घबराने की जरूरत नहीं, आपकी परेशानी काफ़ी हद तक दूर कर दी है NASA और ISRO ने
घबराने की जरूरत नहीं, आपकी परेशानी काफ़ी हद तक दूर कर दी है NASA और ISRO ने
🟠 नागरिक-अंतरिक्ष सहयोग में US-INDIA संबंधों को बनाने की दिशा में एक प्रमुख कदम के रूप में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के साथ मिलकर एक खास सैटेलाइट विकसित की है. करीब 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस NISAR Satellite को NASA में विकसित किया गया. आज रात यह बेंगलुरु पहुंचा. NASA जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में इसे लेने ISRO प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ खुद गए थे. इस सैटेलाइट की खास बात यह है कि इससे भूकंप, हिमस्खलन, समुद्री तूफान आदि प्राकृतिक घटनाओं की जानकारी पहले ही मिल जाएगी. इसे भारत और अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त साइंस मिशन माना जा रहा है.
अमेरिकी वायु सेना का एक परिवहन विमान C-17 NASA-ISRO के इस सैटेलाइट को लेकर बेंगलुरु पहुंचा. सैटेलाइट और उसके पेलोड्स की कई बार टेस्टिंग हो चुकी है. ISRO इसे अगले साल लॉन्च करेगा. इससे पहले इसमें कुछ जरूरी बदलाव किए जाने हैं. इसे इसरो के सबसे शक्तिशाली GSLV-MK 2 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. NISAR सैटेलाइट को दुनिया का सबसे महंगा Earth ऑब्जरवेशन सैटेलाइट बताया जा रहा है. यह सैटेलाइट बवंडर, तूफान, ज्वालामुखी, भूकंप, ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्री तूफान, जंगली आग, समुद्रों के जलस्तर में बढ़ोतरी, खेती, गीली धरती, बर्फ का कम होगा आदि की पहले ही जानकारी दे देगा. धरती के चारों ओर जमा हो रहे कचरे और धरती की ओर अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की भी जानकारी इस सैटेलाइट से मिल सकेगी. इतना ही नहीं ये सैटेलाइट धरती पर पेड़ पौधों की घटती-बढ़ती संख्या पर नजर रखेगा. निसार से प्रकाश की कमी और इसमें बढ़ोतरी की भी जानकारी मिल पाएगी
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