शरीर को रखे रोगमुक्त अपनाएं अल्कालिन (क्षारीय) भोजन और दिन चर्या जानिये स्वस्थ शरीर का pH मान और जाने इससे जुड़ी बीमारियां
शरीर को रखे रोगमुक्त अपनाएं अल्कालिन (क्षारीय) भोजन और दिन चर्या जानिये स्वस्थ शरीर का pH मान और जाने इससे जुड़ी बीमारियां
हरिओम विश्वकर्मा एडवोकेट जालौन
जियो जी भर
जीवनशैली में परिवर्तन और उसी सन्दर्भ में शरीर की एसिडिक कंडीशन को अल्कलाइन में बदलने से अनेक रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
योग अपनाए
शरीर को कर लो अल्कलाइन हार्ट, कैंसर, किडनी, थायराइड, शुगर, आर्थराइटिस, सोरायसिस भी पास नहीं फटकेगा।
कोई भी रोग हो चाहे कैंसर भी, Alkaline वातावरण में पनप नहीं सकता। डायबिटीज, कैंसर, हार्ट, ब्लड प्रेशर, जोड़ों का दर्द, UTI – पेशाब के रोग, ऑस्टियोपोरोसिस , सोरायसिस, यूरिक एसिड का बढ़ना, गठिया, थायराइड , गैस, बदहज़मी, दस्त, हैज़ा, थकान, किडनी के रोग, पेशाब सम्बंधित रोग, पत्थरी और अन्य कई प्रकार के जटिल रोग। इन सबको सही करने का सबसे सही और सस्ता उपयोग है शरीर को एल्कलाइन कर लेना।
पहले तो जानिए पी एच लेवल क्या है?
इसको समझने के लिए सबसे पहले आपको PH को समझना होगा, हमारे शरीर में अलग-अलग तरह के द्रव्य पाए जाते हैं, उन सबकी PH अलग अलग होती है,
हमारे शरीर की सामान्य Ph 7.35 से 7.41 तक होती है,
PH पैमाने में PH 1 से 14 तक होती है, 7 PH न्यूट्रल मानी जाती है, यानी ना एसिडिक और ना ही एल्कलाइन। 7 से 1 की तरफ ये जाती है तो समझो एसिडिटी यानी अम्लता बढ़ रही है, और 7 से 14 की तरफ जाएगी तो Alkalinity यानी क्षारीयता बढ़ रही है।
अगर हम अपने शरीर के अन्दर पाए जाने वाले विभिन्न द्रव्यों की PH को Alkaline की तरफ लेकर जाते हैं। तो हम बहुत सारी बीमारियों के मूल कारण को हटा सकते हैं, और उनको हमेशा के लिए समाप्त कर सकते हैं।
Cancer and PH – कैंसर
उदहारण के तौर पर सभी तरह के कैंसर सिर्फ Acidic Environment में ही पनपते हैं।
क्योंकि कैंसर की कोशिका में शुगर का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में Fermentation होता है जिससे अंतिम उत्पाद के रूप में लैक्टिक एसिड बनता है और यही लैक्टिक एसिड Acidic Environment पैदा करता है जिस से वहां पर एसिडिटी बढती जाती है और कैंसर की ग्रोथ बढती जाती है। ये हम सभी जानते हैं कि कैंसर होने का मूल कारण यही है कि कोशिकाओं में ऑक्सीजन बहुत कम मात्रा में और ना के बराबर पहुँचता है। वहां पर मौजूद ग्लूकोस लैक्टिक एसिड में बदलना शुरू हो जाता है।
Gout and PH – गठिया
दूसरा उदहारण है– Gout जिसको गठिया भी कहते हैं, इसमें रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे रक्त एसिडिक होना शुरू हो जाता है। जितना ब्लड अधिक एसिडिक होगा उतना ही यूरिक एसिड उसमे ज्यादा जमा होना शुरू हो जायेगा। अगर हम ऐसी डाइट खाएं जिससे हमारा पेशाब अल्कलाइन हो जाए तो ये बढ़ा हुआ यूरिक एसिड अल्कलाइन पेशाब में आसानी से बाहर निकल जायेगा।
UTI and PH – पेशाब का संक्रमण
तीसरा उदहारण है — UTI जिसको Urinary tract infection कहते हैं, इसमें मुख्य रोग कारक जो बैक्टीरिया है वो E.Coli है, ये बैक्टीरिया एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है। इसके अलावा Candida Albicanes नामक फंगस भी एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है। इसीलिए UTI तभी होते हैं जब पेशाब की PH अधिक एसिडिक हो।
Kidney and PH – किडनी
चौथा एक और उदाहरण देते हैं किडनी की समस्या मुख्यतः एसिडिक वातावरण में ही होती है, अगर किडनी का PH हम एल्कलाइन कर देंगे तो किडनी से सम्बंधित कोई भी रोग नहीं होगा। मसलन क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड, पत्थरी इत्यादि समस्याएँ जो भी किडनी से सम्बंधित हैं वो नहीं होंगी।
वर्तमान स्थिति
आजकल हम जो भी भोजन कर रहें हैं वो 90 प्रतिशत तक एसिडिक ही है, और फिर हमारा सवाल होता है कि हम सही क्यों नहीं हो रहे ? या फिर कहते हैं कि हमने ढेरों इलाज करवाए मगर आराम अभी तक नहीं आया। बहुत दवा खायी मगर फिर भी आराम नहीं हो रहा। तो उन सबका मुख्यः कारण यही है कि उनका PH लेवल कम हो जाना अर्थात एसिडिक हो जाना।
कैसे बढ़ाएं PH level ?
