जन विरोध को दरकिनार कर कोरोना काल में जान गंवाती जनता की उपेक्षा कर नए संसद भवन की रखी गई नींव हमेशा याद रहेगी : दीपा शर्मा
प्रधान संपादक योगेश
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना, यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों का अपमान है। बीजेपी को ये समझना चाहिए कि संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ की राष्ट्रीय महासचिव दीपा शर्मा ने कहा कि माननीय मुख्य मंत्री जी सभी जगह सिर्फ अपना ही नाम आगे चाहते है जो कि बहुत ही गलत है. वो चाहते है कि–
:- ‘संसद भवन का उद्घाटन मैं ही करूं, क्रिकेट स्टेडियम मेरे ही नाम पर हो, टीवी-अखबार की सुर्खियों में मैं ही छाया रहूं, वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर मेरा ही चेहरा चमके ये इस देश के प्रधानमंत्री जी की अद्भुत आत्ममुग्धता है।’ दीपा जी ने कहा कि हमें भारतीय संविधान निर्माता भीम राव अंबेडकर और भारतीय राष्ट्रपति दोनों के बिना कुछ नहीं चाहिए इस देश का संसद भवन इन दोनों के बिना अधूरा है, इसलिए संसद भवन में बाबा साहब की मूर्ति लगे और इस भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति मुर्मू जी करें जो उनका हक़ है। यही पूरा देश चाहता है।
महिला नेत्री दीपा जी ने बीजेपी के झूठे दलित प्रेम की पोल खोलते हुए कहा कि ये सरकार दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, आदिवासी और महिला विरोधी हैं। ये सिर्फ जातिवाद फैला कर एक दूसरे से लड़ना चाहते है!पहले पूर्व राष्ट्रपति कोविंद दलित थे, इसलिए उनको इस संसद भवन के भूमिपूजन से बाहर रखा गया और अब राष्ट्रपति मुर्मू दलित आदिवासी महिला है, इसलिए उनको उद्घाटन से बाहर रखा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी को ये समझना चाहिए की ये देश ‘मैं’ से नहीं, ‘हम’ से चलता है। इसलिए नए संसद भवन का उद्घाटन सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठीं महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा किया जाना चाहिए लेकिन ‘प्रचारजीवी’ ने अपने सियासी स्वार्थ और आत्ममुग्धता में सभी संसदीय परंपराओं को भुला दिया है।
शर्मा ने कहा कि हम सभी जाति के लोगों को एकसाथ लेकर चलते है. हम अपने सभी ब्राह्मणों का सम्मान करके आगे बढ़ते है लेकिन मोदी जी की ये हिटलर वाली तानाशाही व अहम भरी राजनीति है ये सिर्फ एक खुद को सही मानते है और बाकी पूरे विपक्ष को ग़लत। उन्होंने पीएम पर तंज कसते हुए कहा कि उनका फ़रमान-सबका अपमान। राष्ट्रपति संसद का तीसरा अंग होता है पर उन्हें बुलाया नहीं गया। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं लेकिन निमंत्रण पत्र पर उनका कहीं अता-पता तक नहीं है और इन वजहों को जानने के लिए जिस मीडिया को बीजेपी से सवाल करना चाहिए वो गोदी मीडिया इस कार्यक्रम के बहिष्कार पर विपक्ष से सवाल कर रहा है।
सभी जाती को साथ लेकर चलने वालि दीपा शर्मा ने कहा कि देश संविधान से चला है और संविधान से ही चलेगा, लेकिन जब मोदी सरकार महामहिम के अधिकारो का भी अतिक्रमण करे तो फिर आखिर क्या करे? उन्होंने कहा कि ये नई इमारत बेरोजगार भारत की चमड़ी उधेड़ कर की गई नक्काशी का स्मारक है, जब कोरोना काल में देश की जनता आक्सीजन के अभाव में तड़प तड़प कर मर रही थी उसी समय ये गैर जरूरी संसद भवन बनाया जा रहा था। बीजेपी को ये समझना होगा की देश का मतलब भवन और इमारतें नहीं बल्कि जनता है।
शर्मा ने सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक सेंगोल (राजदंड) पर बोलते हुए बीजेपी से सवाल किया कि जब नेहरू को राजदंड सौंपा गया तो अंग्रेजी साम्राज्य से सत्ता का हस्तांतरण हुआ था, अभी कौन किसे सत्ता सौंप रहा है? क्या आप ऐसा करके भारत को मध्ययुगीन रजवाड़ा बनाना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि नए संसद भवन को तो इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे कि कोई नया देश बन रहा हो और वहां नई राजशाही सत्ता स्थापित की जा रही हो।
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