Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

भारतीय सनातनसंस्कृति भारत का मूल आधार: मा. दिनेश

2

भारतीय सनातनसंस्कृति भारत का मूल आधार: मा. दिनेश

विश्व हिन्दू परिषद् केन्द्रीय कार्यालय में मनाया गया महोत्सव

देश के नवनिर्माण व विकास में अपना निरंतर योगदान देना चाहिए

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
भारतीय नव संवत्सर 2079 के प्रारम्भ होने पर चौत्र शुक्ला प्रतिपदा को विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय कार्यालय, रामकृष्ण पुरम नई दिल्ली में नव संवत्सर मंगल मिलन महोत्सव का आयोजन किया गया।  इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक मा. दिनेश चन्द्र मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत संस्कृत परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. डॉ. सत्येन्द्र प्रकाश सत्यम् ने की । मंच संचालन डॉ. अश्विनी शर्मा ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्वलन तथा वैदिक मन्त्रोच्चारण के साथ किया गया । इसके उपरान्त अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री तुषा शर्मा द्वारा माँ सरस्वती की वंदना की गयी । तत्पश्चात विहिप केन्द्रीय मन्त्री और भारत संस्कृत परिषद् के केन्द्रीय महामंत्री आचार्य डॉ. राधा कृष्ण मनोड़ी ने सभी गणमान्य महानुभावों का परिचय करवाया और सभी अतिथियों को श्रीराम पटका और चित्र भेंट कर उनका स्वागत किया ।

इसके उपरांत मुख्य अतिथि मा. दिनेश चन्द्र जी द्वारा श्रीनिधि वैदिक पञ्चांग का लोकार्पण किया गया । अपने सम्बोधन में मा. दिनेश चन्द्र ने सभी को नववर्ष की बधाई देते हुए कहा कि सनातन परम्परा और भारतीय संस्कृति इस देश का मूल आधार है, इसलिए हम सभी को सदैव अपनी जड़ों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए और देश के नवनिर्माण व विकास में अपना निरंतर योगदान देना चाहिए । विहिप के वरिष्ठ प्रचारक मा. धर्मनारायण ने नववर्ष पर सभी को बधाई देते हुए सभी से निवेदन किया कि वे भारतीय संस्कृति के प्रति पूर्ण निष्ठावान होकर अपने बच्चों में भी संस्कार विकसित करें। विहिप केन्द्रीय मन्त्री और भारत संस्कृत परिषद् के केन्द्रीय महामंत्री आचार्य डॉ. राधा कृष्ण मनोड़ी ने अपने सम्बोधन में सभी को भारतीय संस्कति को बढ़ाने और देशहित  में कार्य करने का आग्रह किया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारत संस्कृत परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा.डॉ. सत्येन्द्र प्रकाश सत्यम् ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि हम अपनी संस्कृति को भूलकर दूसरो के पीछे भाग रहे है और यही कारण है कि हमारे बच्चों में भी इसी प्रकार के संस्कार आ रहे है । हम सभी को भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए पुनः प्रयास करने होंगे और ये तभी संभव होगा जब हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को बल देंगे । इस अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री तुषा शर्मा, प्रसिद्द कवि चन्द्रशेखर मयूर और कवयित्री पूनम शर्मा ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की । भारत संस्कृत परिषद् हरियाणा की उपाध्यक्षा डॉ गीता आर्या ने भी अपने विचार रखें । कार्यक्रम में अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading