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देश का पहला बाजरा रिसर्च स्टेशन के लिए जमीन आवंटित

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देश का पहला बाजरा रिसर्च स्टेशन के लिए जमीन आवंटित:40 हेक्टेयर जमीन पर 100 करोड़ की लागत से बनेगा अनुसंधान, जल्द शुरू होगा काम

बाड़मेर 03 मार्च
40 हेक्टेयर जमीन पर तैयार होगा बाजरा रिसर्च स्टेशन, 100 करोड़ की लागत से बनेगा। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि आगे की कार्रवाई शुरू हो गई है।
बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी में भारत का पहला बाजरा अनुसंधान संस्थान प्रोजेक्ट दो सालों से केंद्र व राज्य के तालमेल और जमीन आवंटन के कारण अटका हुआ था। हाल ही राजस्थान कैबिनेट में जमीन आवंटन करने का फैसला किया गया है। अब 100 करोड़ की लागत से बनने वाला बाजरा अनुसंधान संस्थान का काम जल्द शुरू हो जाएगा। कृषि विज्ञान केंद्र ने कहा कि बाजरा अनुसंधान संस्थान से बाड़मेर सहित पूरे राजस्थान के किसानों को फायदा मिलेगा। इससे बाजरे के बिस्किट, केक पराठे, नमकीन के नए प्रोडेक्ट बनेगें इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी।

दरअसल, बाजरा उत्पादन में राजस्थान देश में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में भी पश्चिमी राजस्थान में सबसे ज्यादा बाजरा होता है। दो साल पहले केंद्र सरकार ने बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी में बाजरा अनुसंधान केंद्र खोलने की घोषणा की थी। आईसीएआर की ओर से गठित कमेटी ने जून 2021 में आईसीएआर को रिपोर्ट सौंप दी थी। इसके बाद राज्य सरकार को कई बार पत्र लिखकर गुड़ामालानी में चिन्हित 100 एकड़ (40 हेक्टर) जमीन मांगी थी। इसकी रिपोर्ट भी राज्य सरकार को अप्रैल 2022 में भेज दी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा अनुसंधान के लिए जमीन नहीं दी गई है। समय पर जमीन नहीं मिलने से प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। लेकिन राजस्थान सरकार ने बीते दिनों कैबिनेट मीटिंग में अनुसंधान के लिए जमीन आवंटित करने की मंजूरी दी गई है। संस्थान के लिए 40 हेक्टेयर जमीन टोकन मनी पर आवंटन करने का फैसला हुआ है।

बाजरे रिसर्च स्टेशन के लिए जमीन आवंटन के बाद अब जल्द काम होगा शुरू, बाजरे से बनेंगे, केक, नमकीन बिस्किट सहित अलग-अलग प्रोडेक्ट।
बाजरे रिसर्च स्टेशन के लिए जमीन आवंटन के बाद अब जल्द काम होगा शुरू, बाजरे से बनेंगे, केक, नमकीन बिस्किट सहित अलग-अलग प्रोडेक्ट।
केवीके अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बाबूलाल मीणा के मुताबिक किसानों के प्रयासों से दो साल बाद बुधवार को राजस्थान कैबिनेट मीटिंग में गुड़ामालानी में 40 हेक्टेयर जमीन कृषि विज्ञान केंद्र के पास में आवंटन हुई है। देश का पहला अनुसंधान केंद्र बाड़मेर जिले में लग रहा है। बाड़मेर सहित राजस्थान भर के किसानों को भी फायदा होगा। अनुसंधान केंद्र खुलने के बाद बाजरे में उपयोग होने वाली तकनीक है उनका समायोजन होगा साथ में नई किस्मों का भी विकास होगा। बाजरे में आने वाली समस्याएं है कीट, रोग, पतवार की समस्या को निपटाने में किसानों को फायदा मिलेगा। भारत साल 2023 को इंटरनेशनल बाजरा मिलिट्स वर्ष के रूप में बना रहा है। देशभर में मोटे अनाज को श्री अन्न के रूप में जाना जा रहा है।

केवीके के अध्यक्ष एवं कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि देश का पहला अनुसंधान केंद्र के लिए जमीन आवंटन हो गई है। बाड़मेर सहित राजस्थान के किसानों को मिलेगा फायदा।
केवीके के अध्यक्ष एवं कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि देश का पहला अनुसंधान केंद्र के लिए जमीन आवंटन हो गई है। बाड़मेर सहित राजस्थान के किसानों को मिलेगा फायदा।
राजस्थान में बाजरे का 3.75 मिलियन टन का उत्पादन

देश में बाजरा व अन्य फसलों का उत्पादन 18 मैट्रिक मिलियन टन है। इसमें 7-8 मिलियन हैक्टेयर में बाजरा बोया जाता है। वर्षा आधारित खेती में बाजरा फसल है, जो राजस्थान की अन्न के साथ पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध करवाती है। राजस्थान में 3.75 मिलियन टन बाजरे का उत्पादन होता है, जो कि पूरे देश का 42 प्रतिशत है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए वर्ष 2023 में बाजरा व इस समूह की अन्य फसलें ज्वार, रागी, नागली, कोदो, सावा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। भारत सरकार की ओर से इसके लिए गत दिनों संसद में बाजरे से बनने वाले व्यंजनों से सांसदों को भोजन करवाया था। बाड़मेर जिले में 10 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया जाता है। इससे 5 अरब रुपए का बाजरा उत्पादन है।

बाजरे में पौष्टिक तत्व भरपूर, बाजरे से बनेगे 20 उत्पाद

कृषि वैज्ञाानिक डॉ. बाबूलाल मीणा के मुताबिकि बाजरे में प्रोटीन, वसा, आयरन, जिंक, कैल्सियम, मैंगनीज पाए जाते है। इसी वजह से पोष्टिक तत्व भरपूर है। इसी वजह से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने गुड़ामालानी में बाजरा अनुसंधान केंद्र खोलने की घोषणा की है। बाजरे से पिछले कुछ समय से कई उत्पादन अनुसंधान संस्थान, विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से बनाए गए। इसके लिए बाजरा नमकीन, कुरकुरे, बिस्किट, टॉफी, पुड़िंग, पराठे, चखली, कैक सहित करीब 15 से 20 उत्पाद तैयार किए जाएंगे।

मंत्री ने कहा- जमीन आवंटन के बाद 100 करोड़ की लागत से बनेगा अनुसंधान, आगे की प्रक्रिया शुरू, किसानों को फायदा मिलेगा,

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने केंद्र सरकार की ओर से बाड़मेर जिले के गुडामालानी में स्वीकृत क्षेत्रीय बाजरा अनुसंधान संस्थान के लिए जमीन आवंटन को लेकर अनुमति मिलने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि देश के पहले बाजरा अनुसंधान संस्थान हैदराबाद के क्षेत्रीय शाखा के रूप में बाड़मेर में बाजरा अनुसंधान केंद्र खुलने से यहां के किसानों को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की शाखा के रूप में राष्ट्रीय स्तर के बाजरा अनुसंधान संस्थान को केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से स्वीकृति मिलने और आज जमीन आवंटन को हरी झंडी मिलने के बाद अब आगे की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

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