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मोदी-मनोहर, यह धरती पुत्र किसान ही हैं, और कोई तो नहीं

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मोदी-मनोहर, यह धरती पुत्र किसान ही हैं, और कोई तो नहीं !

एक दिन पहले किसान और पुलिस के बीच 8 घंटे हाई वोल्टेज ड्रामा

किसानों सहित महिलाओं को विभिन्न थानों में 8 घंटे रखा राउंडअप

पीएम आवास जाने के लिए किसान और पुलिस के बीच में हुई झड़प
 
पीएम मोदी के नाम ज्ञापन में सीएम खट्टर की नीयत पर उठाए सवाल

एक बार फिर 9 अक्टूबर संडे को पचगांव में किसानो की महापंचायत

9 अक्टूबर की किसान महापंचायत में हो सकती है कोई बड़ी घोषणा

फतह सिंह उजाला
मानेसर/पचगांव/पटौदी । 
एक तरफ तो आदमपुर उपचुनाव सहित पंचायत चुनाव का बिगुल बजते ही राजनीतिक दल और नेता अपनी जमीन मजबूत करने के लिए सक्रिय हो गए हैं । दूसरी ओर दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे के बगल में मौजूद मनेसर नगर निगम और सब डिवीजन क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के किसान अपनी -अपनी जमीन बचाने के लिए बीते सवा 3 महीने से जमीन पर ही धरना देकर लंगर डाले हुए हैं । किसान बचाओ-जमीन बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में कासन, मोकलवास , सहरावण ,खरखड़ी ,बांसलांबी , कुकड़ोला सहित अन्य गांवों के किसान और किसान परिवार की महिलाएं ,बच्चे ,बुजुर्ग अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं। इनकी एक ही मांग है कि यदि गठबंधन सरकार को जमीन इतनी ही अधिक प्यारी और जमीन की जरूरत है , तो जमीन का बाजार भाव के अनुसार मुआवजे का भुगतान किया जाए या फिर अन्य स्थानों की तरह 1810 एकड़ और 1128 एकड़ जमीन को अधिग्रहण से मुक्त किया जाए या फिर रिलीज कर दिया जाए।

इसी मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार तथा किसान बचाओ-जमीन बचाओ संघर्ष समिति के बीच अपने-अपने तर्क को लेकर जमीन के इस मुद्दे का समाधान नहीं हो पा रहा है। एक दिन पहले बुधवार को पूर्व घोषणा के मुताबिक प्रभावित गांवों के किसान, महिलाएं और परिवार के बुजुर्ग हाथों में तिरंगे झंडे लेकर मानेसर तहसील के सामने से दिल्ली दिल्ली के लिए प्रस्थान करने लग,े तो हरियाणा पुलिस के द्वारा घेराबंदी कर सैकड़ों किसानों को महिलाओं सहित राउंडअप कर विभिन्न थानों में और पुलिस लाइन में ले जाकर रोक दिया गया। हालांकि इस दौरान दिल्ली पीएम मोदी के आवास पर पहुंचकर अपनी बात कहने और मांग पत्र सौंपने की बात पर किसान अड़े रहे। स्थानीय पुलिस प्रशासन के द्वारा इसकी मंजूरी नहीं दी गई । कथित रूप से तर्क दिया गया कि दिल्ली पुलिस के द्वारा दिल्ली में जाने की परमिशन नहीं दी गई है । लगभग 8 घंटे तक गुरुग्राम पुलिस और पीएम मोदी आवास पर जाने के लिए अड़े किसानों और महिलाओं के बीच आंख मिचोली सहित जोर आजमाइश भी होती रही ।

