दौरान वह दुर्घटनाग्रस्त होकर 80 फीसदी दिव्यांग हो गया. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने स्थाई पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नियम, 2023 लागू किए हैं. इन नियमों के तहत 55 साल से कम उम्र के कर्मचारी के पूर्ण दिव्यांग होने पर उसे निर्योग्यता सेवानिवृत्ति देकर उसके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान किया गया है.
वहीं कार्मिक विभाग ने 2 सितंबर, 2024 को आदेश जारी कर कहा कि कर्मचारी की इन नियमों के लागू होने से पूर्व दुर्घटना हुई हो और यदि मेडिकल बोर्ड की ओर से प्रमाण पत्र इन नियमों के लागू होने के बाद जारी किया गया हो, तो उसके एक साल के भीतर आवेदन करने पर कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकती है. याचिका में कहा गया कि विभाग ने उसका आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि उसकी उम्र 55 साल से अधिक है. जबकि दुर्घटना के समय उसकी उम्र 52 साल थी और उसे मेडिकल बोर्ड से इन नियमों को लागू होने के बाद प्रमाण पत्र मिला है. ऐसे में साल 2023 के नियमों के तहत उसके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए प्रकरण को याचिका के निर्णयाधीन रखा है.
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