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जानिए, BRICS बैठक के एजेंडे में क्या है खास ?

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जानिए, BRICS बैठक के एजेंडे में क्या है खास ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (मंगलवार) 22 अगस्त 2023 की सुबह दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में पीएम मोदी 15वें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ऐसे में यह जानना बेहद अहम साबित होगा कि आखिर इस बार इस बैठक के एजेंडे में क्या खास होगा…?

PM मोदी ने BRICS के एजेंडा को लेकर कहीं ये बातें

गौरतलब हो, अपनी यात्रा पर प्रस्थान से पूर्व पीएम मोदी ने वक्तव्य में कहा कि यह शिखर सम्मेलन ब्रिक्स को भविष्य के सहयोग वाले क्षेत्रों की पहचान करने और संस्थागत विकास की समीक्षा करने का एक उपयोगी अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी कहा, कि ब्रिक्स विभिन्न क्षेत्रों के लिए एक मजबूत सहयोग एजेंडा अपना रहा है।

‘ग्लोबल साउथ’ के लिए चिंता के विषयों पर चर्चा का मंच बना BRICS

आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा, हम इस बात को महत्व देते हैं कि ब्रिक्स विकास की अनिवार्यताओं और बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार सहित संपूर्ण ग्‍लोबल साउथ की चिंता के मुद्दों पर चर्चा और विचार-विमर्श करने का एक मंच बन गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, वह दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में जोहान्सबर्ग में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के निमंत्रण पर दक्षिण अफ्रीका का दौरा कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि, जोहान्सबर्ग में अपने प्रवास के दौरान, वह ब्रिक्स-अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस डायलॉग कार्यक्रम में भी भाग लेंगे जो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की गतिविधियों के हिस्से के रूप में आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि, वह कई अतिथि देशों के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक हैं जिन्हें इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। पीएम मोदी ने कहा, वह जोहान्सबर्ग में मौजूद कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने के लिए भी उत्सुक हैं।

वैश्विक संस्थानों के “पश्चिमी प्रभुत्व” से निपटने के लिए ग्लोबल साउथ

गौरतलब हो, BRICS वैश्विक संस्थानों के “पश्चिमी प्रभुत्व” से निपटने के लिए ग्लोबल साउथ में गहरे सहयोग का एक प्रमुख चर्चा मंच बन गया है। ऐसे में इस बार यह देखना भी दिलचस्प होगा जब कुछ ब्रिक्स सदस्य देश डी-डॉलरीकरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार भुगतानों को व्यवस्थित करने के लिए एक नई मुद्रा पर जोर दे रहे हैं। हालांकि भारत ने जुलाई में खुद को इस कदम से अलग कर लिया था। ब्रिक्स देशों के लिए एक मुद्रा में व्यापार के विषय पर विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि वर्तमान में देशों की अपनी मुद्रा में व्यापार करने पर ही विचार चल रहा है।

BRICS के विस्तार को लेकर होगी चर्चा

इस बार जोहान्सबर्ग में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन में एजेंडा में BRICS के विस्तार होने की उम्मीद की जा रही है। वहीं सऊदी अरब, अर्जेंटीना और मिस्र सहित दर्जनों देश ब्रिक्स में शामिल होने के लिए कतार में हैं, जिसमें सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, मिस्र और इथियोपिया सहित 40 से अधिक इच्छुक उम्मीदवार शामिल हैं। वहीं ब्रिक्स सदस्य समूह के विस्तार को लेकर बंटे हुए नजर आ रहे हैं। फिलहाल, इस मुद्दे पर वर्तमान में शेरपाओं द्वारा चर्चा की जा रही है। इसको लेकर भी विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा है कि दुनिया की पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के समूह ब्रिक्स के विस्तार को लेकर भारत सकारात्मक और खुले मन से विचार करेगा। वर्तमान में विस्तार की रूपरेखा, स्वरूप और उद्देश्य को लेकर ब्रिक्स में चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि कई देश ब्रिक्स विस्तार का हिस्सा बनना चाहते हैं।

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने यह भी कहा, “चूंकि ब्रिक्स आम सहमति के सिद्धांत पर काम करता है, इसलिए सभी सदस्य देशों को इस बात पर पूरी सहमति होनी चाहिए कि वे ब्रिक्स का विस्तार कैसे चाहते हैं, उस विस्तार के मार्गदर्शक सिद्धांत क्या होने चाहिए और इस तरह के विस्तार के मानदंड क्या होंगे।”

आर्थिक सहयोग के स्वरूप पर भी विचार-विमर्श शामिल

उन्होंने यह भी बताया कि शिखर सम्मेलन ब्रिक्स की ओर से शुरू की गई पहलों की प्रगति की समीक्षा और भविष्य की गतिविधियों के लिए नए क्षेत्रों की पहचान करने का अवसर प्रदान करेगी। ब्रिक्स गठबंधन आपसी सहयोग पर आधारित है। इसमें आर्थिक सहयोग सम्मिलित है। आर्थिक सहयोग का स्वरूप विशेषज्ञों का विषय है और वे इस पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

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