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संयुक्त किसान मोर्चा की पाठशाला में बना आंदोलन का नया पाठ्यक्रम

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संयुक्त किसान मोर्चा की पाठशाला में बना आंदोलन का नया पाठ्यक्रम

किसान नेता राकेश टिकैत किसानों की पाठशाला के बने मॉनिटर

मंगल को एक बार फिर से सीएम सीटी करनाल में जुटेंगे किसान

अब बचाना है देेश, संविधान औेर किसान, जेसीआई मैदान से आहवान

9-10 सितंबर को लखनऊ में बैठक 27 को भारत बंद का आह्वान

मुजफ्फरनर में किसानों की पाठशाला में पहुंचे देशभर के किसान

एक जनवरी 2022 से दोगुने दाम पर किसान बेचेंगे अपनी फसल

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । 
  5 सितंबर 2022 रविवार का दिन जोकि शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है । 5 सिंततंबर 2021 को महापंचायत और किसी भी आंदोलन के तौर पर लंबे समय तक याद रखा जाएगा । बीते 9 माह से अधिक समय से देशभर के विभिन्न 40 किसान संगठन और संगठन के अनेक किसान सदस्य केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के चारों तरफ डेरा जमाए हुए हैं । किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि मंडल के बीच 12 दौर की बातचीत के बाद, एक लंबे समय 22 जनवरी 2021 से संवाद भी नहीं हो सका है ।

यहां संयुक्त किसान मोर्चा की किसान महापंचायत के मंच से नोटबंदी बनाम वोट बंदी का उदाहरण देते हुए किसान आंदोलन के पाठ्यक्रम के विषय में बताया गया कि 7 सितंबर मंगलवार को सीएम सिटी करनाल में भी मुजफ्फरनगर के तर्ज पर ही किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा । इसके साथ ही 9 और 10 सितंबर को लखनऊ में किसान बैठक का भी आयोजन किया जाने का खुलासा किया गया । सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण घोषणा आगामी 27 सितंबर सोमवार को भारत बंद को लेकर की गई ं सीएम सिटी करनाल में प्रशासन, पुलिस प्रशासन और किसानों के बीच जो कुछ भी घटा वह कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष के लिए परेशानी का भी कारण बना । सत्ता पक्ष, सत्ताधारी पार्टी और किसान संगठनों के द्वारा आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए गए । संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा सीएम सिटी करनाल में ही किसान महापंचायत की घोषणा के बाद एक बार फिर कथित रूप से सरकार , सत्ताधारी पार्टी और किसान मोर्चा आमने सामने दिखाई देंगे ं हालांकि 7 सितंबर मंगलवार को सीएम सिटी करनाल में किसान महापंचायत को टालने के लिए शासन प्रशासन के द्वारा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से संवाद भी किया गया, लेकिन जिसका कोई समाधान नहीं निकल सका।  सीएम सिटी करनाल में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत को देखते हुए इस बार समय रहते प्रशासन के द्वारा सबसे पहला बड़ा एक्शन इंटरनेट सेवा को मंगलवार मध्यरात्रि तक बंद रखने का फैसला करके लिया गया है । हालांकि गठबंधन सरकार की साझीदार जननायक जनता पार्टी के डिप्टी सीएम और अन्य नेताओं के द्वारा केंद्र की कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए इसे किसान हित में ही ठहराया जा रहा है ं जानकारों के मुताबिक जिस प्रकार से संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर नई ताकत के साथ विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए सक्रिय हुआ है, सक्रिय होने के साथ ही अब सीधे-सीधे वोट की चोट की अपील किया जाने को देखते हुए सभी राजनीतिक दल और नेताओं के बीच भी एक अजीब सी खामोशी देखी जा रही है । इसका कारण है संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा किसी भी राजनीतिक दल और राजनीतिक दल के नेता या मंत्री को संयुक्त किसान मोर्चा के मंच पर स्थान नहीं देना है। जबकि यह भी कहा गया है कि 70 प्रतिशत भारत देहात अथवा गांव में बसता है , और किसान और किसानी का गढ अथवा सबसे बड़ा केंद्र देहात या फिर गांव ही है।

