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उच्च न्यायालय

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उच्च न्यायालय

👉संविधान के अनुच्छेद 214 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा, लेकिन विधि द्वारा दो या अधिक राज्यों के लिए अथवा दो या अधिक राज्यों और किसी संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक ही उच्च न्यायालय स्थापित कर सकती है। वर्तमान समय में पंजाब तथा हरियाणा के लिए एक ही उच्च न्यायालय है और असम, नागालैण्ड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम तथा अरुणाचल प्रदेश के लिए एक उच्च न्यायालय है। मुम्बई उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार महाराष्ट्र और गोवा राज्यों तथा दमन और दीव एवं दादरा और नागर हवेली संघ राज्य क्षेत्रों पर है। इसी प्रकार कलकत्ता उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह, मद्रास उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार पाण्डिचेरी तथा केरल उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार लक्षद्वीप संघ राज्य क्षेत्र पर है। सात संघ शासित राज्यों में से केवल दिल्ली ही एक ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है, जिसका अपना उच्च न्यायालय है। इस समय भारत में कुल 21 उच्च न्यायालय हैं।

💟👉गठन

👉प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा ऐसे अन्य न्यायाधीशों को मिलाकर किया जाता है, जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करे। इस प्रकार भिन्न-भिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की संख्या भी भिन्न है। उदाहरणार्थ, गौहाटी उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या सबसे कम 3 है। जबकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या सबसे ज़्यादा 58 है। भारत के सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की कुल संख्या 456 है

💟👉इलाहाबाद उच्च न्यायालय

👉उत्तर प्रदेश राज्य का उच्च न्यायालय है। यह भारत में स्थापित सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है। यह न्यायालय वर्ष 1869 ई. से कार्यरत है। वर्तमान समय में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्तियों के 160 पद स्वीकृत हैं।

👉स्थापना मूल रूप से ‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय’ ब्रिटिश राज में भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 के अन्तर्गत आगरा में 17 मार्च, 1866 ई. को स्थापित किया गया था। उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों के लिए स्थापित इस न्यायाधिकरण के पहले मुख्य न्यायाधीश सर वाल्टर मॉर्गन थे। सन 1869 में इसे आगरा से इलाहाबाद स्थानान्तरित कर दिया गया। बाद में इसका नाम 11 मार्च, 1919 को बदल कर ‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय’ किया गया। लखनऊ में प्रतिस्थापित 2 नवम्बर, 1925 को अवध न्यायिक आयुक्त ने अवध सिविल न्यायालय अधिनियम, 1925 की गवर्नर-जनरल से पूर्व स्वीकृति लेकर संयुक्त प्रान्त विधानमण्डल द्वारा अधिनियमित करवा कर इस न्यायालय को ‘अवध चीफ़ कोर्ट’ के नाम से लखनऊ में प्रतिस्थापित कर दिया। भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध ‘काकोरी काण्ड’ के ऐतिहासिक मुकदमें का निर्णय ‘अवध चीफ़ कोर्ट’, लखनऊ में ही दिया गया था।

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