जी ए वी पब्लिक स्कूल सैक्टर 05 युनिट 2 में धुमधाम से मनाया नवरात्री का त्यौहार
प्रधान संपादक योगेश
गुरूग्राम के जी ए वी पब्लिक स्कूल सैक्टर 05 युनिट 2 में नवरात्री का त्यौहार धुमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम से पहले माता को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया। हवन यज्ञ के बाद कन्याओं को भोज कराने के बाद भंडारा शुरू किया गया भंडारे में सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया
इस कार्यक्रम मे जीएवी ग्रुप ऑफ स्कूल संस्थापक अध्यक्ष अशोक शर्मा एवं नरेश कौशिक चेयरमैन जीएवी ग्रुप ऑफ स्कूल व जी ए वी पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर धर्मेन्द कोशिक व स्कूल प्रधानाचार्य ने मिलकर मुख्य अतिथि के रूप मे डॉ अंशु सिंगला डीसीपी मुख्यालय के रूप मे शिरकत की
वहीं विशिष्ट अतिथि कें रूप मेरिचा वशिष्ठ रेलवे सलाहकार समिति सदस्य भारत सरकार ,नवीन गोयल प्रमुख पर्यावरण संरक्षण, सुमन एसएचओ सैक्टर 51 अतिथि, ,सिमरन कौर ऐसीपी गुरुग्राम , मुकेश कटारिया ,एसडीओ निखिल शर्मा हरेरा ,सब इस्पेक्टर चंदन सिह पालम विहार, सब इस्पेक्टर सीपी कार्यालय ब्रहम शर्मा, विंग कमांडर अतुल यादव कार्यक्रम मे उपस्थित होने पर फुल भंेट कर उनका सम्मान किया।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलित करके की गई। कार्य्रेक्रम के दौरान बच्चो ने रंगारग कार्यक्रम का आयोजन किया कार्यक्रम मे आए मुख्य अतिथियो ने बच्चो की प्रस्तुति देखकर गदगद हो गए। कार्यक्रम के दौरान बच्चो ने अपनी मेहनत से आए हुए मुख्य अतिथियो अभिभावको का मन मोह लिया।
कार्यक्रम मे आए हुए मुख्य अतिथियो ने अपने विचार रखे और बताया कि नवरात्रि का अर्थ होता है ‘नौ रातें’, इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्तिध्देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है
जी ए वी पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर धर्मेन्द कोशिक ने बताया कि नवरात्रि दो शब्दों से मिलकर बना है, नव और रात्रि। नव का अर्थ है नौ या नव का शाब्दिक अर्थ नया भी होता है। और रात्रि शब्द में पुनः दो शब्द हैं, रा और त्रि। रा का अर्थ है रात और त्रि का अर्थ है जीवन के तीन पहलू- शरीर, मन और आत्मा। शारदीय नवरात्रों में दिन छोटे होने लगते है। मौसम में परिवर्तन शुरू हो जाता है, प्रकृति में ठंड का एहसास होने लगता है। मौसम के परिवर्तन का प्रभाव लोगों को प्रभावित न करे, इसलिए प्राचीन काल से ही इन दिनों में नौ दिनों के उपवास का भी विधान है।
जी ए वी पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर धर्मेन्द कोशिक ने बताया कि हिंदू धर्म में नवरात्रि एक साल में चार बार आते हैं लेकिन चौत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. हिंदू नववर्षक की शुरुआत चौत्र नवरात्रि से मानी जाती है. वहीं शारदीय नवरात्रि का भी अलग महत्व है. कहा जाता है क शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है और धरती को उनका मायका कहा जाता है. उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है. श्रध्दालु पहले दिन कलश स्थापना कर इन नौ दिनों तक व्रत-उपवास करते हैं.
हिंदू धर्म में आदिशक्ति की आराधना का बड़ा महत्व है। माता को जगत जननी, शक्ति का प्रतीक, धन और सुख समृद्धि का स्वरूप माना जाता है। इसलिए नवरात्रि में कन्या पूजन भी किया जाता है। मान्यता है कि जिस घर में देवी पूजा होती है, वहां हमेशा खुशहाली बनी रहती है लेकिन नवदुर्गा की पूजा मात्र से घर में सुख शांति और समृद्धि नहीं आती। नवरात्रि में इंसान अपने अंदर की नकारात्मकता पर विजय प्राप्त कर सकता है और स्वयं के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कर सकता है। जिस तरह मां के गर्भ में नौ महीने पलने के बाद ही एक जीव का निर्माण होता है ठीक वैसे ही ये नौ दिन हमें अपने मूल रूप, अपनी जड़ों तक वापस ले जाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन नौ दिनों का ध्यान, सत्संग, शांति और ज्ञान प्राप्ति के लिए उपयोग करना चाहिए।
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