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कालाष्टमी आज

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कालाष्टमी आज

कालभैरव भगवान शिव के ही अवतार माने जाते हैं, इसलिए भगवान शिव के प्रिय सावन मास में इनके व्रत का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी भक्त कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है। कालाष्टमी का दिन भगवान काल भैरव को समर्पित किया जाता है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। जो भी भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। कालभैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है, इसलिए इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, कालभैरव की पूजा करने से घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। आज के दिन कई जगहों पर मां दुर्गा की पूजा भी की जाएगी।

काल के देवता है काल भैरव

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, काल भैरव को काल के देवता है। यहीं कारण है तंत्र साधना में भी कालाष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन यदि किसी की हत्या की जाती है तो भगवान काल भैरव उग्र हो जाते हैं। भगवान काल भैरव ऐसे लोगों के विनाश का कारण बन जाते हैं। यही कारण है कि कालाष्टमी पर गलती से भी नॉनवेज का सेवन नहीं करना चाहिए। पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, कालाष्टमी पर काल भैरव को नींबू की माला अर्पित करना चाहिए और इस तिथि को गरीब व जरूरतमंद लोगों का दान देने से पुण्य फल मिलता है। काल भैरव का गुणगान करने के साथ-साथ विधि-विधान से पूजा अर्चना करना चाहिए।

कालाष्टमी की पूजन विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें। उसके बाद साफ कपड़े धारण करें। उसके बाद भैरव देव की पूजा करें। इस दिन की पूजा में मुख्य रूप से भैरव देव को शमशान घाट से लाई गई राख चढ़ाएं। काले कुत्ते को भैरव देव की सवारी माना जाता है, ऐसे में कालाष्टमी के दिन भैरव देव के साथ ही काले कुत्ते की भी पूजा करें। पूजा के बाद काल भैरव की कथा सुने। इस दिन खासतौर से काल भैरव के मंत्र “ऊं काल भैरवाय नमः” का जाप करना भी फलदायी माना जाता है। इस दिन गरीबों को दान करने से पुण्य मिलता है। कालाष्टमी के दिन मंदिर में जाकर कालभैरव के समक्ष तेल का एक दीपक ज़रूर जलाएं। कालाष्टमी के दिन क्या करें क्या ना करें

1. कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा करने से व्यक्ति को भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 2. कालाष्टमी के दिन भैरव मंदिर में सिंदूर, सरसों के तेल, नारियल, चना इत्यादि का दान करना चाहिए। 3. काला अष्टमी के दिन भैरव देवता की तस्वीर या प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और श्री काल भैरव अष्टक का पाठ करें। 4. काल भैरव की सवारी काले कुत्ते को कालाष्टमी के दिन मीठी रोटियां खिलाएं। 5. कालाष्टमी के दिन भूल से भी कुत्तों पर अत्याचार ना करें।

कालाष्टमी की पौराणिक कथा

मान्यता है कि शिव शंकर के क्रोध से ही भैरव देव का जन्म हुआ था। इसके पीछे प्रचिलित एक पौराणिक कथा के अनुसार, ‘एक समय की बात है जब ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तीनों देवों में इस बात को लेकर बहस छिड़ गयी कि उनमें से सबसे पूज्य कौन है? उनके इस विवाद का कोई निष्कर्ष निकले, ऐसा सोचकर इस बहस के निवारण के लिए उन्होंने स्वर्ग लोक के देवताओं को बुला लिया और उनसे ही इस बात का फ़ैसला करने को कहा। इसी बीच भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा में कहासुनी हो गयी। इसी बहस में शिव जी को इस कदर गुस्सा आ गया कि उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया। माना जाता है कि उसी रौद्र रूप से ही भैरव देव का जन्म हुआ था।

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