जानकारी के मुताबिक किसानों को राउंडअप करने और विभिन्न थानों में ले जाने सहित पुलिस लाइन में लाने के लिए 5 बसों की व्यवस्था की गई थी । इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद रहा । दिल्ली पीएम आवास पर जाने के लिए किसान बचाओ-जमीन बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों में पहलाद, भूपेंद्र, सुंदर पाल, सत्यदेव, रोहतास ,प्रदीप एडवोकेट, रोशन थानेदार, राजवीर मानेसर सहित अन्य के द्वारा आरोप लगाया गया कि पुलिस के द्वारा महिलाओं के साथ हाथापाई करते हुए कथित रूप से हल्का लाठीचार्ज कर जबरदस्ती बसों में ठूंस ठूंस कर पुलिस थानों में ले जाया गया । हालांकि इस दौरान किसान परिवार की महिलाओं और पुलिस सहित महिला पुलिस बल के बीच में जबरदस्त तरीके से खींचतान होती रही। पुलिस पर यहां तक आरोप लगाए गए हैं कि पुलिस के द्वारा शांति पूर्वक चल रही महिलाओं और बैठी महिलाओं से हाथापाई करते हुए हल्का बल प्रयोग इस्तेमाल कर जबरदस्ती बसों में या अन्य वाहनों से राउंडअप किया गया । किसानों की मानें तो किसानों को पुलिस लाइन, खेड़की दौला थाना, मानेसर थाना, सहित अज्ञात स्थानों पर भी ले जाकर राउंडअप किया गया ।

इससे पहले भी किसान बचाओ जमीन बचाओ कमेटी के द्वारा बीती 31 अगस्त को देश की राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू के नाम इच्छा मृत्यु का ज्ञापन गुरुग्राम के डीसी के माध्यम से सौंपा गया। इसके बाद भी कम से कम बुधवार से पहले तक दो बार किसानों की बड़ी बैठक अथवा पंचायत भी आयोजित हुई । 4 अक्टूबर को भी गांव कासन, मोकलवास, सहरावन , खरखड़ी , बांस लांबी, कुकड़ोला व अन्य गांव की अनेक महिलाओं के द्वारा पटौदी के एमएलए तथा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के मानेसर आवास पर पहुंचकर 1810 एकड़ जमीन को अधिग्रहण के दायरे से मुक्त करने या फिर प्रति एकड़ 11 करोड़ सरकार से मुआवजा दिलवाने का अनुरोध पत्र के रूप में ज्ञापन सौंपा गया। हालांकि मानेसर की इस कथित विवादित जमीन के मुद्दे को एमएलए एडवोकेट जरावता के द्वारा विधानसभा में भी उठाया जा चुका है । इसके अलावा किसान बचाओ-जमीन बचाओ संघर्ष समिति की एचएसआईडीसी और सीधे हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ भी आमने-सामने की बातचीत हो चुकी है । लेकिन इस जमीन के मामले का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है ।

जिस प्रकार से हरियाणा से दक्षिणी हरियाणा के राव इंद्रजीत सिंह जो कि मोदी मंत्रिमंडल में वजीर हैं , उनके अभेद्य राजनीतिक गढ़ पटौदी जहां से 1967 में राव इंद्रजीत सिंह के स्वर्गीय पिता राव बिरेंदर सिंह चुनाव जीतकर हरियाणा के सीएम भी रह चुके हैं । अब उसी राजनीतिक गढ़ के मानेसर और इसके आसपास के इलाके में जमीन के मुद्दे को लेकर माहौल पूरी तरह से गर्म होता चला जा रहा है । पचगांव में 18 सितंबर को भी आसपास के 72 गांवों की महापंचायत का आयोजन हो चुका है । अब इसी कड़ी में आगामी 9 अक्टूबर संडे को एक बार फिर से किसान महापंचायत का आयोजन का बिगुल फूंका गया है । जानकारों की माने तो जिस प्रकार से आदमपुर उपचुनाव के साथ ही पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है , इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस बात से भी इनकार नहीं की किसान और जमीन आंदोलन को देखते हुए 9 अक्टूबर सुपर संडे को किसान महापंचायत के मंच से कोई बड़ी घोषणा भी की जा सकती है । इस बात से भी इनकार नहीं की जो घोषणा की जाए वह हरियाणा में घोषित हो चुके चुनावों के माहौल सहित किसी भी राजनीतिक पार्टी अथवा दल की हवा का रुख इधर से उधर करने के लिए भी एक इशारा भी हो सकती है ।

