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मशहुर गायक और संगीतकार बप्पी लहरी का 69 वर्ष की उम्र में निधन

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आज भारत के मशहुर गायक और संगीतकार बप्पी लहरी का 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। मुंबई के जुहू स्थित क्रिटिकेयर अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। बप्पी लहरी को पिछले साल कोरोना भी हुआ था.।

बप्पी दा ने बंबई से आया मेरा दोस्त, यार बिना चैन कहां रे, रात बाकी, बात बाकी और याद आ रहा है तेरा प्यार, जैसे सुपरहिट गाने बनाए और 80 बप्पी लहरी तकरीबन एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें बीते सोमवार को डिस्चार्ज किया गया था।
लेकिन मंगलवार को उनकी हालत बिगड़ी और उनके परिवार ने घर पर ही डॉक्टर बुलाया. उन्हें कई हेल्थ इश्यूज थे. जिनके कारण उनकी मौत रात 12 बजे के कुछ देर बाद ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की वजह से हुई.।
फिल्मों में उन्होंने अपनी जगह फिल्म नन्हा शिकारी (1973) से बनाना शुरू किया। ताहिर हुसैन की हिन्दी फिल्म, जख्मी (1975) से उन्हें बॉलीवुड में खुद को स्थापित किया और एक पाशर्व गायक के रुप में अपनी पहचान बप्पी लहिरी के गानों को ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रियता मिली।


बप्पी लहरी का आखरी गाना था। 2020 में आई बागी 3 के लिए भंकस स्क्रीन पर आखरी बार बप्पी दा, रिएलिटी शो बिग बॉस में सलमान खान के साथ नजर आए थे जहां वो अपने नाती, स्वस्तिक बंसल के गाने, बच्चा पार्टी को प्रमोट करने आए थे.।
बप्पी लहरी को व्यापक रूप से भारत में डिस्को किंग के रूप में जाना जाता है, का जन्म 1952 में पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में शास्त्रीय संगीत में एक समृद्ध परंपरा वाले परिवार में हुआ था। उन्होंने 19 साल की छोटी उम्र में एक संगीत निर्देशक के रूप में अपना करियर शुरू किया। उनके पिता, अपरेश लाहिड़ी एक प्रसिद्ध बंगाली गायक थे और उनकी मां, बंसारी लाहिड़ी एक संगीतकार और एक गायिका थीं, जो शास्त्रीय संगीत और श्यामा संगीत में पारंगत थीं। उन्हें बंगाली फिल्म, दादू (1972) में गाना गाने का पहला अवसर मिला था। हालांकि हिंदी फिल्मों में उन्होंने अपनी जगह फिल्म नन्हा शिकारी (1973) से बनाना शुरू किया। ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म, जख्मी (1975) से उन्हें बॉलीवुड में खुदको स्थापित किया और एक पार्श्व गायक के रूप में पहचान बनाई।


गायक ने हाल ही में आयुष्मान खुराना और जितेंद्र कुमार स्टारर शुभ मंगल ज्यादा सावधान के लिए अपने हिट गानेश्यार बिना चैन कहां रे को अरे प्यार कर ले शीर्षक से रीमिक्स किया। यह गीत मूल रूप से अनिल कपूर और अमृता सिंह पर अनिल गांगुली की साहेब में फिल्माया गया था। 1970-80 के दशक के अंत में डिस्को डांसर, नमक हलाल और डांस डांस जैसे साउंडट्रैक के लिए लोकप्रिय, उन्होंने भारतीय सिनेमा के साथ संश्लेषित डिस्को संगीत को बेहतर ढंग से एकीकृत करने में मदद की।

बप्पी लहरी ने 19 साल की उम्र में एक संगीत निर्देशक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्हें बंगाली फिल्म दादू (1972) में गाना गाने का पहला अवसर मिला था.।

देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बप्पी लहिरी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वो एक बेजोड़ गायक-संगीतकार थे। उनके गीतों को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रियता मिली. उनके यादगार गीत लंबे समय तक लोगों को खुश करते रहेंगे. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाए है। दृ
सूत्रों के मुताबिक, बप्पी लहिरी का आज अंतिम संस्कार नहीं होगा.। क्योकि बप्पी दा के बेटे अमेरिका में हैं जिनके आने का इंतजार किया जाएगा. बताया जा रहा है उनके बेटे देर रात 2 बजे तक मुंबई आ जाएंगे. जिसके बाद कल पवनहंस के पास हिन्दू शमशान भूमि पर बप्पी लहिरी का अंतिम संस्कार होगा.

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