प्राणवायु ही नहीं, जीवन के आधार हैं पेड़ के संदेश के साथ प्रकृति के संतुलन हेतु पौधारोपण किया गया :
प्राणवायु ही नहीं, जीवन के आधार हैं पेड़ के संदेश के साथ प्रकृति के संतुलन हेतु पौधारोपण किया गया :
प्रधान संपादक योगेश
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेक्टर– 9 गुरुग्राम के प्रांगण में प्राणवायु ही नहीं, जीवन के आधार हैं पेड़ के संदेश के साथ प्रकृति के संतुलन को बनायें रखने हेतु कोविड नियमों का पालन करते हुयें पौधारोपण किया गया| इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. सतमन्यु यादव ने कहा कोरोना संक्रमण के जरियें संदेश स्पष्ट है कि प्रकृति से दूर जा रहे मनुष्य के प्रयत्न विफल हो सकते हैं, इसलिए पौधारोपण को जीवन का अहम हिस्सा बनाने की आवश्यकता है| उन्होंने कहा जी परिस्थितिकी तंत्र की चिंता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज बड़ा विषय है उसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगें| उन्होंने कहा हमारे शास्त्रों में हवा मिट्टी, जंगल और पानी को देव तुल्य माना गया है| प्रकृति ने कोरोना जैसे अदृश्य वायरस को हमारे बीच लाकर यह समझाने और सिखाने का प्रयास किया है कि मनुष्य जनित विज्ञान क़े प्रयत्न कैसे विफल हो सकते हैं, अगर वह प्रकृति पर केंद्रित नहीं है| प्रकृति हमें बार-बार समझाने की कोशिश कर रही है कि हमें संतुलन की तरफ जाना चाहियें और यह तब संभव है जब हम सामूहिक रूप से प्रकृति के नियमों को समझें और वैसे ही प्रवृत्ति भी तैयार करें| असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संजय कत्याल ने कहा पर्यावरण व जल संरक्षण आज के समय की आवश्यकता है| हमें स्वतंत्रता सेनानियों, महापुरुषों और शहीदों की याद में पौधारोपण अवश्य करना चाहिए| असिस्टेंट प्रोफेसर अजय कुमार ने कहा पेड़ हमारे जीवन के आधार हैं और उनसे हमें प्राणवायु मिलती है| उन्होंने कहा यह अमूल्य संपदा हमें ग्लोबल वार्मिंग, सूखा, बाढ़ जैसे कई महत्वपूर्ण प्राकृतिक आपदाओं से बचाती है| पेड़ों से निकलने वाली ऑक्सीजन मानव जीवन को बचाती है,नीम,बरगद, पीपल व तुलसी जैसी प्रजातियां सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पेड़ पौधे है| इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस इसी बात पर केंद्रित है कि हम किस तरह से अपने परिस्थितिकी तंत्र को दोबारा अपने प्रयत्नों व व्यवहार से वापस ला सकते हैं| उन्होंने कहा आज यही सबसे बड़ी चुनौती है कि हम प्रकृति के नियमों को हम एक नयें सिरे से समझे| उन्होंने कहा हम अपनी जोग्राफी को समझते हुयें ऑक्सीजन देने वाली पर्यावरण हितैषी पेड़ों या अपना छोटा सा जंगल अवश्य लगाने में सहयोग करें| उन्होंने कहा पृथ्वी को इंसानों के रहने लायक बनाए रखना है तो छोटे-छोटे जंगलों के रूप में वृक्षों का गुलदस्ता लगाना आज के समय की आवश्यकता है| आज विकास की दौड़ में हमने ऑक्सीजन देने वाले पेड़ पौधों को अंधाधुंध तरीके से काटा, परिणाम स्वरूप हमें ऑक्सीजन प्लांट लगाने की जरूरत महसूस हो रही है| आज स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 550 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन जरूरी है| आज हम ऐसे ही संकट में हैं कि जिस का फिलहाल कोई शत-प्रतिशत समाधान नहीं है| प्रकृति ने कोरोना से अदृश्य वायरस को हमारे बीच लाकर यही समझाने और सिखाने का प्रयास किया है कि हमें प्रकृति के संतुलन को बनायें रखना अति आवश्यक है| इस अवसर पर कॉलेज के स्टाफ गण विशेष रुप से उपस्थित थे|
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