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महाशिवरात्रि पर्व पर एक लाख से अधिक भक्तों ने किया अभिषेक

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महाशिवरात्रि पर्व पर एक लाख से अधिक भक्तों ने किया अभिषेक

करोना कॉल में मंदिर बंद रहने से गुरुवार को अनगिनतं पहुंचे भक्त

मनोकामना पूर्ण होने और मन्नत मांगने के लिए किया गया अभिषेक

नवविवाहित दंपतियों सहित मातृत्व सुख प्राप्त महिलाओं में विशेष श्रद्धा

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
 भगवान श्री राम के जन्म स्थल का मामला हो या फिर सोमनाथ के मंदिर का मामला हो । भारत में एक से बढ़कर एक चमत्कारिक स्वयंभू स्थापित और प्रकट देवी देवताओं के उद्गम स्थल अर्थात मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था विश्वास का केंद्र बने हुए हैं ।

फागुन माह की त्रयोदशी गुरुवार को पटौदी देहात के गांव इच्छापुरी में स्थित स्वयंभू स्थापित भगवान शिव शंकर का अभिषेक, रुद्राभिषेक , जलाभिषेक करने के लिए उत्तर भारत के विभिन्न स्थानों से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला बुधवार मध्य रात्रि से आरंभ होने के साथ ही महादेव का अभिषेक करने लिये आरंभ हो गया । एक अनुमान के मुताबिक एक लाख से अधिक बच्चों, युवतियों, महिलाओं, बुजुर्गों , नव दंपति और अपने प्रथम शिशु को भगवान शंकर का आशीर्वाद दिलवाने और अभिषेक करने के लिए शिवभक्त श्रद्धालु पौराणिक महत्व के इच्छापुरी शिव मंदिर पहुंचे। यहां श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला गुरुवार को दिन ढलने तक जारी रहा ।

सबसे अधिक खास बात यह रही कि करोन कोविड-19 महामारी संक्रमण से बचाव के लिए तमाम देवस्थल और मंदिरों के पट खुलने और पूजन इत्यादि पर पाबंदियां लगा दी गई थी । ऐसे में करीब डेढ़ वर्ष के बाद गुरुवार को ऐसा मौका शिव भक्तों श्रद्धालुओं को मिला कि वह अपनी पूरी हुई मन्नत और अपने अटके हुए कामों को पूरा करने की प्रार्थना के लिए इंछा पुरी के शिव मंदिर में पहुंचे । इस दौरान व्यवस्था बनाने के लिए मंदिर संचालन ट्रस्ट के रमेश गर्ग, शिव कुमार गुप्ता, नीरज गोयल, नरेश पिंटू, पटोदी पंचायत समिति के चेयरमैन राकेश यादव, जिला पार्षद दीपचंद, सरपंच बिजेंदर , श्रीपाल चैहान , सहित मेजबान पुजारी और स्वयंसेवकों ने पुलिस प्रशासन और नागरिक प्रशासन के साथ शिव भक्तों की सुविधा के लिए व्यवस्था को सुचारू बनाए रखा ।

इस पौराणिक महत्व के इच्छापुरी शिव मंदिर का इतिहास और स्वयंभू स्थापित शिवलिंग के अनेकानेक चमत्कार देखने वाले भगवान शंकर के भक्त ऐसा कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते , उन्हें जब  इस मंदिर में स्वयंभू स्थापित भगवान शंकर के अभिषेक का मौका प्राप्त हो । गुरुवार को भी जिला गुरुग्राम ही नहीं आसपास के जिलों और राज्यों से भी अनगिनत संख्या में विभिन्न आयु वर्ग के श्रद्धालु यहां अभिषेक करने के लिए पहुंचे। इस मौके पर दो घड़ धारण किए अभिषेक के लिए पहुंची नवविवाहिता और अन्य महिलाएं भी देखी गई । दोघड़ से अभिषेक करने का भी एक अपना ही अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बताया गया है ।

अतीत से लेकर इंछा पुरी के मौजूदा स्थान पर स्थापित शिवलिंग खेत की खुदाई के दौरान हल का फल अटकने से प्रकट हुआ । इसे सामान्य पत्थर समझ कर उस समय के प्रकांड विद्वान को बुलाकर जब पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई तो उन्होंने पूरे रहस्य से पर्दा हटाते हुए आह्वान किया कि यह कोई सामान्य पत्थर नहीं है । वास्तव में यह स्वयं प्रकट हुए महादेव हैं और इन्हें यहीं पर ही प्राण प्रतिष्ठित कर इनका अभिषेक किया जाए । तब से लेकर अब तक यह परंपरा चलती आ रही है , लेकिन समय के मुताबिक और यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए तमाम प्रकार की सुविधाएं भी मंदिर ट्रस्ट प्रबंधन समिति के द्वारा उपलब्ध करवाने का सिलसिला आज भी जारी है । अनेक श्रद्धालुओं ने यहां बातचीत के दौरान बताया कि किस प्रकार से इच्छापुरी के चमत्कारिक बाबा भोले ने उनके सभी कार्यों को सहजता से पूरा किया, अब वह अभिषेक करने के लिए पहुंचे हैं । वर्तमान में शिवलिंग के साथ में मां गौरा – पार्वती की भी प्राण प्रतिष्ठा विद्वान धर्माचार्य और ज्योतिष आचार्यों सहित पंडितों से विचार-विमर्श के बाद की हुई है । इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि महाशिवरात्रि पर्व के दिन ही भगवान शंकर और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था ।

वही महामंडलेश्वर धर्मदेव का कहना है कि भगवान शंकर को भोला भाला भी कहा जाता है । भोला इसलिए कहा जाता है कि भगवान शिव इतने सरल और जल्द प्रसन्न होने वाले देवता की मात्र एक लोटा जल अर्पित करने से ही प्रसन्न होकर भक्तों के द्वारा मांगी गई मन्नत को पूरा करने का आशीर्वाद प्रदान कर देते हैं । मनोकामना पूर्ण करने और आशीर्वाद देने के उपरांत ही बाबा भोले विचार भी करते हैं जब दिए गए आशीर्वाद के फल और प्रतिफल का विवेचन किया जाता है । भोले के साथ भाला वाला शब्द का तात्पर्य यही है कि भगवान शंकर जितने भोले हैं, उनके इस भोलेपन मैं दिए गए मनोकामना पूर्ण के आशीर्वाद का कोई भी गलत उपयोग करता है तो फिर भाला भी उस अधर्मी का संहार करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है । गुरुवार को बोहड़ा कला महाकाल मंदिर, श्री श्याम मंदिर टोडापुर , प्राचीन शिव मंदिर हेली मंडी अनाज मंडी , बाबा हरदेवा मंदिर डेडा वाला मंदिर सहित सभी ऐसे मंदिरों में शिव भक्त सुबह से ही महादेव का अभिषेक करने के लिए पहुंचे जहां जहां भी भगवान शंकर के साथ शिव परिवार की प्राण प्रतिष्ठा की हुई है ।

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