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मेदांता फाउंडेशन ने गुरुग्राम मैं लॉन्च किया ‘सवेरा’,

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मेदांता फाउंडेशन ने गुरुग्राम मैं लॉन्च किया ‘सवेरा’,

एक अद्भुत प्रयास स्तन कैंसर को शुरुआती स्टेज में रोकने के लिए • नेत्रहीन महिलाएं अपनी अत्यधिक विकसित स्पर्श इंद्रियों की मदद से स्तन कैंसर का परीक्षण करेंगी।

• नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के आँकड़ों में सामने आया कि गुरुग्राम में 15 से 49 साल के बीच केवल 12.6 प्रतिशत महिलाओं ने ही स्तन परीक्षण करवाया है ।

• जागरुकता की कमी और समय पर परीक्षण न करवाने के कारण स्तन कैंसर विकसित चरण में ही सामने आता है। तब इसके प्रभावी इलाज की संभावना कम हो जाती है, और स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु भी बढ़ जाती हैं।

गुरुग्राम मेदांता ग्रुप की इकाई मेदांता फाउंडेशन ने हैल्थकेयर एवं समाज में सुधार लाने के लिए सवेरा नमक अभियान शुरू किया है। इस पहल में ‘टैक्टाईल ब्रेस्ट एग्ज़ामिनेशन’ (टी.बी.ई.) से स्तन कैंसर की जाँच मैं मदद मिलेगी । मेदांता गुरुग्राम की डॉ. कंचन कौर (सीनियर डायरेक्टर, ब्रेस्ट सर्विसेज, कैंसर इंस्टीट्यूट) द्वारा शुरू की गई टी.बी.ई. स्तन कैंसर की जाँच के लिए एक अभिनव प्रणाली है, जिसमें दृष्टिबाधित महिलाओं की अत्यधिक विकसित स्पर्श इंद्रियों की मदद से स्तन में होने वाली छोटी से छोटी विकृति को भी भांप लिया जाता है। इस अभियान के बारे में डॉ. कौर ने कहा, ‘‘वर्तमान में मेडिकल टैक्टाईल एग्ज़ामिनर (एम.टी.ई.) के रूप में नियुक्त की गई 4 महिलाओं में से 3 सरकारी मेडिकल संस्थान में बैठेंगी। आने वाले समय में इन एग्ज़ामिनर्स की संख्या बढ़ाकर उन्हें और ज्यादा जिलों तक पहुँचाया जाएगा।

टी.बी.ई न केवल उन महिलाओं का किया जाएगा जो कैंसर का परीक्षण कराने के लिए आएंगी, बल्कि उन महिलाओं का भी किया जाएगा जो यहाँ अन्य परामर्श लेने के लिए आएंगी। परीक्षण के प्रति इस सक्रिय दृष्टिकोण द्वारा स्तन कैंसर की तुरंत पहचान और समय पर निदान संभव हो सकेगा । यहाँ यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि यदि स्तन कैंसर की पहचान समय पर हो जाए, तो उसका इलाज सफल होने की संभावना 95 प्रतिशत होती है । इसलिए स्तन कैंसर की पहचान सक्रियता से समय पर करना बहुत जरूरी है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘टी.बी.ई. स्तन कैंसर की समय पर पहचान करने के लिए बहुत अच्छा उपाय है। हमने इस अभियान का नाम सवेरा रखा है

क्योंकि हम इसे महिलाओं में स्तन कैंसर के प्रति जागृति का प्रतीक बनाना चाहते है।” मेदांता के ग्रुप सी.ई.ओ एवं डायरेक्टर, पंकज साहनी ने कहा, ‘‘स्तन कैंसर के अधिकतर मामले विकसित चरण में सामने आते है। इसकी बढ़ती संख्या के कारण समय पर पहचान, निदान और इलाज अत्यधिक आवश्यक है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने मरीजों को खुद के स्वास्थ्य की देखभाल करने में समर्थ बनाएं। इसके लिए हम मेदांता में निरंतर नए तरीके अपनाते हैं। सवेरा अभियान इसी दिशा में उठाया गया कदम है। भारत में छह साल पहले टी.बी.ई. पद्धति शुरू होने के बाद दृष्टिबाधित महिलाओं को एन.ए.बी. इंडिया सेंटर फॉर ब्लाइंड वीमेन एंड डिसेबिलिटी स्टडीज़ में स्तन रोगों और उनके परीक्षण का सैद्धांतिक प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद उन्हें मेदांता गुरुग्राम के ब्रेस्ट क्लिनिक में डॉ. कंचन कौर के मार्गदर्शन में तीन महीने तक क्लिनिकल इंटर्नशिप प्रदान की गई।

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