सीएम हरियणा की जनता के स्वास्थ्य के प्रति कितने गंभीर: आप
केंद्र की टीकाकरण नीति को मनमाना और तर्कहीन ठहराया गया
केंद्र युद्ध स्तर पर समान रूप से सभी का निःशुल्क टीकाकरण करे
सीएम मनोहर लाल खट्टर के बयान की भी की गई भर्तसना
फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम/पटौदी। राज्य सभा सांसद एवं आम आदमी पार्टी हरियाणा के सहप्रभारी डॉ सुशील गुप्ता ने हरियाणा में उपलब्ध टीकों की अपर्याप्त संख्या पर सवाल खड़े किये हैं । सीएम मनोहर लाल खट्टर के बयान की भी निंदा की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि टीके कम हैं तो राज्यों को धीरे-धीरे टीकाकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस ब्यान से साबित हो गया है कि सूबे के मुख्यमंत्री हरियणा की जनता के स्वास्थ्य के प्रति कितने गंभीर हैं ? टीकाकरण प्रक्रिया की धीमी गति हरियाणा के लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगी जिसके घातक परिणाम होंगें। यह बात आज उन्होंने पूरे हरियाणा के कार्यकर्ताओं से प्रतिदिन हो रही गूगल मीट के दौरान कही।
राज्य सभा सांसद ने कहा की देश की सर्वोच्च न्यायलय की खंड पीठ ने भी केंद्र की टीकाकरण नीति को मनमाना और तर्कहीन बताते हुए कई सवालों के जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। जिससे देश के लोगों को इस सरकार की नीयत पर ही शंका होने लगी है और लोगों में एक अनजाने भय का माहौल जँन्म लेता जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर ने इस बार हर गाँव और शहर के प्रत्येक घर को प्रभावित किया है। वैज्ञानिक तथा वरिष्ठ अनुसन्धान कर्ताओं का कहना है कि लोगों का जीवन बचाने और कोवीड के प्रसार को रोकने का एक ही तरीका हैं की ज्यादा से ज्यादा तथा जल्द से जल्द सभी को टीका लगाया जाए। प्राय विश्व के सभी देश सभी नागरिकों को मुफ्त टीकाकरण प्रदान कर रहे हैं और कई देशों ने तो 50- 60ः से अधिक नागरिकों को टीकाकरण कर दिया है। 1.5 करोड़ लोगों को प्रतिदिन टीका लगाने वाले चीन की तुलना में भारत प्रतिदिन 18 से 20 लाख लोगों का ही टीकाकरण कर रहा है। ऊपर से मुख्यमंत्री का ये ब्यान हास्यपद नहीं तो क्या है ?
डॉ सारिका वर्मा प्रमुख आप हरियाणा मेडिकल सेल और दक्षिणी हरियाणा आप के प्रभारी राव धीरज सिंह ने संयुक्त रूप से कहा कि बड़ी आबादी होना तो भारत की सबसे बड़ी ताकत है । जिसको दोष नहीं दिया जा सकता। ऐसे बयानों से यही लगता है की प्रदेश सरकार ने हथियार डाल दिए हैं और बहकी-बहकी बगैर सिर पैर की अनर्गल बातें का रहे हैं। इन्होंने कहा कि केंद्र,राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए अलग अलग खरीद और अंतर मूल्य निर्धारण भारत में टीकाकरण की गति को बाधित कर रही है। ऐप आधारित टीकाकरण बुकिंग एक डिजिटल विभाजन पैदा कर रही है और बिना स्मार्टफोन या इंटरनेट के लोगों के लिए टीकाकरण करना बहुत मुश्किल हो गया है। जिस पर सर्वोच्च न्यायलय ने भी सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने मांग की है अगर लोगों को बचाना है तो कि भारत सरकार युद्ध स्तर पर समान रूप से सभी का निःशुल्क टीकाकरण करे तथा युवाओं को भी बिना किसी ऐप बुकिंग के निरूशुल्क टीकाकरण किया जाना चाहिए
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