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गुरुग्राम स्थित हॉस्पिटल ने सफल लीवर ट्रांसप्लांट के जरिए 51 वर्षीय मरीज को दी नई ज़िंदगी

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गुरुग्राम स्थित हॉस्पिटल ने सफल लीवर ट्रांसप्लांट के जरिए 51 वर्षीय मरीज को दी नई ज़िंदगी

• कोविद-19 की गंभीर स्थिति के बीच, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स ने ट्रांसप्लांट को संभव बनाने में नहीं छोड़ी कोई कसर

• लीवर सिरोसिस से जूझ रहा था मरीज, ट्रांसप्लांट के बिना केवल छह महीने की शेष थी जिंदगी

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम : कोविड के दोबारा बढ़ते मामलों ने देश को संदेह, भय और अनिश्चितता से भर दिया है। इस गंभीर परिस्थिति में डॉक्टरों सहित फ्रंटलाइन वर्कर्स हर एक जीवन बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच एक 51 वर्षीय मरीज के लिए गुरुग्राम का आर्टेमिस हॉस्पिटल्स आशा की नई किरण लेकर आया। हॉस्पिटल ने 51 वर्षीय मरीज को एक सफल लीवर ट्रांसप्लांट के जरिए नई ज़िंदगी दी है।

गुरुग्राम निवासी 51 वर्षीय मरीज लीवर सिरोसिस से जूझ रहे थे और उनकी हालत गंभीर थी। ट्रांसप्लांट के बिना केवल छह महीने की ज़िंदगी शेष रह गई थी। उनका लीवर काफी क्षतिग्रस्त था, जिस कारण से आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को ट्रांसप्लांट की तत्काल आवश्यकता का एहसास हुआ। ऐसे में, सबसे बड़ी चुनौती अविलंब एक मैचिंग डोनर को ढूंढना था। परिजन डोनर की तलाश के लिए संघर्ष कर रहे थे और उनकी आशाएं धूमिल होने लगी थीं। बिना किसी देरी के, हॉस्पिटल ने परिजनों को रजिस्ट्रेशन के लिए कहा और नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) की मदद से कोलकाता में एक डोनर को ढूंढ निकाला। यह तब संभव हुआ जब कोलकाता में एक परिवार ने अपने 64 वर्षीय सदस्य (महिला) को खोने के बाद, एक दूसरी ज़िंदगी बचाने के लिए आगे आए और अंगदान की सहमति दी। देश में कोविड-19 की चुनौतीपूर्ण स्थिति के बीच, नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) से प्राप्त समर्थन और अंतरराज्यीय समन्वय ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसके बाद अगली चुनौती, कोलकाता से आर्टेमिस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम तक ऑर्गन को सही सलामत और जल्द से जल्द लाने की थी। इसके लिए, इस मुहिम में शामिल टीम के सदस्यों का आरटी-पीसीआर परीक्षण किया गया और शहरों में संपूर्ण यात्रा का प्रबंधन करने के लिए रिपोर्ट जल्दी प्रदान की गई। ऑर्गन को कोलकाता से गुरुग्राम एयरलिफ्ट किया गया। इसके बाद गुरुग्राम और दिल्ली पुलिस की मदद से दिल्ली हवाई अड्डे और हॉस्पिटल के बीच एक ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया। तमाम प्रयासों और कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप हॉस्पिटल को सही समय पर ऑर्गन मिला और सफलतापूर्वक सर्जरी की गई।

सफल सर्जरी को लेकर आर्टेमिस हॉस्पिटल्स के डॉ. गिरिराज बोरा ने कहा, “मरीज की स्थिति बहुत खराब हो गई थी और इलाज बहुत चुनौतीपूर्ण था। लीवर सिरोसिस के कारण उसके लीवर का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था, सर्जरी के अभाव में; मरीज के पास जीने के लिए कुछ ही महीने रह गए थे। कोविड के बढ़ते मामलों ने संकट को और बढ़ा दिया था। ऑर्गन मिलने के बाद, सावधानीपूर्वक सर्जरी की गई। मरीज की स्थिति में काफी सुधार है और अब जल्द ही ठीक हो जाएगा।“

सिरोसिस एक लेट-स्टेज लीवर रोग है, जो लीवर सेल की हानि और लीवर के अपरिवर्तनीय निशान का कारण बनता है। कई मामलों में, शराब, हेपेटाइटिस-बी और हेपेटाइटिस-सी सिरोसिस के सामान्य कारण हैं।

इसे लेकर आर्टेमिस हॉस्पिटल्स की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. देवलीना चक्रवर्ती ने कहा, “आज के समय में, जब लोग अस्पतालों में जाने से हिचकिचाते और डरते हैं, तो इस तरह के प्रयास से रोगियों और उनके परिजनों का विश्वास बढ़ेगा। मरीज की स्थिति काफी गंभीर थी और गुरुग्राम पुलिस, दिल्ली पुलिस, नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (NOTTO) और अन्य स्टेकहोल्डर्स के साझा समर्थन के माध्यम से, हम मरीज की ज़िंदगी बचाने में कामयाब रहे। इस तरह के प्रयास लोगों को मानव जाति की भलाई हेतु अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।”

सर्जरी सफल रही और मरीज अच्छी तरह से रिकवरी कर रहा है।

आर के हुड्डा, मरीज के भाई ने कहा “हम उम्मीद खो चुके थे। हमारे लिए इस विषम परिस्थिति, खासकर ऐसे समय में जब लोग अस्पतालों में आने से डर और हिचकिचा रहे हैं, हमें डोनर को ढूंढना में काफी परेशानी हो रही थी। हम अपने मरीज के लिए एक उपयुक्त डोनर की व्यवस्था करने के लिए आर्टेमिस हॉस्पिटल्स और उनकी टीम के आभारी हैं। हम अपने मरीज को एक नया जीवन देने के लिए उनके आभारी और ऋणी हैं।”

वह अभी चिकित्सीय निगरानी में है और आने वाले 6 से 7 दिनों में पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।

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