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… सुनो खट्टर सरकार, कब दिलाआगे हम गरीब महिलाओं की पगार !

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… सुनो खट्टर सरकार, कब दिलाआगे हम रीब महिलाओं की पगार !
दो अधिकारियों के अहम के बीच फंसी है महिला मजदूरों की मजदूरी

यह गंभीर -पेचीदा मामला पटौदी क्षेत्र में हेलीमंडी के वन विभाग का
 
वेतन की मांग को लेकर महिला मजदूरों ने किया हंगामा – नारेबाजी

सोमवार को जिला वन अधिकारी कार्यालय का घेराव की दी चेतावनी

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ,बेटी खिलाओ और महिलाओं का सम्मान करो। इसके साथ ही मेहनतकश मजदूरों के वेतन और मेहनताने का समय पर भुगतान हो । यह सभी नारे, वादे सहित दावे समाज के अंतिम पायदान के लोगों तक उनका अधिकार पहुंचाने वाली भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार के द्वारा किए जा रहे हैं । लेकिन हकीकत इसके एकदम विपरीत देखने के लिए अक्सर सामने आती रहती है ।

ऐसा ही मामला पटौदी विधानसभा क्षेत्र में हेलीमंडी के फॉरेस्ट ऑफिस अथवा हेलीमंडी वन मंडल अधिकारी कार्यालय से जुड़ा हुआ सामने आया है । यहां पर काम करने वाली महिलाओं को काफी लंबे समय से उनके द्वारा किए जा रहे कार्य का मेहनताना अथवा वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। अपने बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर हेलीमंडी वन मंडल कार्यालय में काम करने वाली महिलाओं के द्वारा जमकर नारेबाजी की गई । इसके साथ ही महिलाओं ने चेतावनी भी दी है कि सोमवार को जिला वन मंडल कार्यालय का गुरुग्राम में घेराव कर प्रदर्शन किया जाएगा । हेली मंडी फॉरेस्ट विभाग कार्यालय के गेट पर अपने बकाया वेतन के भुगतान की मांग को लेकर सविता देवी, कमला देवी, माया, रामरति, नैना देवी, दर्शना, सुनीता, राजबाला, कमलेश, निर्मला, शारदा, ब्रह्मा, निर्मला रानी, सुनीता सहित अन्य ने स्थानीय रेंज ऑफिसर के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और वेतन का भुगतान नहीं किया जाने के मुद्दे को लेकर खूब खरी-खोटी भी सुनाई ।

महिलाओं की मजदूरी का भुगतान नहीं किया
प्रदर्शनकारी महिलाओं के मुताबिक उनमें से कई महिलाओं का करीब 3 वर्ष पहले तक का भी वेतन का भुगतान अथवा मजदूरी का भुगतान आज तक नहीं किया जा सका है । महिलाओं के मुताबिक इस बीच में हेलीमंडी फॉरेस्ट ऑफिस में नए रेंज ऑफिसर की नियुक्ति हो गई । प्रदर्शनकारी महिलाओं का यह भी आरोप है कि वर्तमान में जो रेंज ऑफिसर नियुक्त किया गया है, यही रेंज ऑफिसर करीब 3 वर्ष पहले भी उनके काम का वेतन अथवा मजदूरी का भुगतान किए बिना यहां से अपना ट्रांसफर होने पर चला गया था। इसके बाद में जो अधिकारी यहां नियुक्त किया गया उसके समक्ष भी अपने वेतन के भुगतान का मुद्दा उठाया गया , लेकिन दोनों ही अधिकारियों की आपसी खींचतान के कारण गर्मी और सर्दी सहित बरसात के मौसम में नियमित रूप से वन विभाग के लिए काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है । महिलाओं के दावे के मुताबिक उनको भुगतान किया जाने की रकम संबंधित कार्यालय और अधिकारी के पास पहुंच चुकी है । लेकिन बार-बार अनुरोध किया जाने के बाद भी उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है ।

महिलाओं के सामने गंभीर आर्थिक संकट
महिलाओं के मुताबिक करीब 6 से 8 महीने का भुगतान उनको किया जाना है । लेकिन कोई भी अधिकारी भुगतान करने के लिए तैयार ही नहीं है । कुछ महिलाओं ने तो कथित रूप से आरोप लगाया कि अधिकारी जानबूझकर महिलाओं को परेशान करने के लिए ही उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं कर रहे हैं। महिलाओं के आरोप के मुताबिक मौजूदा समय में हेली मंडी फॉरेस्ट ऑफिस में जिस अधिकारी की पोस्टिंग की गई है, यही अधिकारी करीब 3 वर्ष पहले भी कई महिलाओं की मजदूरी का भुगतान किए बिना यहां से चला गया था । जिसका आज तक यहां काम करने वाली महिलाओं को भुगतान नहीं किया जा रहा है । एक बार फिर से भुगतान नहीं किया जाने से महिलाओं के सामने गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया है।

महिलाओं का आर्थिक शोषण और प्रताड़ना
प्रदर्शनकारी महिलाओं के मुताबिक जो भी मजदूरी अथवा वेतन मिलता है, उसी से ही घर परिवार का खर्च तथा बच्चों की पढ़ाई लिखाई सहित अन्य जरूरी खर्च पूरे किए जा रहे हैं । एक तरफ तो सरकार कहती है कि मजदूरों की मजदूरी बढ़ा दी गई है , लेकिन यहां तो हम गरीब महिलाओं के द्वारा जो मेहनत मजदूरी की जा रही है, उसका ही भुगतान नहीं किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर, प्रदेश के वन विभाग मंत्री, पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार, पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता सहित अन्य संबंधित सभी अधिकारियों से अनुरोध किया है कि इस मामले की तत्काल जांच करवाई जाए कि आखिर क्यों और किन कारणों से तथा किसके दबाव में यहां काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी और वेतन का भुगतान रोका गया है ? वेतन का भुगतान या फिर मजदूरी को रोकने वाले अधिकारी के खिलाफ महिलाओं का शोषण और प्रताड़ना किया जाने का मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाया जाना जरूरी है । जिससे कि मेहनत मजदूरी करने वाली महिलाओं को समय पर उनकी मजदूरी अथवा वेतन का भुगतान सुनिश्चित हो सके। 

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