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हरियाणा प्रदेश की सरकार का प्रदेश के निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने की तैयारी

प्रधान संपादक योगेश

हरियाणा सरकार शिक्षा विभाग कार्यालय द्वारा पत्र संख्या  यादि क्रमांक 8/27-2020 पी0एस0 (2 ) दिनाक 06/5/2021 जारी करके प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारी व सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि प्रदेश के सभी निजी विद्यालयों में कक्षा पहली से कक्षा बारहवीं तक के बच्चों की शिक्षा के लिए एनसीईआरटी की किताबें लगवाए
प्रदेश के निजी स्कूलों में इन सी ई आर टी ई, की किताबें लागू करवाने के लिये काफी समय से हमारे द्वारा मांग की जा रही थी कई बार हरियाणा सरकार को पत्र  भी लिखा और शिक्षा मंत्री व निदेशक शिक्षा विभाग से मुलाकात भी करके मांग की थी जिस बारे अब सरकार ने सुध ली है,
अब तक हरियाणा के निजी विद्यालयों में निजी प्रकाशको की किताबो से पढ़ाई होती रही है, अब हरियाणा प्रदेश के सभी राजकीय व निजी विद्यालयों में सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाने का नियम कानून लागू कर दिया गया है हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियमावली 2003 के नियम 10 को संशोधित करके कानून बना दिया है कि प्रदेश के सभी राजकीय व निजी विद्यालयों में सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाई जाए ताकि प्रदेश के निजी विद्यालयों की मनमानी पर अंकुश लगाया जा सके अब तक निजी विद्यालय अपने स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबें लगाते रहे जिससे निजी विद्यालयों में  निजी प्रकाशकों द्वारा  किताबों पर 70% कमीशन दिया जाता था, जिसका भार अभिभावकों /बच्चो की जेब पर पड़ता था जो एनसीईआरटी की किताब कक्षा पहली से कक्षा बारहवीं की ₹500 से ₹800 तक मिल जाती है वहीं निजी प्रकाशकों व निजी स्कूलों के आपसी खेल से  (आपसी तालमेल)  से ₹6000 से ₹8000 तक  अभिभावकों/ बच्चों तक पहुंचती थी, निजी विद्यालय द्वारा अभिभावकों को बेवकूफ बनाया जाता था कि हमारे स्कूल में जो किताबी पढ़ाई जाती है वे बच्चों को उच्च मुकाम हासिल करवाती है जो कि स्कूलों द्वारा अभिभावकों को सिर्फ बेवकूफ बनाने का काम था अब प्रदेश के राजकीय व निजी विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबें लागू होगी तो सभी में एक समान शिक्षा हासिल होंगी, अमीर -गरीब सबके बच्चे समान रहेंगे, अभिभावकों का निजी स्कूलों द्वारा शोषण होता आया है अब संसोधित कानून उस पर अंकुश लगाने का काम करेगा

अब देखना होगा कि राज्य सरकार द्वारा कानून बनाने तक सीमित रहती है या इसे लागू भी करवा पाती है अगर राज्य सरकार द्वारा सिर्फ कानून बनाकर कागजों तक सीमित रखना है तो इस बारे आंदोलन किया जायेगा ओर न्यायालय के  माध्यम से इसे लागू करवाएंगे और प्रदेश के अभिभावकों /बच्चो को न्याय दिलाएंगे क्योंकि राज्य सरकार द्वारा पहले नियम 134 ए का भी कानून बनाकर सिर्फ कागजों तक सीमित किया हुआ था जिसे हमने  इसे आंदोलन का रूप देकर न्यायालय के माध्यम से प्रदेश में लागू करवाया जिससे आज प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों के बच्चों को प्रदेश के निजी स्कूलों में सस्ती शिक्षा हासिल हो रही है,

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