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100 से अधिक दिव्यांगजनों ने प्रतिभा और कौशल का प्रदर्शन किया

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100 से अधिक दिव्यांगजनों ने प्रतिभा और कौशल का प्रदर्शन किया

भारत ने फ्रांस में 10वें अंतर्राष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स में इतिहास बना 7 पदक हासिल किए
नॉर्थ ज़ोन रीजनल एबिलंपिक्स प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया
उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 22 प्रतिभागियों ने गोल्ड, सिल्वर और ब्रोंज़ मेडल जीतेफतह सिंह उजाला 
गुरुग्राम 15 दिसंबर । नेशनल एबिलिम्पिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित नॉर्थ ज़ोन रीजनल एबिलिम्पिक्स का समापन उत्साह के साथ हुआ, जिसमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर जैसे विभिन्न उत्तरी राज्यों के लगभग 100  दिव्यांगजनों ने भाग लिया। एनएएआई  ने फिनलैंड में आयोजित होने वाले 11 वें अंतर्राष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स (2027) के चयन के लिए अगला चक्र शुरू कर दिया । क्षेत्रीय स्तर पर प्रतिभागियों ने आईसीटी क्राफ़्ट, हॉस्पिटैलिटी एंड सर्विसेस के तहत 15 कौशल श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा की। विभिन्न कौशलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 22 उत्कृष्ट प्रतिभागियों ने गोल्ड, सिल्वर और ब्रोंज़ मेडल जीते। एबिलिम्पिक्स को विशेष रूप से दिव्यांगजन समुदाय के बीच सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा की पहचान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो बाद के चरण में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।दो दिवसीय कार्यक्रम, दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण विभाग- डिपार्टमेंट ऑफ एंपावरमेंट ऑफ पर्सन्स विद डिसेबिलिटीस , एनएएआई, और सार्थक के द्वारा संयुक्त प्रयास के तहत आयोजित किया गया। इन प्रतियोगिताओं का आयोजन 8 और 9 दिसंबर,  को गुरुग्राम,  सेक्टर 45 में नए लॉन्च किए गए सार्थक ग्लोबल रिसोर्स सेंटर सीआरसी में दिव्यांगता पर 10 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर किया गया था, जिसका औपचारिक उद्घाटन भारत के  उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ ने किया । उत्तर क्षेत्र के गोल्ड मेडलिस्ट में कढ़ाई में नसरुल गफ्फार शेख (काश्मीर), ‘पेंटिंग’ के लिए राम रघुबीर मिश्रा (लखनऊ, यूपी), अंकिता कटनोरिया (दिल्ली) ‘वेस्ट रीयूज़’, वनिता (देहरादून) फूलों से सजावट, और कुकिंग के लिए अमन साहू (ग्वालियर) शामिल थे।
डॉ. जितेंदर अग्रवाल, महासचिव एनएएआई और संस्थापक सीईओ, सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट ने बतलाया, “एबिलिम्पिक्स केवल कौशल दिखाने के बारे में नहीं है; यह सीमाओं को पार जा सकने वाले दृढ़ संकल्प और अविश्वसनीय क्षमताओं का जश्न है। भारत ने फ्रांस में 10वें अंतर्राष्ट्रीय एबिलिम्पिक्स में इतिहास बनाया, जहां इसने 13 सदस्यीय टीम के साथ 7 पदक हासिल किए। आगे, भारत का लक्ष्य प्रतिभा, प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता की खोज को जारी रखते हुए 2027 इंटरनेशनल एबिलिम्पिक्स में बड़ी संख्या में भाग लेना है। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 27 देशों के 428 प्रतिभागियों ने भाग लिया और भारत ने समग्र पदक तालिका में 7वां स्थान हासिल किया। दिव्यांगजनों की देश में की कुल आबादी का 5 प्रतिशत से अधिक हैं और उन्हें काम करने और आजीविका कमाने के लिए प्रशिक्षण या कौशल सीखकर आत्म-सम्मान अर्जित करने के अवसर देने के लिए उन तक पहुंचने की ज़रूरत है। कौशल विकास न केवल रोजगार के दरवाजे खोलता है, बल्कि दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को भी बढ़ाता है। दूसरी ओर, वित्तीय सशक्तिकरण, उन्हें आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिए उपकरण प्रदान करता है। मुख्य अतिथि श्री राजेश अग्रवाल, सचिव, दिव्यांग जन विभाग, भारत सरकार ने दिव्यांगजनों को संबोधित करते हुए कहा, “गरिमापूर्ण जीवन के लिए क्षमता और उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करें। शिक्षा, व्यावसायिक स्ट्रीम या इंटरप्रेनरशिप चुनें और अपनाएं। आरक्षण के कारण आने वाले समय में निजी क्षेत्र में और अधिक नौकरियां आएंगी। पश्चिम क्षेत्र क्षेत्रीय एबिलिम्पिक्स कौशल प्रतियोगिताएं पणजी, गोवा में 11 से 13 जनवरी, 2024 को अंतर्राष्ट्रीय पर्पल फ़ेस्ट, गोवा-2024 के मौके पर आयोजित की जाएंगी, जो भारत का अपनी तरह का पहला समावेशी उत्सव है। यह दिव्यांग जनों का जश्न मनाता है, आपको असीम संभावनाओं की दुनिया में आमंत्रित करता है, जहां एकता केंद्र में है, और विविधता का खुले दिल से उत्सव मनाया जाता है। यह आयोजन दिव्यांगजनों के अस्तित्व, कौशल तथा एक समावेशी समाज बनाने में एक अनूठी पहल है।

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