राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
क्या है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है।
जिसकी स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्टूबर, 1993 को की गई थी।
मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित हैं।
यह संविधान द्वारा दिये गए मानवाधिकारों जैसे – जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार आदि की रक्षा करता है और उनके प्रहरी के रूप में कार्य करता है।
क्या होते हैं मानवाधिकार ?
संयुक्त राष्ट्र (UN) की परिभाषा के अनुसार ये अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त हैं।
मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं।
कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हक़दार होता है
मानवाधिकारों का इतिहास
मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ है।जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर, 1948 को पेरिस में अपनाया गया था।
मानव अधिकारों के इतिहास में यह बहुत महत्त्वपूर्ण घोषणा है, क्योंकि इसके द्वारा ही पहली बार मानव अधिकारों को सुरक्षित करने का प्रयास किया गया था।
प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को UDHR की सालगिरह के रूप में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
1991 में पेरिस में हुई संयुक्त राष्ट्र की बैठक ने सिद्धांतों का एक समूह (जिन्हें पेरिस सिद्धांतों के नाम से जाना जाता है) तैयार किया जो आगे चलकर राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की स्थापना और संचालन की नींव साबित हुए।
इन्हीं अधिकारों का अनुसरण करते हुए भारत में मानवाधिकारों में अधिक जवाबदेही और मज़बूती लाने के उद्देश्य से मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 बनाया गया।
यह अधिनियम सभी राज्य सरकारों को भी राज्य मानवाधिकार आयोग बनाने का अधिकार देता है।
NHRC की संरचना
NHRC एक बहु-सदस्यीय संस्था है जिसमें एक अध्यक्ष सहित 7 सदस्य होते हैं।यह आवश्यक है कि 7 सदस्यों में कम-से-कम 3 पदेन (Ex-officio) सदस्य हों।
अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों के आधार पर की जाती है।
अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की उम्र, जो भी पहले हो, तक होता है।
इन्हें केवल तभी हटाया जा सकता है जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की जाँच में उन पर दुराचार या असमर्थता के आरोप सिद्ध हो जाएं।
इसके अतिरिक्त आयोग में पाँच विशिष्ट विभाग (विधि विभाग, जाँच विभाग, नीति अनुसंधान और कार्यक्रम विभाग, प्रशिक्षण विभाग और प्रशासन विभाग) भी होते हैं।
राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के परामर्श पर की जाती है।
NHRC के कार्य और शक्तियाँ
मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कोई मामला यदि NHRC के संज्ञान में आता है या शिकायत के माध्यम से लाया जाता है तो NHRC को उसकी जाँच करने का अधिकार है।
इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
आयोग किसी भी जेल का दौरा कर सकता है और जेल में बंद कैदियों की स्थिति का निरीक्षण एवं उसमे सुधार के लिये सुझाव दे सकता है।
NHRC संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा मानवाधिकारों को बचाने के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर सकता है और उनमें बदलावों की सिफारिश भी कर सकता है।
NHRC मानवाधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य भी करता है।
आयोग प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों और अन्य माध्यमों से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकारों से जुड़ी जानकारी का प्रचार करता है और लोगों को इन अधिकारों की सुरक्षा के लिये प्राप्त उपायों के प्रति भी जागरूक करता है।
आयोग के पास दीवानी अदालत की शक्तियाँ हैं और यह अंतरिम राहत भी प्रदान कर सकता है।
इसके पास मुआवज़े या हर्जाने के भुगतान की सिफ़ारिश करने का भी अधिकार है।
NHRC की विश्वसनीयता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके पास हर साल बहुत बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज़ होती हैं।
यह राज्य तथा केंद्र सरकारों को मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठाने की सिफ़ारिश भी कर सकता है।
आयोग अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करता है जिसे संसद के दोनों सदनों में रखा जाता है
NHRC की सीमाएँ
NHRC के पास जाँच करने के लिये कोई भी विशेष तंत्र नहीं है।
अधिकतर मामलों में यह संबंधित सरकार को मामले की जाँच करने का आदेश देता है।
पीड़ित पक्ष को व्यावहारिक न्याय देने में असमर्थ होने के कारण भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने इसे ‘India’s teasing illusion’ की संज्ञा दी है।
NHRC के पास किसी भी मामले के संबंध में मात्र सिफारिश करने का ही अधिकार है, वह किसी को निर्णय लागू करने के लिये बाध्य नहीं कर सकता।
