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बदलती जीवनशैली, काम के बोझ के तनाव से बिगड़ रहा मानसिक स्वास्थ्य: विकास कुमार

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बदलती जीवनशैली, काम के बोझ के तनाव से बिगड़ रहा मानसिक स्वास्थ्य: विकास कुमार
-रेडक्रॉस सोसायटी के साथ एक उड़ान संस्था व सत्वापूर्ण संस्था ने किया मेंटल हेल्थ अवेयरनेस कार्यक्रम

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम। उपायुक्त गुरुग्राम निशांत कुमार यादव के दिशा-निर्देशन एवं सचिव विकास कुमार के मार्गदर्शन में जिला रेडक्रॉस सोसायटी के साथ एक उड़ान संस्था व सतवा पूरन संस्था ने मेंटल हेल्थ अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित किया। आठ साल से 16 साल तक के बच्चों के लिए आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में उन्हें जागरुक किया जा रहा है। इस अवसर पर पेंटिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। योगा भी सिखाया और सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए गए।
जिला रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव विकास कुमार का मानना है कि 16 साल तक के बच्चों का इस उम्र में मानसिक ख्याल बहुत जरूरी है। हर माता-पिता को भी इस उम्र के बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बच्चों के साथ उन्होंने युवाओं के लिए भी मानसिक संतुलन सही रखने का संदेश दिया। विकास कुमार ने कहा कि बदलती जीवनशैली, काम के बोझ के तनाव से मानसिक स्वास्थ्य के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत की आबादी में करीब 14 फीसदी लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी उपचार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि युवाओं के बीच मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता बढ़ी है, वहीं, इलाज के बढ़ते खर्च ने परेशानी और बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर का भारतीयों पर बुरा असर पड़ा है।

देवर्षि सचान संस्थापक सत्वापूर्ण पैरा एथलीट एवम समाज सेवी ने कहा कि बच्चों का मानसिक स्तर सही रखना उनके भविष्य के लिए सही है। कम उम्र में अगर वे किसी भी कारण से मानसिक रूप से असंतुलित होते हैं तो बहुत बड़ा आघात है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि दुनियाभर में वर्ष 2012 से 2030 के बीच मानसिक स्वास्थ्य की वजह से 1.03 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत की आबादी में करीब 14 फीसदी लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी उपचार की जरूरत है।
इस अवसर पर एक उड़ान की संस्थापिका कल्याणी सचान ने कहा कि भारतीय लोग अब मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कहीं अधिक जागरूक हो गए हैं और समाधान के लिए मदद ले रहे हैं। इनमें युवाओं की संख्या बढ़ी है। वैश्वीकरण और आज की तेज गति के जीवन ने मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है। हर सात में से एक भारतीय मानसिक रूप से अस्वस्थ्य है। वैसे देश के युवाओं में इसे लेकर जागरूकता बढ़ी है। मानसिक बीमारी की समय से पहचान करके इसके बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा इमोशनल कॉन्टैक्ट टाइम (ईसीटी) और फैमिली कॉन्टैक्ट टाइम (एफसीटी) को बढ़ाने से भी मदद मिल सकती है।
रैडक्रास सोसायटी गुरुग्राम टीम एवं एक उड़ान संस्था की टीम ने विशेष योगदान दिया।

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