अपनी मांग और आवाज को लोकतांत्रिक तरीके से केंद्र सरकार तक पहुंचाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा किसान महापंचायत, आजादी के आंदोलन के आगाज वाले स्थान उत्तर प्रदेश के ही मुजफ्फरनगर के जेसीआई मैदान में आयोजित की गई । सीधे और सरल शब्दों में केंद्र सरकार द्वारा किसान और किसानी के हितार्थ दावे वाले कृषि कानूनों को समझने और समझाने की कड़ी में अभी तक सामंजस्य भी नहीं बैठा हुआ दिखाई दिया है । संयुक्त किसान मोर्चा कि खुली एकदिवसीय पाठशाला में आंदोलन का नया पाठ्यक्रम यहां पाठशाला में पहुंचे किसान संगठनों के नेताओं सहित देशभर के किसानों के सामने प्रस्तुत किया गया । इस किसान पाठशाला की सबसे खास बात यह रही है कि किसान नेता राकेश टिकैत मॉनिटर की भूमिका में छाए रहे। किसान महापंचायत रूपी इस पाठशाला की एक और भी अलग खासियत यह रही कि न तो मंच पर किसी किसान नेता के बैठने के लिए कुर्सी मौजूद थी , इसी प्रकार से पाठशाला में देशभर के विभिन्न राज्यों से जितने भी किसान पहुंचे उन्होंने भी जमीन पर ही बैठ कर इस विशाल और खुली किसान पाठशाला में बताए गए आगामी किसान आंदोलन के पाठ्यक्रम को सुना और समझा। पाठ्यक्रम को समझने के साथ ही अपने हक हकूक के इस आंदोलन में सफल होने का भी संकल्प लिया गया।

जानकारों के मुताबिक महापंचायत के इतिहास में अपनी ही तरह की शिक्षक दिवस के मौके पर आहूत इस महापंचायत में किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता नहीं होना देश के दूसरे राष्ट्रपति और शिक्षक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रति किसानों की एक प्रकार से श्रद्धांजलि ही मानी जा रही है । संयुक्त किसान मोर्चा की पाठशाला के मंच से विभिन्न किसान नेताओं के द्वारा  केवल किसान, किसान की दोगुनी आमदनी, बेरोजगारी, पूंजीवाद के खिलाफ और अपने हक हकूक की ही बात कही गई । किसान महापंचायत के मॉनिटर किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने हाथों में विभिन्न प्रकार के पोस्टर दिखाते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि जो कुछ भी केंद्र सरकार करना चाह रही है , उसको किसी भी कीमत पर किसान स्वीकार नहीं करेगा । मंच से यह भी कहा गया कि यूपी अभी तक देश को कई प्रधानमंत्री बनाने का काम कर चुकी है। यूपी जब प्रधानमंत्री बनाना भी जानती है तो फिर प्रधानमंत्री को हटाने का काम भी यूपी के द्वारा किया जा सकता है ।

भारत में जितने भी सरकारी उपक्रम और उद्यम है, केंद्र सरकार योजनाबद्ध तरीके से सभी का प्राइवेटाइजेशन करते हुए पूंजीपतियों को सौंपती जा रही है । जबकि देश में बेरोजगारी और महंगाई पर कोई नियंत्रण नहीं हो पा रहा है । आज भी किसानों का कई हजार करोड़ रुपए का भुगतान सरकार के पास लटका हुआ है । पीएम मोदी के द्वारा नए कृषि कानून लागू करते समय दावा किया गया था की वर्ष 2022 से किसानों की आमदनी दोगुना हो जाएगी, अब किसान भी 1 जनवरी 2022 से अपनी सभी उपज को दोगुना दाम पर ही बेचने का काम भी करेगा । विभिन्न किसान नेताओं ने मंच से कहा मुजफ्फरनगर जेसीआई मैदान में पहुंचे देश भर के लाखों किसानों ने यह साबित कर दिया है कि किसान आंदोलन समाप्त नहीं हुआ, पहले दिन की तरह ही आंदोलन जारी है और जब तक केंद्र सरकार के द्वारा थोपे गए कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा और किसान अपने घर भी नहीं लौटेगा ।

किसान नेताओं ने कहा कि मुजफ्फरनगर के जेसीआई मैदान में आहूत किसान महापंचायत निश्चित ही मील का पत्थर साबित होगी। संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत रूपी पाठशाला के मंच से यह भी ऐलान किया गया कि देश को पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली नहीं बनने दिया जाएगा । अब देखना यह है कि संयुक्त किसान मोर्चा कि इस ऐतिहासिक और विशाल महापंचायत में एकजुट हुए देशभर के किसानों के तेवर को देखते हुए केंद्र की सरकार अपने बनाए हुए कृषि कानूनों को लेकर क्या और किस प्रकार की रणनीति को अमलीजामा पहनाने का काम करेगी।

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