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क्सर लोग पूछते है ट्रांसजेंडर क्या है अर्थ मतलब परिभाषा क्या है

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ट्रांसजेंडर वो इंसान होते हैं जिनका लिंग जन्म के समय तय किए गए लिंग से मेल नहीं खाता.। इनमें ट्रांस मेन, ट्रांस वीमन, इंटरसेक्स और किन्नर भी आते हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन लोगों के पास अपना लिंग निर्धारित करने का भी अधिकार होता है। ट्रांसजेंडरों को समाज में भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है

ट्रांसजेंडर एक जटिल शब्द है जिसका अर्थ बहुत कुछ हो सकता है। एक ट्रांस महिला वह होती है जो पुरुष के रूप में पैदा होता है लेकिन महिला के रूप में पहचाना जाता है उसे महिला ट्रांसजेंडर कहा जाता है। एक ट्रांस पुरुष वह होता है जो महिला के रूप में पैदा होता है लेकिन पुरुष के रूप में पहचाना जाता है, उसे भी ट्रांसजेंडर कहते हैं।
इसलिए कोई ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह ना तो पुरुष होता है और ना ही महिला उन्हें तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गई है। समलैंगिकों की तरह ट्रांसजेंडर की कोई लैंगिक अनुरूपता नहीं होती है। ट्रांसजेंडर व्यक्ति पुरुष और महिला दोनों की तरफ आकर्षित हो सकता है।


ट्रांसजेंडर कोई स्टाइल नहीं है। यदि एक पुरुष महिलाओं के कपड़े पहनना पसंद करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह ट्रांसजेंडर या हिजड़ा है। कुछ लोग अपने विपरीत लिंग के लोगों के कपड़े पहनते हैं। लेकिन वे उस लिंग से नहीं पहचाने जाते हैं।
इतिहास की प्रत्येक संस्कृति में में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का उल्लेख है। ट्रांसजेंडर व्यक्ति आमतौर पर उस लिंग के व्यक्तियों के कपड़े पहनते हैं, जिस रूप में वे पहचाने जाते हैं।

ट्रांससेक्शुअल
ट्रांससेक्शुअल एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति ही होता है जो स्थायी रूप से अपना लिंग परिवर्तित करवा लेता है, जिसमें वह पहचाना जाता है। सर्जरी और हार्मोन चिकित्सा के द्वारा उसके शरीर में परिवर्तन कर उस लिंग से मिलाया जाता है जिस रूप में वह पैदा हुआ होता है। लिंग परिवर्तित करवाने की इस प्रक्रिया में आमतौर पर कई साल लग जाते हैं।
थर्ड जेंडर
ज्यादातर ट्रांसजेंडर या ट्रांससेक्शुअल व्यक्ति, महिला या पुरुष के रूप में पहचाने जाते हैं लेकिन दूसरे लोग उन्हें इन दोनों से भिन्न रूप में अर्थात् थर्ड जेंडर के रूप में देखते हैं। हिंदू, जैन, बुद्धिस्ट धर्मग्रंथों और आमतौर पर भारतीय संस्कृति और यहां तक कि कामसूत्र में भी ट्रांसजेंडर के बारे में कई जगह उल्लेख किया गया है।


भारत पहला देश है जहां 2014 के न्यायालय के फैसले में थर्ड जेंडर को कानूनी रूप से पहचान मिल चुकी है। ट्रांसजेंडर लोग और हिजड़े अब अपने पासपोर्ट और सरकारी दस्तावेजों पर पुरुष और महिला के अलावा थर्ड जेंडर का चयन कर सकते हैं।
हालांकि थर्ड जेंडर के रूप में कानूनी मान्यता भारत जैसे देश में आये दिन ट्रांसजेंडरों के साथ होने वाले भेदभाव का हल नहीं है। जो लोग थर्ड जेंडर के अंतर्गत आते हैं वे अपना वैध जेंडर स्टेटस नहीं बदलवाना चाहते हैं क्योंकि आगे रोजगार, शादी और संपत्ति के अधिकारों में भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
हिजड़ा
हजारों वर्षों से हिजड़े भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। हिजड़ा व्यक्ति वह है जो पुरुष के रूप में जन्म लेता है लेकिन महिला या थर्ड जेंडर के रूप में पहचाना जाता है।
भारत में सभी ट्रांस व्यक्ति हिजड़ो के रूप में नहीं पहचाने जाते हैं। हालांकि कुछ धारणाओं के अनुसार ट्रांससेक्शुअल होना ही हिजड़ा होना है। दोनों पहचानों में अंतर होता है। कुछ हिजड़े अपने समुदाओं में एक साथ रहते हैं। वे महिलाओं की तरह कपड़े पहनते हैं। परंपरागत रूप से हिजड़ो ने कामुकता को पूरी तरह त्याग दिया है और समाज में उन्हें पवित्र रूप में देखा जाता है।
आज भारत में हिजड़े कई तरह के भेदभावों का शिकार हैं। इनमें से कुछ सेक्स वर्कर के रूप में काम करते हैं क्योंकि उनके लिए रोजगार का कोई अन्य माध्यम मौजूद नहीं है। वे अक्सर कानून के हाथों या स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अवहेलना का शिकार होते हैं।