इन सभी Alkaline क्षारीय खाद्य पदार्थो का सेवन नित्य करिये…
फल – सेब, खुमानी, ऐवोकैडो, केले, जामुन, चेरी, खजूर, अंजीर, अंगूर, अमरुद, नींबू, आम, जैतून, नारंगी, संतरा,पपीता,आड़ू, नाशपाती, अनानास, अनार, खरबूजे, किशमिश, इमली इत्यादि।
- इसके अलावा तुलसी, सेंधा नमक, टमाटर, अजवायन, दालचीनी, बाजरा इत्यादि।
मुख्य बात –: आज सभी घरों में कंपनियों का पैकेट वाला आयोडीन सफेद नमक प्रयोग हो रहा है, ये धीमा ज़हर है, यह अम्लीय(acidic) होता है और इसमें सामान्य से आयोडीन की अधिक मात्रा भी होती है, जो अत्यंत घातक है शरीर के लिए। इस नमक से हृदय रोग, थायराइड , कैंसर, लकवा, नपुंसकता, मोटापा,एसिडिटी, मधुमेह, किडनी रोग, लिवर रोग,बाल झड़ना, दृष्टि कम होना जैसे अनेकों रोग कम आयु से बड़ी आयु तक के सभी घर के सदस्यों को हो रहे हैं। जो पैकेट नमक के प्रयोग से पूर्व कभी नही होते थे। इसलिए आयोडीन की कमी का झूठ फैलाकर बीमारी का सामान हर घर तक पहुंचाया गया, जिसने दवाइयों के कारोबार को अरबो, खरबो का लाभ पहुंचाया है।
इसके विकल्प के रूप में आज से ही सेंधा नमक का प्रयोग शुरू कर दीजिए। यह पूरी तरह से प्राकृतिक और क्षारीय (Alkaline) होता है और आयोडीन भी सामान्य मात्रा में होता है। अन्यथा आपके सारे उपचार असफल सिद्ध होते रहेंगे, क्योंकि हर भोजन को सफेद नमक ज़हरीला बना देगा, चाहे कितनी अच्छी सब्जी क्यों न बनाएं आप।
करे योग रहे निरोग डॉ राव पी सिंह
AlkaLine Water बनाने की विधि
रोगी हो या स्वस्थ उसको यहाँ बताया गया ये Alkaline Water ज़रूर पीना है।
इसके लिए ज़रूरी क्षारीय सामान
1 नीम्बू,
25 ग्राम खीरा,
5 ग्राम अदरक,
21 पोदीने की पत्तियां,
21 पत्ते तुलसी,
आधा चम्मच सेंधा नमक,
चुटकी भर मीठा सोडा।
अभी इन सभी चीजों को लेकर पहले छोटे छोटे टुकड़ों में काट लीजिये, निम्बू छिलके सहित काटने की कोशिश करें। एक कांच के बर्तन में इन सब चीजों को डाल दीजिये और इसमें डेढ़ गिलास पानी डाल दीजिये, पूरी रात इस पानी को ढक कर पड़ा रहने दें। और सुबह उठ कर शौच वगैरह जाने के बाद खाली पेट सब से पहले इसी को छान कर पीना है। छानने से पहले इन सभी चीजों को हाथों से अच्छे से मसल लीजिये और फिर इसको छान कर पीजिये।
सावधानी— चाय, कॉफ़ी, चीनी , पैकेट वाला सफेद नमक ये सब ज़हर के समान हैं , अगर आप किसी रोग से ग्रस्त हैं तो सबसे पहले आपको इनको छोड़ना होगा और इसके साथ ऊपर बताये गए फल सब्जियां कच्चे ही सेवन करें।
21 दिन तक इस पानी का सेवन करके देखें। यदि आपको लाभ होता है तो इसे आप 2 से 3 महीने तक जारी रखें।
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