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09 सितंबर से शुरू होगा गरिमा के साथ बुढ़ापा अभियान

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09 सितंबर से शुरू होगा गरिमा के साथ बुढ़ापा अभियान

09 सितंबर से 08 अक्तूबर के बीच विशेष जागरूकता अभियान चलेगा

अभियान के तहत वरिष्ठ नागरिक कानूनी जागरूकता व स्वास्थ्य जांच

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 08 अक्तूबर तक आयोजित शिविर

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। 
गुरुग्राम जिला में वरिष्ठ नागरिकों को उनके सामान्य व विशेष अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से 09 सितंबर से 08 अक्तूबर के बीच विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। “एजिंग विद डिग्निटी” (गरिमा के साथ बुढ़ापा) नामक शीर्षक के साथ शुरू होने वाले इस अभियान के अंतर्गत उपरोक्त अवधि में जिला में विभिन्न स्थानों पर जागरूकता अभियान के साथ साथ स्वास्थ्य जांच शिविर का भी आयोजन किया जाएगा।

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण  गुरुग्राम की सचिव श्रीमती ललिता पटवर्धन ने बताया कि पंजाब एवम् हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तथा हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष श्री ऑगस्टीन जार्ज मसीह व गुरुग्राम के ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के  चेयरमैन श्री एस पी सिंह के निर्देशानुसार  ज़िला में 09 सितंबर से शुरू होने वाले इस अभियान तहत जिला में जारी पोषण अभियान के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों, ओल्ड ऐज होम सहित सभी सार्वजनिक स्थानों पर प्राधिकरण के वालंटियर्स द्वारा मौखिक व पोस्टर्स के माध्यम से वृद्धजनों को उनके सामान्य व विशेष अधिकारों के साथ साथ उनके भरण पोषण की जिम्मेदारियों के बारे में भी जागरूक किया जाएगा।

श्रीमती पटवर्धन ने वरिष्ठ नागरिकों के सामान्य अधिकारों की जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न कानूनी प्रावधानों जैसे दण्ड प्रक्रिया अधिनियम और माता – पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण – पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके अभिभावकों की देखभाल उनके बच्चों द्वारा की जानी ज़रूरी है, यदि नहीं करते तो वे न्यायालय में दावा करके अपना हक़ माँग सकते हैं। हिंदू दत्तक और भरण – पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 20 के तहत माता – पिता यदि अपना भरण – पोषण करने में असमर्थ हैं, तो अपने पुत्र के साथ – साथ अपनी पुत्री से भी भरण – पोषण का दावा करने के हकदार हैं । यह अधिकार प्रातिक और दत्तक माता – पिता दोनों के लिए है। हालाँकि सौतेले माता – पिता, जिनके अपने बच्चे हैं, वे अपने सौतेले बच्चों से भरण – पोषण का दावा नहीं कर सकते।  वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत यदि पुत्र और पुत्री दोनों के पास अपने माता पिता की देखभाल के साधन हैं तो वे इसके लिए बाध्य हैं।  

श्रीमती पटवर्धन ने वृद्धजनों के विशेष अधिकारों की जानकारी देते हुए बताया कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों के तहत वरिष्ठ नागरिकों को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं जिसमें एक निसंतान वरिष्ठ नागरिक किसी भी ऐसे रिश्तेदार से भरण-पोषण का दावा कर सकता है, जिसके पास उसकी संपत्ति है या जो उसे विरासत में मिलेगी। उन्होंने रखरखाव भत्ते की जानकारी देते हुए कहा कि यह भत्ता  प्रतिमाह ₹10000 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए और प्राधिकरण के आदेश के अनुसार यदि कोई व्यक्ति भरण पोषण के भुगतान में चूक करता है तो उसे सजा के रूप में कारावास का प्रावधान भी है।

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