किन्नर शीमेल
शीमेल शब्द अंग्रेजी में उन ट्रांस महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हे लिंग के आधार पर जन्म के समय पुरुष करार दिया गया, पर वह खुद को महिला के रूप में पहचानती हैं और ऐसे में लिंग होते हुए वह बॉडी पार्ट्स की सर्जरी करवाती हैं, जैसे ब्रेस्ट को सर्जरी के माध्यम से शरीर में जुड़वानाद्य स्त्री और पुरुष दोनों के अंग होने के कारण ऐसे लोगों को शीमेल कहने का प्रचलन चालू हुआ
शब्द का उपयोग 19वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ 1970 के दशक में इसका इस्तेमाल मुखर श्बॉसीश् महिलाओं के लिए किया जाने लगा। लेकिन इस शब्द का इसके यौन अर्थों के साथ इस्तेमाल 1990 के दशक में शुरू हुआ और तब से इसे ट्रांस महिलाओं के एक विशिष्ट वर्ग को वर्णित करने के लिए होने लगा।
इस शब्द को बेहद अपमानजनक और गन्दा माना जाता है क्योंकि इसके इस्तेमाल अश्लील साहित्य और देह व्यापार में होता आया है। तो एक ट्रांस महिला को शीमेल कहने का मतलब है कि आप उन्हें जाने अनजाने देह व्यापार उद्योग का हिस्सा मान रहे हैं। इसलिए इस तरह के मामले में – अनजाने में ही सही किसी को भी नीचा दिखाने से बचने के लिए सामाजिक रूप से स्वीकार्य नाम ट्रांसवुमन है।
ट्रांसजेंडर और कानून
भारत में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए कानूनी अधिकारों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। भारत में ट्रांसजेंडर लोग अब महिला, पुरुष या ट्रांसजेंडर के रूप में अपनी पहचान का चयन कर सकते हैं और अपने आधिकारिक दस्तावेजों पर भी इसका उल्लेख करने की मान्यता उन्हें प्राप्त है।
वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में पहचान की मान्यता प्रदान की और इनके साथ शिक्षा, काम, स्वास्थ्य देखभाल, आवास और अन्य मूलभूत अधिकारों को प्राप्त करने में उत्पन्न होने वाली परेशानियों के समाधान के लिए कानूनी कार्यवाही की भी मांग की।
इस कानून को वर्तमान में ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ हिंसा और दुरुपयोग के अपराधीकरण के लिए पुनर्वितरण किया जा रहा है। साथ ही, कुछ क्षेत्रीय सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही हैं कि ट्रांसजेंडर लोग सामाजिक कल्याण योजनाओं से लाभान्वित होते रहें।
अक्सर लोग पूछते है ट्रांसजेंडर क्या है अर्थ मतलब परिभाषा क्या है तो आज ट्रांसजेंडर की पूरी जानकारी

छाती पे बाल, भारी आवाज, मुहं पे मुहांसे, स्तनों का विकास, आवाज में पतलापन, यौ अंगो का विकसित होना, सोच का विकसित होना आदि किशोरावस्था में आने के लक्षण है. लड़को में 10 साल के बाद और लड़कियों में 12 साल के बाद परिपक्वता आने लगती है और यहीं से उनकी किशोरावस्था में आने की शुरुआत होती है द्य लड़के और लड़कियों में होने वाले बदलावों से तो हम सब परिचित है और इन बदलावों को हम महसूस भी करते है, लेकिन क्या आप ट्रांसजेंडर (किन्नरों) में होने वाले किशोरावस्था के बदलावों के बारे में जानते है ।


