महिला स्वास्थ्य के लिए ‘प्रिजर्व द यूट्रूस’ जैसी पहल और जागरूकता जरूरी
महिला स्वास्थ्य के लिए ‘प्रिजर्व द यूट्रूस‘ जैसी पहल और जागरूकता जरूरी
प्रधान संपादक योगेश
नई दिल्ली, : ‘प्रिजर्व द यूट्रस‘ राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे आयोजन में जाने-माने विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे कि देश में गैर-जरूरी हिस्टेरेक्टोमी के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिल-जुलकर जागरूकता के प्रयास करने की जरूरत है। इसके अलावा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी हिस्टेरेक्टॉमी के दिशा-निर्देशों को भी बेहतर तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
यह राष्ट्रीय सम्मेलन पूरे देश में चलाए जा रहे ‘प्रिजर्व द यूट्रस‘ अभियान का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत अप्रैल, 2022 में की गई थी। इसे भारत में बायर के फार्मास्यूटिकल्स डिवीजन, इंटिग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग (आईएचडब्ल्यू) काउंसिल और फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया (एफओजीएसआई) ने शुरू किया था। इसे ऐसे समय प्रस्तुत किया गया, जब देश में महिलाओं में समय से पहले हिस्टेरेक्टॉमी के बढ़ते मामले मीडिया में सामने आ रहे थे।
इस अवसर पर भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास और आयुष मंत्रालयों के राज्य मंत्री डॉ. श्री मुंजापारा महेंद्रभाई ने कहा, “मुझे बेहद खुशी है कि इंटिग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग (आईएचडब्ल्यू) काउंसिल बायर और एफओजीएसआई ने एक साथ मिलकर इस तरह का अनूठा मंच पेश किया है, जो महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में सकारात्मक बातचीत को बढ़ावा देता है और इस तरह इस मुद्दे के आसपास मौजूद झिझक को कम करने में मदद मिलती है। इस तरह के प्रयासों से देश की महिलाओं की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जरूरी कदमों की रूपरेखा भी तैयार होगी।‘
ब्लूम आईवीएफ सेंटर्स के मेडिकल डायरेक्टर और एफओजीएसआई के प्रेसिडेंट-इलेक्ट डॉ. ऋषिकेश पाई ने स्वस्थ समाज के लिए महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह जरूरी है कि सरकारी दिशानिर्देशों को पूरी तरह लागू किया जाए। बेहतर स्वास्थ्य परिणामों और यूट्रस के बचाव के तरीकों के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को सक्षम बनाना जरूरी है। एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण स्वस्थ महिलाओं द्वारा किया जा सकता है, इसलिए महिला स्वास्थ्य सभी के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।“
इस अभियान ने महिलाओं और हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर्स के बीच अत्यधिक मैन्स्ट्रुअल ब्लीडिंग जैसे स्त्री रोगों से निपटने के लिए समकालीन और वैकल्पिक दृष्टिकोण के बारे में जागरूकता बढ़ाई। लगभग दो साल की अवधि में इस खास अभियान ने महिलाओं को हिस्टेरेक्टॉमी के परिणामों के बारे में जागरूक करने में सक्रिय भूमिका निभाई है, जिससे वे अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सोच-समझकर फैसले ले सकें। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में दिशा-निर्देशों के पालन को लेकर भी सिफारिशें प्रस्तुत की गईं। साथ ही, वाइट पेपर के रूप में देश में हिस्टेरेक्टॉमी पर दृष्टिकोण भी बताया गया।
इस पहल के बारे में बायर जाइडस फार्मा के वूमेन हेल्थकेयर विभाग के बिजनेस यूनिट हेड श्री दीपक चोपड़ा ने कहा, “जब महिलाओं के स्वास्थ्य की बात आती है तो जागरूकता ही सोचे-समझे फैसले लेने का तरीका है और इसलिए जागरूकता अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के बारे में बेहतर और समय पर, ऐसे निर्णय लेने में सक्षम हों।
श्री चोपड़ा ने महिला-स्वास्थ्य से जुड़े अत्यधिक मैन्स्ट्रुअल ब्लीडिंग जैसी जटिल चुनौतियों से निपटने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के महत्व पर जोर दिया और बायर द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे और समाज को दिशा दिखा रहे कामों के बारे में बताया।
यह प्रमाणित हो चुका है कि हिस्टेरेक्टॉमी का संबंध कुछ प्रमुख पुरानी बीमारियों से है, जैसे – कॉर्डियोवैस्कुलर रोगों का खतरा, कैंसर, डिप्रेशन, मेटोबोलिक परेशानियां और डिमेंशिया आदि।
इस चर्चा में, आईएचडब्ल्यू काउंसिल के सीईओ श्री कमल नारायण ने कहा, “समुदायों और राष्ट्र के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं का स्वास्थ्य सबसे पहले आता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल, ‘प्रिजर्व द यूट्रस‘ जैसी पहल को स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण बना देता है। अपने प्रयासों में महिलाओं के प्रजनन-स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखते हुए हम इसके साथ जुड़ी झिझक और भ्रमों को दूर करने में अहम योगदान दे सकते हैं। इससे महिलाओं का शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी सही रहता है। सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील और आसानी से समझ आने वाली जानकारी इस बारे में जरूरी है।”
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