अब नुकसान भाजपा या फिर भाजपा के उम्मीदवार को !
सूरजपाल अम्मू का इस्तीफा
अब नुकसान भाजपा या फिर भाजपा के उम्मीदवार को !
भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर लंबे समय तक किया कार्य
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे
राजपूत समाज में सूरजपाल अम्मू एक जाना पहचाना चेहरा
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले और जाने पहचाने चेहरा सूरजपाल अम्मू ने सत्तादारी भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया । सूरजपाल अम्मू के द्वारा दिए गए इस्तीफा के साथ ही अब यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि इसका अधिक नुकसान भाजपा को होगा या फिर गुरुग्राम से भाजपा के उम्मीदवार को हो सकेगा ? भाजपा को सूरजपाल अम्मू के द्वारा उस समय अलविदा कहा गया, जब देश में तीसरी बार भाजपा संगठन के प्रचंड बहुमत का दावा किया जा रहा है।
भाजपा को अलविदा कहा जाने के पीछे सूरजपाल अम्मू के द्वारा कारण बताते हुए कहा गया है कि समाज के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री के द्वारा असहनीय टिप्पणियां की गई । इसी प्रकार से समय-समय पर राजपूत समाज की बहन बेटियों और महिलाओं को लेकर भी उल्टा सीधा बोला गया । सबसे महत्वपूर्ण बात उनके द्वारा हरियाणा सरकार पर वादा खिलाफी की कही गई । फिल्म पद्मावती के विरोध प्रदर्शन के दौरान भोंडसी और कैथल में बड़ी संख्या में राजपूत समाज के युवाओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए। उनका आरोप है वादा किया जाने के बावजूद मुकदमे वापस नहीं लिए गए । इसी कड़ी में सूरजपाल अम्मू के द्वारा भाजपा संगठन पर जात-पात की राजनीति करने के भी गंभीर आरोप लगाए गए और राजनीतिक उपेक्षा की भी बात कही गई। उनका कहना है कि 10 वर्ष की आयु से ही आरएसएस से जुड़े और करीब चार दशक तक भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम भी किया । क्षत्रिय शूरवीरों के वंशज होने के कारण समाज के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को लेकर अपने स्वाभिमान को प्राथमिकता देते हुए ही इस्तीफा दिया।
जानकारों का मानना है कि सूरजपाल अम्मू जो की करणी सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अपनी पहचान राजपूत समाज के बीच में बने हुए हैं। चुनाव के चरम के बीच में उनका सत्ताधारी भाजपा को अलविदा कहना कहीं ना कहीं निश्चित रूप से भाजपा और विशेष रूप से गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह के लिए भारी भी पड़ सकता है । गुरुग्राम जिला के साथ-साथ अन्य संसदीय क्षेत्र में भी राजपूत बहुल गांव मौजूद है । अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि सूरजपाल अम्मू के इस्तीफा के बाद राजपूत समाज में भी कितना और क्या प्रभाव रहा । भाजपा को राजनीतिक रूप से कितना नुकसान हुआ होगा ?
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