बुधवार को गुरुग्राम पुलिस और किसान बचाओ-जमीन बचाओ संघर्ष समिति सहित प्रभावित किसान और किसान परिवारों के बीच चले 8 घंटे तक हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद आखिरकार पुलिस प्रशासन के द्वारा शाम 4.45 बजे के लगभग सभी किसानों और किसान परिवार की महिलाओं को वापस उसी स्थान पर लाकर छोड़ दिया गया, जहां इनके द्वारा बीते करीब सवा 3 महीने से धरना दिया जा रहा है । इसी बीच में पार्लियामेंट थाना दिल्ली से किसान बचाओ जमीन बचाओ कमेटी के पास यह सूचना पहुंचे कि 5 किसानों का प्रतिनिधिमंडल अपना मांग पत्र पार्लियामेंट थाना में आकर सौंप सकता है । लेकिन किसान कमेटी प्रतिनिधिमंडल में अधिक संख्या में किसानों को ले जाने की मांग पर अड़ी रही ।आखिरकार फैसला हुआ कि अधिकतम 7 किसानों की कमेटी या प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पार्लियामेंट थाना में पहुंचकर पीएम मोदी के नाम जो भी मांग पत्र या डिमांड लेटर है , वह सौंप सकता है । इसके बाद ही सत्यदेव, रोहतास, महेद्र पटवारी , प्रदीप एडवोकेट, रोशन थानेदार, राजवीर मानेसर अन्य शामिल किसान प्रतिनिधि मंडल के द्वारा अपना डिमांड लेटर अथवा ज्ञापन पीएम मोदी के नाम सौंपा गया । पीएम मोदी के नाम इस ज्ञापन में अहीरवाल क्षेत्र के किसानों के द्वारा साफ साफ कहा गया है कि वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी को सत्तासीन करने के लिए दक्षिणी हरियाणा में किसान वर्ग के द्वारा सबसे अधिक समर्थन भारतीय जनता पार्टी को दिया गया । किसान भोले हैं और पीएम मोदी की कही हुई प्रत्येक बात पर पूरा भरोसा करते आ रहे हैं , इसी भरोसे पर भरोसा करते हुए वर्ष 2019 में एक बार फिर से अहीरवाल क्षेत्र या फिर दक्षिणी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को किसानों के द्वारा अपना भरपूर प्यार और समर्थन प्रदान किया गया।

लेकिन हरियाणा सरकार के मुखिया सीएम मनोहर लाल खट्टर से जमीन के मामले को लेकर किसानों को निरंतर निराशा ही मिल रही है । किसान बचाओ-जमीन बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में पीएम मोदी से अनुरोध किया गया है कि केवल मात्र 18 10 एकड़ जमीन जो कि प्रभावित किसानों के जीवन यापन ,खेती-बाड़ी, भरण पोषण और रहने के लिए ही है । उस जमीन को अधिग्रहण के दायरे से मुक्त किया जाए या फिर पूरी तरह से रिलीज करवाया जाए । दोनों काम यदि संभव नहीं है, तो फिर किसानों को प्रति एकड़ 11 करोेड़ की दर से इस जमीन का मुआवजा का भुगतान किया जाए । एक प्रकार से देखा जाए तो हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ के बाद अहीरवाल क्षेत्र के किसान अब अपनी बात कहने के लिए दिल्ली की सीमा में भी पहुंचने में सफल हो चुके हैं । ऐसे में किसानों की आने वाले समय में और क्या कुछ रणनीति हो सकती है ? यह भविष्य के गर्भ में छिपा है। इसी कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 4 अक्टूबर को पटौदी के एमएलए को सौंपा गया मांग पत्र, 6 अक्टूबर को पीएम मोदी के नाम दिल्ली पार्लियामेंट थाने में दिया गया डिमांड लेटर और फिर इसके बाद पूर्व घोषणा के मुताबिक 9 अक्टूबर सुपर संडे को एक बार फिर से 1810 एकड़ और 1128 एकड़ जमीन मुझे को लेकर बुलाई गई किसान महापंचायत में क्या और किस प्रकार की घोषणा की जा सकती है ? इसी बात पर ही अब सभी की नजरें टिकी हुई हैं । विशेष रुप से हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन वाली सरकार और दोनों पार्टियों के नेताओं की नजरें और कान लगे हो ना स्वभाविक है । इसी मामले में अन्य तमाम विपक्षी राजनीतिक दल और उनके नेता अपना अपना समर्थन देने के लिए किसानों के बीच भी पहुंच रहे हैं । अब यह तो आने वाली 9 अक्टूबर जिसे की किसान महापंचायत के दृष्टिकोण से सुपर संडे कहना बेहतर होगा, उस दिन किसान महापंचायत में मंथन के बाद क्या कुछ घोषणा की जाएगी ? इसी बात को लेकर सबसे अधिक जिज्ञासा भी बनी हुई है।

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