हिमाचल मे साल 1905 में भी मंगलवार और अमावस्या को आया था भूकंप
हिमाचल मे साल 1905 में भी मंगलवार और अमावस्या को आया था भूकंप
जिला कांगड़ा में मंगलवार की रात जैसे ही भूकंप के झटके लगे तो डरे सहमे अपने घरों से बाहर आकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए। 6.6 तीव्रता का भूकंप महसूस कर लोगों के मन में 1905 की तबाही का मंजर सामने आ गया। 4 अप्रैल 1905 में जब कांगड़ा की धरती पर यह भयावह दृश्य हुआ था तो उस दिन मंगलवार के साथ अमावस्या का योग था। वही 21 मार्च 2023 को भी मंगलवार होने के साथ अमावस्या का ही योग बना है।
दोनों दिनों में मंगलवार के योग के साथ भूकंप के झटके होना भी एक विचित्र संयोग को दिखाता है। लोगों में भूकंप को लेकर इस प्रकार का भय था कि लोग कमरों के अंदर जाने से भी डर रहे थे। वही बाहर आने के बाद लोगों ने अपने सगे संबंधियों को फोन कर उनका कुशलक्षेम जानने लगे। 1905 में 4 अप्रैल की सुबह भूकंप ने ऐसी तबाही बरपाई थी कि चारों ओर सिर्फ तबाही के निशान दिख रहे थे। ये भी पढ़ें:- हिमाचल में भूकंप के तेज झटके, घरों से बाहर निकले लोग, देर रात फिर हिली धरती कांगड़ा से लेकर लाहौर तक आई इस त्रासदी में 28 हजार लोगों की जान चली गई थी।
सुबह छह बजकर 19 मिनट पर दो मिनट के लिए ऐसी हलचल हुई की लाखों परिवार बेघर हो गए और हजारों लोग इमारतों के नीचे दफन। रिएक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई थी। भूकंप के बाद कांगड़ा का ये भयावह दृश्य आज भी जिला कांगड़ा के लोगों के मन में भय बनाए हुए है। 1905 में आए भूकंप से कांगड़ा के ज्यादातर ऐतिहासिक भवन नष्ट हो गए थे। सभी बाजार पूरी तरह से तबाह हो चुके थे। कांगड़ा किला, कांगड़ा मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर पूरी तरह से नष्ट हो गए थे। बैजनाथ मंदिर को आंशिक नुकसान पहुंचा था। आंखों के सामने घूमने लगा 1905 का मंजर अपने परिवार के सदस्यों के साथ देख
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