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जांच बीच में छोड़ हरेरा जांच अधिकारी नदारद, आरटीआई में खुलासा

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जांच बीच में छोड़ हरेरा जांच अधिकारी नदारद, आरटीआई में खुलासा

सवाल खड़ा होता है कि ईआर रतन देव गर्ग हरेरा में कैसे नियुक्त हुए

न कोई जांच रिपोर्ट सबमिट की और न ही हरेरा के पत्रों का जवाब

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम।
 बिल्डर की मिलीभगत से जांच बीच में छोड़ हरेरा में जांच अधिकारी नदारद होने का मामला प्रकाश में आया है। दरसलजेएमडी मेगापॉलिस में व्याप्त गंभीर अनियमिताओं की जांच गृह मंत्रालय के आदेश पर हरेरा गुड़गाँव के पत्रांक 10/39/20/2016-1 दिनांक 22.01.2019 को सौंपी गई।

हरेरा गुड़गाँव में उक्त प्रकरण में ईआर रतन देव गर्ग डीकेएस कमिश्नर/इनेवेस्टिगेशन आफिसर बनाया गया। ईआर रतन देव गर्ग को दिनांक 23.04.2019 शिकायतकर्ता ने सभी दस्तावेजी सबूत उपलब्ध करा दिए थे। ईआर रतन देव गर्ग खुद भी एक बिल्डर थे। उन्होंन जेएमडीे  बिल्डर की मिलीभगत के चलते कोई जांच नहीं की। आरटीआई के जवाब से इस बात का खुलासा हुआ की ईआर रतन देव गर्ग जांच के बीच में ही गायब हो गए और उन्होंने न तो कोई जांच रिपोर्ट सबमिट  की और न ही हरेरा के पत्रों का जवाब दिया। और इस प्रकार ईआर रतन देव गर्ग ने गैर कानूनी रूप से जेएमडीे बिल्डर को फायदा पहुंचाया। जांच लगभग 2 साल तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही। उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

यहाँ यह सवाल खड़ा होता है कि ईआर रतन देव गर्ग हरेरा में कैसे नियुक्त हुए। क्या नियुक्ति से पहले ईआर रतन देव गर्ग के एटेंडेंस चेक नहीं किये गए। अगर गृह मंत्रालय द्वारा भेजी गई जांच का यह हश्र हो सकता है, तो आम जांच कैसे होंगी। सच्चाई सामने आने के बाद आज भी हरेरा के उच्च अधिकारी चुप क्यों हैं। भ्रष्ट जांच अधिकारी ईआर रतन देव गर्ग पर अभी तक भ्रष्टाचार निरोधक कानून के अंतर्गत कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई।

हाँलाकि जेएमडी बिल्डर के खिलाफ उक्त जांच हरेरा में दिनांक 06.09.2021 को  एस सी गोयल को सौंप दी गई है। लेकिन कि ईआर रतन देव गर्ग के विरूद्ध अभी तक कोई एक्शन न लेना की सवाल खड़े करता है। कि ईआर रतन देव गर्ग जैसे अधिकारियों की वजह से हरेरा की निष्पक्षता पर लोगों का भरोसा डगमगाता है। शिकायतकर्ता के वकील यतिश कुमार गोयल का कहना है कि कि ईआर रतन देव गर्ग जैसे अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ताकि हरेरा की निष्पक्षता पर लोगों का भरोसा कायम हो सके।

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