सरकार सन्तों के धैर्य की परीक्षा न ले: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द
सरकार सन्तों के धैर्य की परीक्षा न ले: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द
सांगली में साधुओं पर बर्बरतापूर्ण घटना पर आक्रोश ब्यक्त किया
बाबा घाट स्थित जूना अखाड़ा के आश्रम में अहम बैठक हुई
ज्ञानवापी पर जिला न्यायालय वाराणसी के आदेश का स्वागत
श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा-अर्चना का सौभाग्य प्राप्त होगा
फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। हाल ही में महाराष्ट्र के सांगली में साधुओं पर घटित बर्बरतापूर्ण घटना पर आक्रोश ब्यक्त करते हुए महाराष्ट्र की सरकार को चेतावनी दी गई कि सरकार सन्तों के धैर्य की परीक्षा न ले। सरकार तत्काल जाँच कराकर अपराधियों को कठोर सजा दे । इसी के साथ ज्ञानवापी प्रकरण में जिला न्यायालय वाराणसी के आदेश का स्वागत किया गया, और यह विश्वास ब्यक्त किया गया कि शीघ्र श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा-अर्चना का सौभाग्य प्राप्त हो जायेगा। कानपुर के बाबा घाट स्थित जूना अखाड़ा के आश्रम में श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती महाराज के साथ श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के मौजूद प्रबुद्ध संतों की अहम बैठक में यह बात शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने कही। यह जानकारी उनके निजी सहायक स्वामी बृजभूषणानन्द महाराज के द्वारा मीडिया से सांझा की गई है।
इसी अहम बैठक में अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक एवम् अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अन्तर्राष्ट्रीय महामन्त्री श्रीमहन्त स्वामी हरि गिरि जी महाराज, जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय सभापति/अध्यक्ष श्रीमहन्त स्वामी प्रेम गिरि जी महाराज, जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि जी महाराज, दण्डी स्वामी महन्त स्वामी अखण्डानन्द तीर्थ जी महाराज ने सनातन धर्म एवम् संस्कृति से सम्बन्धित विभिन्न ज्वलंत समस्याओं पर गहन चिन्तन-मनन किया ।
धर्मान्तरण रोकने को तत्काल कानून बनें
शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने नेकहा कि इसके साथ ही वह समय भी आने ही वाला है, जब भगवान आदि विशेश्वर भी अपने प्राचीन स्वरूप में आ जायेंगे । बैठक में यह इस विषय में भी गम्भीर चर्चा हुई, पूर्व में की गई सनातन धर्म के मानविन्दुओं,प्रतीकों के साथ अत्याचार एवं बर्बर तरीके से किए बदलावों को समाप्त कर उनको उनके प्राचीन गौरव एवं ध्वंस के पूर्व के स्वरूप में स्थापित करते हुए वर्तमान में सनातन धर्म के विरुद्ध षड़यंत्रों का मुँह तोड उत्तर देने के लिए पूरे देश में अभियान चलाया जाय । बैठक में भारत सरकार से यह अपेक्षा की गई कि सरकार पूरे देश में धर्मान्तरण रोकने के लिए तत्काल कानून बनाये, और उसे कड़ाई से लागू करे।
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