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गृहे गायत्री यज्ञ अभियान

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गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ अभियान

’ बुद्ध पूर्णिमा दिनांक – 16 मई 2022 सोमवार को एवं जहां अवकाश नहीं होता,वहां 15 मई 2022 रविवार को एक साथ एक दिन लाखों नये घरों में एक कुण्डीय गायत्री यज्ञ सम्पन्न हो रहे हैं।

2026 तक दो करोड़ नए घरों अर्थात 10 करोड़ नए व्यक्तियों तक युग ऋषि का संदेश पहुँचाना।

25 लाख अखण्ड ज्योति सहित मासिक पत्रिकाओं की सदस्यता एवं इससे पांच गुने पाठक तैयार करना है।

’ यह विराट यज्ञानुष्ठान है जो बिना जाति,वर्ग,क्षेत्र,भाषा के श्रद्धालुओं के सहयोग से सम्पन्न हो रहा है।

’ यज्ञों के संचालन के हेतु एक करोड़ लोक हितकारी पुरोहित तैयार किए जा रहे हैं।

’ यज्ञ एक ब्रह्मास्त्र प्रयोग है जिससे पर्यावरण संतुलन होगा।

युद्ध – आतंक का वातावरण मिटेगा तथा एकता,समता, सुचिता बढ़ेगी।

’ कार्यक्रम पूरी तरह निःशुल्क है एवं सर्वजन हिताय – सर्वजन सुखाय है।

’ गुरुदेव ने कहा था आने वाला समय गायत्री यज्ञमय होगा,वह साकार हो रहा है।

’ इससे जो दैवी अनुग्रह बरसेगा उसी से नये युग का अवतरण सम्भव होगा।

’ हमारा परिवार (गायत्री परिवार) लोकमंगल के विविध कार्यक्रमों आंदोलनों के माध्यम से जन-जन में श्रद्धा-विश्वास जगाता रहा है

’ यही जन श्रद्धा आज इतने महा अभियान की आधार शिला बनी है। देवी अनुग्रह,जनश्रद्धा एवं सत्पुरुषों,साधकों का पुरुषार्थ इसकी सफलता का आधार बना है।

गायत्री एवं यज्ञ हमारी संस्कृति के माता पिता हैं।

👉यज्ञ हमें त्यागमय जीवन जीने का ढंग सिखाता है,तो गायत्री हमें जीने का लक्ष्य दिखाती है।

ऽ अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभिः यज्ञ संसार का नाभि केन्द्र है।

ऽ यज्ञो कल्याण हेतवः – यज्ञ कल्याण करने का हेतु साधन है।

ऽ यज्ञोsयं सर्वकामधुक – यज्ञ समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है। आदि वेद वाक्य यज्ञ की गरिमा का बोध कराते हैं।

यज्ञ के अनेक लाभ हैं-

● यह यज्ञ समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

● यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म (यह ही संसार का सर्वश्रेष्ठ शुभकर्म है)

● यज्ञ में आहूत पदार्थ सूक्ष्मीकृत होकर सर्वत्र लाभ पहुँचाता है।

● यज्ञ पर्यावरण को शुद्ध करता है।

● यज्ञ धूम्र वायुमण्डल को सुगन्धि एवं पुष्टि प्रदान कर पर्जन्य वर्षा कराता है।

● यज्ञ वातावरण में विद्यमान रोग-कीटाणुओं का नाश करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है।

● यज्ञ उपचार की प्राचीनतम पद्धति है जिसमें रोगानुसार वनौषधियों का प्रयोग होता है।

● यज्ञ द्वारा ही देवताओं को भोग लगाया जाता है, उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।

● यज्ञ अग्नि मंत्र की शक्ति और व्यक्तित्व का चुम्बकत्व मिलकर एक शक्तिशाली तंत्र बनाते हैं।

● जहाँ नियमित यज्ञ होते हैं वह स्थान पवित्र व संस्कारवान् स्थान बन जाते हैं।

● यज्ञ से घरों में सुसंस्कारिता का वातावरण निर्मित होता है।

● यज्ञ त्याग-परोपकार, सहयोग-सहकार एवं सम्मान का सर्वोत्तम शिक्षक है।

● यज्ञ सभी धार्मिक कार्यों का आधारभूत साधन है।

● यज्ञ से रोग निवारण स्वास्थ्य संवर्द्धन, कीर्ती, यश, धन, प्रतिभा आदि दैवीय उपलब्धियाँ मिलती हैं।

