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ईज ऑफ डूईंग के साथ ईज ऑफ लीविंग की आवश्यकता: बोधराज सीकरी

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ईज ऑफ डूईंग के साथ ईज ऑफ लीविंग की आवश्यकता: बोधराज सीकरी 
-महामारी से आई मंदी के बीच निजी क्षेत्र बन सकता है सेतू
-आत्मनिर्भर भारत-भविष्य की योजना पर केंद्र-राज्यों का समन्वय बेहतर
प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम। प्रसिद्ध उद्योगपति, सामाजिक चिंतक एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बोधराज सीकरी का कहना है कि बोधराज सीकरी ने कहा कि हमें प्रतिस्पर्धी, सहकारी संघवाद को न केवल राज्यों के बीच लाने का प्रयास करना होगा, देश को वैश्विक अवसरों को पाने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस प्राप्त करने के साथ-साथ ईजी ऑफ लीविंग प्राप्त करने की आवश्यकता है।  
यहां जारी वक्तव्य में श्री सीकरी ने कहा कि देश में कोरोना महामारी के साथ जो आर्थिक मंदी आई है, उसने देश को प्रभावित तो किया है, लेकिन देश ने हार नहीं मानी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का ही यह परिणाम है कि आज सब फिर से उठ रहे हैं। निजी क्षेत्र भी इस दौर में एक सेतू का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया कि एक ठोस नीति ढांचे की आवश्यकता है। इस संदर्भ में केंद्र और राज्यों के बीच सामंजस्य बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए निजी क्षेत्र को बढऩे देना चाहिए और राज्यों और केंद्र दोनों को उनका समर्थन करना चािहए। बोधराज सीकरी कहते हैं कि राज्य सरकारों को आत्मनिर्भर भारत के मिशन में भाग लेने के लिए निजी क्षेत्र के अवसर प्रदान करने होंगे। यह हमारे राष्ट्र की साख की भी की बात है। जिस तरह से हमने कोरोना की दवा बनाकर दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है, इससे भारत की अच्छी छवि पूरी दुनिया के सामने बनी। 
श्री सीकरी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं किभारत के नागरिकों के लिए हमें जीवन जीने में आसानी और बेहतर प्रयास करना चाहिए। यह हम भारतीयों की आकांक्षाओं को प्राप्त करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगा। पिछले कुछ वर्षों में बैंक खाते खोलने, टीकाकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि, मुफ्त बिजली कनेक्शन, मुफ्त गैस कनेक्शन जो गरीबों को सशक्त किया है, उनके जीवन में बहुत बदलाव आए हैं। उनका जीवन आसान हुआ है। इसी प्रकार बजट के लिए सकारात्मकता देश में दिखी है। यह साबित करता है कि देश अब पिछला समय भूलकर आगे बढऩा चाहता है। प्रगति करना चाहता है। समय नहीं गंवाना चाहता। युवाओं की इसमें अहम भूमिका सामने आ रही है। श्री सीकरी के मुताबिक जिस तरह से रोजाना हम प्रधानमंत्री को पढ़, सुन रहे हैं, उससे साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में कृषि, बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, मानव संसाधन विकास, जमीनी स्तर पर सेवा वितरण, स्वास्थ्य और पोषण शामिल हैं। उनकी यही सोच देश में उनकी साख को मजबूत बनाए हुए है। 

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