कई बार धन की अपर्याप्ता भी NHRC के कार्य में बाधा डालती है।
NHRC उन शिकायतों की जाँच नहीं कर सकता जो घटना होने के एक साल बाद दर्ज कराई जाती हैं और इसीलिए कई शिकायतें बिना जाँच के ही रह जाती हैं।
अक्सर सरकार या तो NHRC की सिफारिशों को पूरी तरह से खारिज कर देती है या उन्हें आंशिक रूप से ही लागू किया जाता है।
राज्य मानवाधिकार आयोग केंद्र सरकार से किसी भी प्रकार की सूचना नहीं मांग सकते, जिसका सीधा सा अर्थ यह है कि उन्हें केंद्र के तहत आने वाले सशस्त्र बलों की जाँच करने से रोका जाता है।
केंद्रीय सशस्त्र बलों के संदर्भ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की शक्तियों को भी काफी सीमित कर दिया गया है।
सुझाव
NHRC को सही मायनों में मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक कुशल प्रहरी बनाने के लिये उसमें कई सुधार करने की आवश्यकता है।
सरकार द्वारा आयोग के निर्णयों को पूरी तरह से लागू करके उसकी प्रभावशीलता में वृद्धि की जा सकती है।
NHRC की संरचना में भी परिवर्तन करने की आवश्यकता है तथा इसमें आम नागरिकों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
NHRC को जाँच के लिये उचित अनुभव वाले कर्मचारियों का एक नया कैडर तैयार करना चाहिए ताकि सभी मामलों की स्वतंत्र जाँच की जा सके।
भारत में मानवाधिकार स्थितियों को सुधारने और मजबूत करने के लिये राज्य अभिकर्त्ताओं और गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं (State & Non-state Actors) को एक साथ मिलकर काम करना होगा।
[11:51 AM, 3/25/2022] +91 78277 25967: बिहार में 40 हजार प्रधान शिक्षक भर्ती का नोटिफिकेशन जारी, देखें आवेदन की पूरी जानकारी
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बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने प्राइमरी स्कूलों में प्रधान शिक्षक (Head Teacher) की भर्तियां निकाली है. इसके लिए आयोग ने एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया है. नोटिफिकेशन के मुताबिक हेड टीचर के 40506 पदों पर भर्तियां की जाएंगी.
इच्छुक और योग्य उम्मीदवार राजस्थान भर्ती बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट www.bpsc.bih.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. हेड टीचर के पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन 28 मार्च 2022 से शुरू होने जा रहे हैं. वहीं इसकी आखिरी तारीख 22 अप्रैल 2022 है.
महत्वपूर्ण तारीखें
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ऑनलाइन आवेदन शुरू होने की तारीख
28 मार्च 2022
ऑनलाइन आवेदन की आखिरी तारीख
22 अप्रैल 2022
शैक्षणिक योग्यता-
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इन पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवार पास किसी भी मान्यता प्राप्त विद्यालय से कम से कम 50% अंकों के साथ ग्रेजुएट होना चाहिए. आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों को न्यूनतम निर्धारित अंक में 5 प्रतिशत की छूट दी जाएगी. इसके अलावा उम्मीदवार के पास डीएलएड, बीटी, बीएड, बीएएड, बीएससीएड या बीएलएड की डिग्री होनी चाहिए. अधिक शैक्षणिक योग्यता व इस भर्ती से संबंधित अधिक जानकारी के लिए अभ्यर्थी जारी आधिकारिक नोटिफिकेशन को चेक कर सकते हैं.
पदों का विवरण
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कैटेगरी पद
सामान्य वर्ग 16204
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग 4048
एससी 6477
एसटी 418
ईबीसी 7290
बीसी 4861
बीसी महिला 1210
दिव्यांग के लिए भी चार प्रतिशत सीट आरक्षित है-
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कैटेगरी पद
दृष्टि बाधित 421
मूक बधिर 410
अस्थि दिव्यांग 397
इसके अलावा स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें केंद्र द्वारा पेंशन स्वीकृत है उनके पोता, पोती, नाती और नतीनी के लिए 2% सीट यानी 810 सीट आरक्षित है.
आयु सीमा –
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इन पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की आयु 1 अगस्त 2021 से वार्ध्दक्य सेवानिवृत्त की उम्र 60 वर्ष से कम होनी चाहिए.
कैसे किया जाएगा चयन –
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हेड टीचर के पदों पर चयन लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाएगा. इसके लिए कोई इंटरव्यू नहीं लिया जाएगा. उम्मीदवारों की मेरिट सूची तैयार की जाएगी.
आवेदन शुल्क –
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अनुसूचित जाति वर्ग और महिला उम्मीदवारों को 200 रुपये का भुगतान करना होगा. जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों और अन्य राज्यों के उम्मीदवारों को आवेदन शुल्क के रूप में 750 रुपये का भुगतान करना होगा. दिव्यांग उम्मीदवारों को 200 रुपये देने होंगे. परीक्षा शुल्क का भुगतान केवल डेबिट कार्ड / क्रेडिट कार्ड / नेट बैंकिंग के माध्यम से किया जाएगा.
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