ट्रांसजेंडर क्या है
ऐसा तीसरा लिंगी इंसान जो ना पुरुष में आता है और ना ही महिला में यानी उसमे दोनों के लक्षण होते है उसे ट्रांसजेंडर कहते है. ट्रांसजेंडर को हमारे समाज में हिजड़ा के नाम से जाना जाता है. इनके साथ हमारे समाज में बहुत भेदभाव भी किया जाता है द्य ट्रांसजेंडर के बारे में मान्यता है की इनका आशीर्वाद और श्राप दोनों ही सच होते है. अगर कोई ट्रांसजेंडर किसी को एक रूपये का सिक्का देता है तो उसके घर में धन की भरमार रहती है. ट्रांसजेंडर लोग शादी-विवाह, घर का मोहरत, फंक्शन आदि में आते है. अब आप ट्रांसजेंडर के बारे में जान गए होंगे, ट्रांसजेंडर में किशोरावस्था के मायने क्या है।
ट्रांसजेंडर मे किशोरावस्था क्या है
किशोरावस्था एक ऐसा स्टेज है जहां पर जीवन दो चरणों में बंटता है. लड़को में 10 से 15 और लड़कियों में 12 से 16 साल तक की उम्र किशोरावस्था की होती है, जिसमे उनका शरीर परिपक्व होता है. किशोरावस्था में शरीर में मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक बदलाव होते है.। यौन अंगो का विकास और परिपक्वता ही किशोरावस्था है।
ट्रांसजेंडर किशोरावस्था क्या होता है
1 आकर्षण ट्रांसजेंडर व्यक्ति पुरुष और महिला दोनों की तरफ आकर्षित हो सकता है, क्योंकि वो महिला और पुरुष दोनों का हिस्सा है।
2.विपरीत लिंग के साथ रहना ट्रांसजेंडर लोग कभी भी उस लिंग के साथ नहीं रह पाते जिनके साथ वे पैदा हुए है अर्थात वे विपरीत लिंग के साथ रहना पसंद करते है और उसी के अनुसार जीना भी पसंद करते है. एक सामान्य इंसान की तुलना में ट्रांसजेंडर लोगों का यौवन कठिनाई भरा होता है क्योंकि वे अपने लिंग के साथ नहीं जीते है.
3.जेंडर डीस्फोरिया यौवन में होने वाली जटिलताओं के कारण ट्रांसजेंडर लोगों में तनाव पैदा होता है और उसे ही “जेंडर डीस्फोरिया” कहते है. इसमें शरीर और दिमाग का तालमेल नहीं बैठता है. इसलिए ट्रांसजेंडर शरीर में होने वाले बदलावों को रोकने का प्रयास करते है और विपरीत लिंग के साथ जीना चाहते है.
4.ट्रांसमेन में किशोरावस्था ट्रांसमेन यानी जो लोग योनी के साथ पैदा होते है लेकिन सोचते पुरुषों की तरह है और उन्ही की तरह महसूस करते है. उन्हें भी महिला की तरह स्त्री होने का अनुभव होता है जो उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं किया होता है. उनमे भी स्तन विकास और मासिक धर्म जैसे बदलाव होते है.
5.ट्रांसवुमेन में किशोरावस्था ट्रांसवुमेन वे लोग जो पुरुष की तरह पैदा होते है लेकिन सोचते और महसूस महिलाओं की तरह करते है. यह शिश्न के साथ पैदा होते है अर्थात पुरुष के लिंग के साथ पैदा होते है. इनमे पुरुषों की तरह लिंग का खड़ा होना, वीर्य निकलना, शरीर पर बाल आना जैसे बदलाव होते है जो इनके लिए असुविधाजनक होते है. इससे बचने के लिए वे नशीली दवाओं का सेवन भी करती है.
6.ट्रांसजेंडर में यौवन ट्रांसजेंडर में टेस्टोंस्टेरान और एस्ट्रोजन दोनों तरह के हार्मोन होते है और यही उन्हें तकलीफ देते है. एक ट्रांसजेंडर में महिला और पुरुष दोनों के बदलाव होते है जिन्हें सहन करना उनके लिए मुश्किल होता है और इसी वजह से वे टेंशन में आ जाते है.
7.महिला से पुरुष में बदलना कुछ ऐसे लोग होते है जो महिला से पुरुष बनना चाहते है और वे उनके अनुसार हार्मोन लेते है. इससे उनमे आवाज का भारी होना, शरीर में चर्बी का विकास आदि परिवर्तन होने लगते है लेकिन जो महिला प्रजनन के अंग है जिसके साथ वो पैदा हुयी है उसे हटाने के लिए शल्यचिकित्सा का सहारा लिया जाता है.
8.पुरुष से महिला में बदलना कुछ ऐसे लोग होते है जो पुरुष से महिला बनना चाहते है और वे उनके अनुसार हार्मोन लेते है. इससे उनमे स्तनों का विकास, शरीर पर बालों की कमी आदि परिवर्तन होने लगते है लेकिन जो पुरुष प्रजनन के अंग है जिसके साथ वो पैदा हुआ है उसे हटाने के लिए शल्यचिकित्सा का सहारा लिया जाता है. पुरुषों में चेहरे के बाल और आवाज में परिवर्तन नहीं आता है, क्योंकि इसके लिए टेस्टोस्टेरान हार्मोन जिम्मेदार होता है और इसे शल्यचिकित्सा के द्वारा रोका जाता है.
एक सामान्य महिला और पुरुष की तुलना में ट्रांसजेंडर लोगों की जिंदगी कितनी मुश्किल है खासकर उनमे किशोरावस्था और यौवन बहुत तनाव भरा होता है. किसी दुसरे लिंग के साथ जीना कितना मुश्किल होता है यह सिर्फ ट्रांसजेंडर ही जान सकते है. भारत जैसे विकसित देश में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए कानून बने है, लेकिन फिर भी काफी जगह इनके साथ भेदभाव किया जाता है. इनमे इनकी क्या गलती, इन्हें तो कुदरत ने ऐसा बनाया है.।

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