हरियाली तीज श्रावण मास शुक्ल पक्ष तृतीया 31 जुलाई रविवार
हरियाली तीज श्रावण मास शुक्ल पक्ष तृतीया 31 जुलाई रविवार
इस त्योहार को उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है, इस दिन शादी-शुदा बेटियों को ससुराल से मायके बुलाया जाता है, ससुराल पक्ष अपनी बहू को झूले की रस्सी, पटरी, साड़ी और घेवर की मिठाई को सिंधारे के रूप में भेजता है.
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कज्जली तीज या हरियाली तीज मनाई जाती है.
ज्येष्ठ और आषाढ़ मास की गर्म हवा (लू) से जहाँ प्रकृति और इसके वासी त्राहि-त्राहि कर उठते हैं, वहीं श्रावण की ठण्डी फुहारें वातावरण को मनमोहक बना देती हैं. समस्त प्रकृति को मानों पुनः जीवन दान मिल गया हो.
चारों ओर हरियाली हो जाती है और प्रकृति अपनी मनोरम छटा बिखेरने लगती है. श्रावण मास से भारतीय परम्परानुसार फिर से त्यौहारों का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है.
इसे सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए. अविवाहित लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं.
गर्मी का प्रकोप इस समय चरम सीमा पर होता है. अतः महिलाएँ इस दिन अपने हाथों में मेंहदी लगाती हैं. वृक्षों पर झूले पड़ जाते हैं और उन पर झूलती महिलाएँ जब श्रावण के गीत गाती हैं तो पूरा वातावरण संगीतमय हो जाता है.
बारिश की रिमझिम फूहारों में झूलती, नाचती और गाती महिलाओं के साथ मानों प्रकृति भी थिरक उठती है. इस दिन विशेषकर हरियाणा का घेवर मिठाई को खाया और खिलाया जाता है.
शादी-शुदा बेटियों को ससुराल से मायके बुलाया जाता है, ससुराल पक्ष अपनी बहू को झूले की रस्सी, पटरी, साड़ी और घेवर की मिठाई को सिंधारे के रूप में भेजता है. शाम को घरों में पकवान बनाये जाते हैं.
उत्तर भारत में हरियाली तीज का यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
हरियाली तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
हम सभी को व्यक्तिगत स्वार्थ की भावना का परित्याग कर राष्ट्र के नव निर्माण में अपना सर्वोत्तम कर्त्तव्य कर्म करने का यत्न करना चाहिए।
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