MLA भाटी ने CM से की CET हटाने की मांग:बोले- यह नौकरी नहीं सम्मान की लड़ाई, बोनस अंक दोबारा लागू हों
बाड़मेर : MLA भाटी ने CM से की CET हटाने की मांग:बोले- यह नौकरी नहीं सम्मान की लड़ाई, बोनस अंक दोबारा लागू हों
बाड़मेर जिले के शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर भर्ती प्रक्रिया में खिलाड़ियों के खेल कोटे को यथावत रखने की मांग की है। 17 व 16 बोनस अंक दुबारा लागू किए जाएग। साथ ही सीईटी को खेल कोटा प्रक्रिया से हटाया जाए। भाटी ने कहा कि इसको लेकर खिलाड़ियों ने मुझसे मिलकर अपनी पीड़ा को जाहिर किया। खिलाड़ियों का कहना है कि नई भर्ती प्रणाली ने खिलाड़ियों के परिश्रम और उपलब्धियों को नकार दिया है, जिससे खेल भावना को गहरी ठेस पहुंची है।
CET हटे, बोनस अंक दोबारा लागू हों
विधायक भाटी ने पत्र में मांग की है कि भर्ती प्रक्रिया से CET परीक्षा को हटाया जाए और पहले की तरह 17 और 16 बोनस अंक खिलाड़ियों को फिर से दिए जाएं।उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों ने उनसे मिलकर बताया कि नई व्यवस्था में अब नेशनल पार्टिसिपेंट्स को भर्ती से बाहर कर दिया गया है और पहले दिए जाने वाले 17 बोनस अंक पूरी तरह समाप्त कर दिए गए हैं। भर्ती अब केवल CET परीक्षा पर आधारित कर दी गई है, जिससे हजारों खिलाड़ियों का भविष्य अधर में लटक गया है।
नई नीति से 94% पद रहे खाली
भाटी में लिखा है कि यह संशोधन खिलाड़ियों के हितों के खिलाफ है और इससे राज्य में खेलों के प्रति उत्साह को गहरा आघात पहुंचा है। विधायक ने लिखा कि पूर्व व्यवस्था में राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को शामिल किया जाता था, लेकिन 2024 और 2025 में निकली भर्तियों राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को योग्य नहीं माना। जिस कारण 2024 की राजस्थान पुलिस कांस्टेबल खेल कोटा भर्ती के 94% पद खाली रह गए थे। 2025 में भी वहीं नियम लागू होने के चलते खिलाड़ियों में भारी असंतोष है। जिसे शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने समझा।
खेल कोटा को पूर्व व्यवस्था के अनुसार बहाल करने की मांग
विधायक ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि पुलिस भर्ती में खेल कोटा को पूर्व व्यवस्था के अनुसार बहाल किया जाए। इस मुद्दे पर खिलाड़ियों ने कहा कि यह केवल नौकरी का प्रश्न नहीं बल्कि सम्मान और अधिकार की लड़ाई है। उनका मानना है कि राज्य के खिलाड़ी देश और प्रदेश का नाम रोशन करने के लिए वर्षों तक मेहनत करते हैं। लेकिन नीतिगत बदलावों से उनके सपनों पर ताला लग गया है