● यज्ञ एक सिद्ध एवं पूर्ण विज्ञान है।

● युग ऋषि ने यज्ञ को वर्ग विशेष के कारागृह से मुक्त कराया और जन आन्दोलन बनाया है।

● यह लोक शिक्षण का समर्थ माध्यम है।

● यज्ञ से संसार सृष्टि, भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, द्रोपदी प्रद्युम्न के साथ हमारे विराट गायत्री परिवार का जन्म हुआ है।

● यह कोई औपचारिकता या खाना पूर्ति, संख्या पूर्ति नहीं है यह तो एक विशेष लक्ष्य-उद्देश्य के लिये आयेजित विराट अनुष्ठान है।

● अतः प्रयाज, याज और अनुयाज का समग्र स्वरूप तैयार किया जा रहा है।

● पूर्व से निश्चित चयनित घरों में ही यह कार्यक्रम सम्पन्न किया जा रहा है।

● सम्पूर्ण देश ही एक विराट यज्ञ शाला के रूप में परिवर्तित हो रहा है।

● यह तो प्रारंभ है यह नित निरंतर बढ़ता हुआ एक दिन सम्पूर्ण भू-मण्डल को अपने में समेट लेगा।

● इसके बाद प्रति रविवार सुविधानुसार हर नगर-ग्राम में निरंतर जारी रहेगा।

● कार्यकर्ताओं का पुरोहितों का प्रशिक्षण, जन सम्पर्क निरंतर चलता रहेगा। जब तक कि घर-घर यज्ञ गायत्रीमय न हो जाये।

● विविध क्रम जिन पर आपसे प्रर्थना है कि

व अपने घर में देव स्थापना (गायत्री माता की स्थापना) करायें।

● परिवार का हर सदस्य न्यूनतम 5 मिनट गायत्री मंत्र की उपासना जप के माध्यम से करें नमन वन्दन का क्रम नियमित चले।

● हमारी मासिक पत्रिका अखण्ड ज्योति एक क्रांतिकारी पत्रिका है जो लागत मूल्य पर (रूपये 220) वर्ष भर आपके घर आ सकती है। जिसके पढ़ने से घर में सुख शान्ति, समृद्धि और बच्चों में संस्कार आयेंगे। संध्याकाल आरती सत्संग-स्वाध्याय पठन-पाठन करते रहें।

● हमें सारे साधन स्वयं ही नहीं उपयोग करना चाहिये, थोड़ा सा धन और थोड़ा समय प्रतिदिन भगवान-समाज के हित में लगाना चाहिये। इस हेतु धर्मघट स्थापित करायें।

ऽ अपने घर में सत्साहित्य का ज्ञान मंदिर (पुस्तकालय) अवश्य स्थापित करें।

अपने परिवार को सुसंस्कारी बनाने हेतु जन्म दिवस विवाह दिवस अवश्य मनायें। इन्हें आप शक्तिपीठ ध् शान्तिकुंज में भी मना सकते हैं इनकी व्यवस्था निःशुल्क बनाई गयी है।

● शक्तिपीठ, शान्तिकुंज में पर्व त्यौहारें का भी अयोजन विधिवत् होता है आप इनमें जरूर शामिल हों।

● अपने क्षेत्र में इन गति विधियों को लगातार जारी रखने के लिए आप अपना मण्डल बना लें तो कम से कम साप्ताहिक अन्तराल पर श्रेष्ठता साधना-सेवा में आप जुड़े रहेंगे।

● देव परिवार निर्माण हेतु पारिवारिक पंचशीलों का अनुपालन करें। पुनः आपसे निवेदन आग्रह है कि इसे एक दिवसीय कार्यक्रम न मानकर एक प्रखर वैश्विक अभियान का शुभारम्भ माना जाय। भारत को विश्वगुरु की भूमिका निभाने में पुनः सक्षम बनाने के लिये इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य के ऋषि उद्घोष को साकार करने की दिशा में यह अभियान बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।

  • आप सौभाग्यशाली हैं कि हमारी संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ कर्मकाण्ड -यज्ञ आपके घर सम्पन्न हो रहा है। गायत्री परिवार लोक सेवी पुरोहितों के माध्यम से आपके घर आया है। घर में नमन-वंदन, स्वाध्याय सत्संग एवं सेवा का वातावरण बनायें। आपका दाम्पत्य जीवन सुखमय बनेगा, परिवार में संतान सुसंस्कारी बनेंगी और घर में स्वर्ग सा वातावरण निर्मित होगा। और आप सुसंस्कारी परिवार, प्रगतिशील समाज और श्रेष्ठ राष्ट्र के निर्माण का सौभाग्य प्राप्त करेंगे।

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