एअर इंडिया की डील से अमेरिका में 10 लाख नौकरियां, अब बड़ा सवाल
एअर इंडिया की डील से अमेरिका में 10 लाख नौकरियां, अब बड़ा सवाल- क्या भारत में ऐसे जहाज बनाकर रोजगार नहीं दिया जा सकता?
टाटा ग्रुप की एअर इंडिया ने अमेरिका की बोइंग और यूरोप की एअरबस से 470 विमान खरीदने की डील की है. इसे एविएशन इंडस्ट्री की सबसे बड़ी डील माना जा रहा है. इन 470 में 250 विमान एअरबस से और 220 विमान बोइंग से खरीदे जाएंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इस डील से अमेरिका के 44 राज्यों में 10 लाख से ज्यादा नई नौकरियां पैदा होंगी. ऐसा ही फायदा यूरोप को भी होगा. इस बयान के बाद सवाल उठता है कि क्या भारत में ऐसा नही हो सकता, जिससे लाखों नौकरियां देश में ही पैदा हों? हालांकि, इसके लिए शुरुआती कदम उठ चुके हैं लेकिन अभी हम काफी दूर हैं. पढ़ें ऐतिहासिक डील की पूरी खबर….
डील के तहत एअर इंडिया 220 विमान बोइंग से और 250 विमान एअर बस से खरीदेगी. बोइंग अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी है जो विमान, रॉकेट, सैटेलाइट मिसाइल और टेली कम्युनिकेशन डिवाइस डिजाइन करने के साथ उनकी बिक्री भी करती है. इसी तरह एअर बस भी विमान निर्माण करने वाली यूरोपियन कंपनी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 100 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 8 लाख करोड़ रुपए की ये डील नंबर्स के लिहाज से अब तक की सबसे बड़ी एविएशन डील है.
इस डील से टाटा ग्रुप के प्लान को समझने के लिए हमें एक साल पीछे जाना होगा. 27 जनवरी 2022 को एअर इंडिया ने 69 साल बाद टाटा ग्रुप में घर वापसी की थी. कर्ज में डूबी एअर इंडिया के लिए विस्तारा, इंडिगो, स्पाइस जेट, आकासा जैसी कंपनियों से कॉम्पीट करना बड़ा चैलेंज था. एअर इंडिया ने अपनी एवरेज डेली फ्लाइटस के नंबर बढ़ाए, इंटरनेशनल फ्लाइटस की संख्याओं में 63% तक इजाफा किया और 16 नए इंटरनेशनल रूट्स लॉन्च किए. इसके बाद नवंबर 2022 में बड़ा दाव खेलते हुए टाटा ने सिंगापुर एअर लाइन्स को 25% हिस्सेदारी देते हुए विस्तारा को खुद को शामिल कर लिया. विस्तारा के शामिल होने के बाद एअर इंडिया भारत की दूसरी लीडिंग एविएशन कंपनी में शामिल हो गई. डील के तहत SIA ने एअर इंडिया में 2,058 करोड़ रुपए निवेश करने का भी फैसला किया था. इस डील के एक महीने पहले ही कंपनी ने इस बात का संकेत दे दिए थे कि एअर इंडिया अपने 113 विमान के बेड़े को तीन गुना करेगा.
भारत इस समय चीन और अमेरिका के बाद हवाई यात्रा मार्केट में तीसरे नंबर पर है और इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट के मुताबिक साल 2030 तक भारत दुनिया में पहले नंबर होगा यानी भारत इस समय दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ एविएशन मार्केट है. विमानों की संख्या बढ़ाकर एअर इंडिया इंटरनेशनल स्काई रूट पर अमीरात और कतर एयरवेज को चुनौती दे सकता है. अभी इन दोनों कंपनियों ने दुबई और दोहा में अपने विशाल केंद्र बनाए हुए हैं, जहां से वो भारतीयों को अमेरिका और यूरोप की यात्रा के लिए सीधी फ्लाइटस उपलब्ध कराते हैं. डोमेस्टिक मार्केट में टाटा का कंपटीशन इंडिगो एयरलाइंस से है. फिलहाल अगले कुछ सालों में एअर इंडिया के लिए इंडिगो से आगे निकलना मुश्किल है, लेकिन जैसे-जैसे बोइंग और एअरबस से एअर इंडिया को डिलीवरी मिलती जाएगी, डोमेस्टिक लेवल पर एयर इंडिया का दायरा बढ़ता जाएगा.
एअर इंडिया की इस डील के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा- इससे दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होंगे. इसके साथ ही अमेरिका के 44 स्टेट में 10 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरियां मिलेंगी. इस बयान के बाद एक स्वाभाविक सवाल उठता है कि क्या भारत में ये विमान नहीं बनाए जा सकते, जिससे लाखों नौकरियां देश में ही पैदा हों?….. दरअसल, एअर इंडिया ने जिन विमानों का ऑर्डर दिया है, वो कॉमर्शियल कैटेगरी के पैसेंजर विमान हैं. ये विमान साइज में फाइटर जेट्स या अन्य विमानों के मुकाबले काफी बड़े होते हैं. इन्हें बनाने में भी काफी पैसा और समय लगता है. 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार इसका ग्लोबल मार्केट 413.51 बिलियन डॉलर का है और 90% मार्केट में बोइंग और एयरबस का वर्चस्व है. इसके बाद चीन की COMAC, जापान की मित्सुबिशी और रूस की कंपनी UAC का नाम आता है. भारत के पास अभी ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है कि वो ऐसे विमानों का निर्माण कर सके. हालांकि, इस दिशा में शुरुआती कदम उठाए जा चुके हैं. पिछले साल अक्टूबर महीने में गुजरात के वडोदरा में टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड और एयर बस ने जॉइंट वेंचर के तहत विमान बनाने के लिए एक प्लांट तैयार किया है. लेकिन, इस प्लांट में अभी डिफेंस सेक्टर के ही लिए विमान तैयार किए जा रहें हैं. इस प्लांट के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जल्द ही भारत में भी पैसेंजर प्लेन तैयार किए जाएंगे.
14 फरवरी को बोइंग की कॉमर्शियल मार्केट आउटलुक में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक भारत को 2041 तक करीबन 2,210 नए विमानों की जरूरत होगी. इनमें से 1,983 यूनिट यानी 90% डिमांड नैरो बॉडी एयर क्रॉफ्ट की होगी. इस लिहाज से भारत विमान बनाने वाली कंपनियों के लिए एक बड़ा मार्केट है. ऐसे में अगर भारत में ही इनका निर्माण होने लगा तो देश के करीब 30 से 40 लाख युवाओं को नौकरियां मिल सकती है. एअर बस की तरह बोइंग ने भी हाल ही में लॉजिस्टिक प्रोडक्ट बनाने के लिए 200 करोड़ रुपए भारत में इंवेस्ट किए हैं. कंपनी ने ग्लोबल सपोर्ट सेंटर स्कीम के तहत ये इंवेस्टमेंट किया है. ये कुछ शुरुआती इन्वेस्टमेंट हैं, जो भविष्य में भारत में विमान निर्माण के रास्ते खोल सकते हैं.
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