जोधपुर गैंगरेप पीड़िता ने बताई उस रात की आपबीती:‘जिन्हें भाई जैसा मान साथ गई, उन्हीं 3 दरिंदों ने कई-कई बार दुष्कर्म किया’
जोधपुर
15 जुलाई की रात 10:30 बजे थे। मैं अपने दोस्त के साथ ब्यावर से जोधपुर बस स्टैंड पहुंची। घर से 7500 रुपए लाई थी। दोस्त के पास कुछ भी नहीं था। सस्ते होटल की तलाश में हम कृष्णा गेस्ट हाउस गए। वहां हमें अलग फ्लोर पर कमरे दिए गए। मैं नीचे और दोस्त ऊपर वाली मंजिल पर था। मेरे रूम में कुंडी नहीं थी। रात को होटल वाला पानी की बोतल देने के बहाने अंदर घुस गया। तेज शराब की बदबू आई।
उसने अचानक मेरे साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। मैं घबराकर चिल्लाने लगी। उसे धक्का देकर बाहर भागी-
दोस्त का कमरा ढूंढते हुए जो कमरा दिखा उसके दरवाजा खटखटाने लगी। तभी एक कमरे से दोस्त की आवाज आई कि मैं यहां हूं। कमरा बाहर से बंद है। अन्य कमरों से लोग बाहर आने लगे। तब होटल कर्मचारी घबराया और दोस्त के कमरे का ताला खोला। बोला- चिल्लाओ मत, दोनों को एक कमरा दे देता हूं। हम मना कर निकल गए।
हम ने तय किया कि अहमदाबाद चले जाते हैं। क्योंकि वहां मेरे दोस्त के चाचा रहते हैं। उनकी मदद लेंगे। हम बस स्टैंड के पास खड़े थे। हमें देख तीन लड़के आए, पूछा- क्या कर रहे हो? कहां से आए? कहां जाना है? एक के हाथ में डंडा भी था। हमने कहा अजमेर से आए और अहमदाबाद जाना है।
वे बोले- हम मदद करेंगे। चलो कुछ खा लो, भूखे होगे। हमने मना कर दिया। वे बोले- बस से तो महंगा पड़ेगा, सुबह अहमदाबाद के लिए ट्रेन मिलेगी। उससे चले जाना। चलो रेलवे स्टेशन तक छोड़ देते हैं। हम उन्हें भाई जैसा मान साथ चल दिए।
वे बोले- रेलवे स्टेशन दूर है। मेनरोड से जाएंगे, तो पुलिस पकड़ सकती है। हमें पता है कि घर से भागकर आए हो…। हम उनकी बातों में आ गए।
वे हमें कच्चे रास्ते से मैदान में लाए। रात करीब 3 बज चुके थे। सन्नाटा था। हम उन पर भरोसा कर आगे बढ़ ही रहे थे कि अचानक उनका व्यवहार बदल गया। मेरे दोस्त से मारपीट करने लगे। मेरे साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी।
मैंने कहा- हमें छोड़ दो। कुछ पैसे हैं, ये ले लो। वो बोले- पैसे नहीं, लड़की चाहिए। फिर दो लड़कों ने हमें पकड़ा और तीसरे ने मेरे दोस्त को बांध दिया।
(पीड़िता का गला रुंध गया, रोने लगी, फिर बोली) वे दरिंदगी पर उतर आए। बारी-बारी दुष्कर्म किया। मैं चीखती रही, वे नहीं माने। एक-एक ने 2-2, 3-3 बार दुष्कर्म किया।
तभी हलकी रोशनी में से किसी को आता हुआ देखा, तो मैं फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगी। तो पहले एक अंकल, फिर कुछ लड़के दौड़कर आने लगे। यह देख तीनों दरिंदे भाग गए। फिर वो अंकल और लड़कों ने हमारी मदद की। पुलिस को बुलाया मंगलवार को पुलिस मुझे आरोपियों की शिनाख्ती के लिए ले गई थी। मैंने उन्हें देखते ही पहचान लिया। तीनों वही दरिंदे थे, जिन्होंने मेरा जीवन खराब कर दिया। उनमें से 2 तो नजरें झुकाए बैठे थे। उनमें से एक मुझे घूरे जा रहा था। फिर भी बिना डरे मैंने पुलिस के सामने सबको पहचान लिया।
…एक दु:ख है मन में। ग्लानि होती है कि एक गलत फैसला कितना भारी पड़ गया। ये घटना जीवनभर नहीं भूल पाएंगे और हमेशा मन में रहेगा कि क्यों घर से भागने का फैसला किया?
अब तो बस यही चाहती हूं कि उन दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी की सजा मिले।
-(जैसा पीड़िता ने बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को और उन्होंने रिपोर्टर मनोज पुरोहित को बताया
मेरी वजह से ही सब हुआ, उसी से शादी कर साथ निभाऊंगा: पीड़िता का दोस्त
पीड़िता के दोस्त ने कहा कि हमारी गलती रही कि घर वालों को बिना बताए भागकर आए। उम्र भी कम थी। यह सब मेरी वजह से हुआ, इसलिए साथ निभाऊंगा। मैं उसी से शादी करूंगा। दोनों के परिवार भी शादी के लिए तैयार हो गए हैं। अब तय किया है कि यहां से जाने के बाद रोका करवा देंगे।
जब दोनों बालिग हो जाएंगे, तो शादी करवा देंगे। इस पर बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि दोनों की शादी का खर्च मैं उठाऊंगी और उन तीनों दरिंदों को जल्द सजा दिलाने की कोशिश करूंगी।
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