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इराक के परिवार को मैरिंगो अस्पताल गुरुग्राम में मिली राहत,

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इराक के परिवार को मैरिंगो अस्पताल गुरुग्राम में मिली राहत,

पैरालिसिस से पीड़ित युवा लड़के को किया गया ठीक

-जिस मरीज का इलाज करने से मना कर दिया गया था

, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स गुरुग्राम में उसकी सर्जरी की गई

-जो इलाज असंभव माने जा रहे थे, मरीज की पूरी संतुष्टि के लिए कई तरह के इलाज किए गए

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम,: गुरुग्राम के मैरिंगो एशिया अस्पताल के डॉक्टरों ने इराक के एक 6 वर्षीय लड़के पर हाई रिस्क वाले ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी करके एक शानदार उपलब्धि हासिल की है. ये मरीज एक महीने से अधिक समय से अपने शरीर के दाहिने हिस्से में पैरालिसिस का अनुभव कर रहा था. उनके होमटाउन में जो एमआरआई किया या था, उसमें ब्रेनस्टेम में एक बड़े ट्यूमर का पता चला. ये एक घातक स्थिति का संकेत था. मामले की गंभीरता को देखते हुए लड़के के माता-पिता ने मैरिंगो एशिया अस्पताल गुरुग्राम की ओर रुख किया. ये ट्यूमर ब्रेनस्टेम के अंदर गहराई में था. ये एक नाजुक क्षेत्र है जहां सर्जरी के दौरान किसी भी गलती से मरीज हमेशा के लिए कोमा या पैरालिसिस का शिकार हो सकता है. इसीलिए इसका ऑपरेशन होई रिस्क वाला माना जाता है. लड़के के इलाज का नेतृत्व मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम में न्यूरोसर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर हिमांशु चंपानेरी ने किया. ब्रेनस्टेम ट्यूमर दिमाग के सबसे गहरे हिस्से में पैदा होने वाली असामान्य घातक वृद्धि है. इनकी वजह से ट्यूमर तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती रहती है. शरीर के महत्वपूर्ण कार्यों जैसे नजर, सांस, अंग का मूवमेंट और चेतना वाले एरिया से ये ट्यूमर घिरा होता है. डॉक्टर हिमांशु चंपानेरी के नेतृत्व में सर्जिकल टीम ने अत्याधुनिक तकनीकों और एक एडवांस ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप का उपयोग करके छह घंटे की सर्जरी की. असाधारण परिशुद्धता और कौशल के साथ, डॉक्टरों ने किसी तरह का नुकसान पहुंचे बिना 30×30 मिमी का ट्यूमर निकाला. ये एक ऐसा केस था जिसमें सर्जरी के दौरान छोटी सी भी चूक गंभीर नुकसान पहुंचा सकती थी, मरीज को स्थायी कोमा या पैरालिसिस हो सकता था. डॉक्टर हिमांशु चंपानेरी ने बताया, ”ब्रेन ट्यूमर का इलाज काफी जोखिम वाला होता है क्योंकि इस एरिया से शरीर के सभी जरूरी काम कंट्रोल होते हैं. ब्रेनस्टेम से सांस, हृदय गति, अंग मूवमेंट और निगलने की क्षमता नियंत्रित होती है. ऐसे में इस तरह के मामलों में कोई भी सर्जिकल हस्तक्षेप नाजुक हो सकता है. सर्जरी के बाद मरीज को एक दिन इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में अच्छे से मॉनिटर किया गया. सर्जरी के तीन दिन बाद ही लड़का मदद से चल पाने में सक्षम था और पैरालिसिस से उसकी अच्छी रिकवरी होने लगी. दसवें दिन टांके खोल दिए गए और मरीज खुद स्वतंत्रता से चलने लगा. घर जाने से पहले लड़के ने हमें उसी हाथ से हाई-फाइव दिया जिस पर पैरालिसिस का असर था. इससे ज्यादा संतुष्टि की बात और क्या हो सकती है.” बायोप्सी रिपोर्ट से पता चला कि हटाया गया ट्यूमर ब्रेनस्टेम में स्थित एक निम्न श्रेणी का घातक ट्यूमर था. सफल सर्जरी और उसके बाद बेहतर रिकवरी से मरीज के परिवार को आशा और राहत मिली है. ये परिवार मैरिंगो एशिया अस्पताल गुरुग्राम की मेडिकल टीम के प्रयासों का आभारी है. डॉक्टर हिमांशु चंपानेरी ने सफल परिणाम पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे इस तरह की नाजुक और हाई रिस्क वाली सर्जरी को नेविगेट करने में हमारी टीम के समर्पण और विशेषज्ञता पर गर्व है. मरीज की शानदार रिकवरी को देखना वास्तव में संतुष्टिदायक है, और हम अपने रोगियों को देखभाल के उच्चतम मानक प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.” मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स गुरुग्राम की फैसिलिटी डायरेक्टर नीता रजवार कहती हैं, “छह साल के लड़के का मामला और उसका ठीक होना इस बात का प्रमाण है कि हमारे डॉक्टर एक मरीज की जान बचाने के लिए सीलिंग तोड़ सकते हैं. बच्चे की मुस्कान यूनिट में टीम के लिए एक अवॉर्ड था. हम हर जटिल मामले का इलाज करना जारी रखेंगे, जिसमें हमें चुनौती मिलती है और अधिक से अधिक जीवन बचाया जाता है.” ज्यादातर ब्रेनस्टेम ट्यूमर की सर्जरी नहीं की जा सकती है. उनमें से कुछ एक्सोफाइटिक ट्यूमर होते हैं जिन्हें हटाया जा सकता है लेकिन गलती गुंजाइश बहुत कम होती है. बाल चिकित्सा आयु वर्ग में सर्जरी की प्राथमिकता किसी भी कीमत पर न्यूरोलॉजिकल नुकसान से बचने के लिए बनी हुई है.

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