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दस प्रतिशत जमीन अधिग्रहण पर ही दे दिए सड़कों के ठेके, कर्नाटक की समीक्षा के दौरान गडकरी ने पकड़ी अनियमितता

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दस प्रतिशत जमीन अधिग्रहण पर ही दे दिए सड़कों के ठेके, कर्नाटक की समीक्षा के दौरान गडकरी ने पकड़ी अनियमितता
नई दिल्ली। एक तरफ सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सड़क परियोजनाओं के मामले में शून्य मुकदमेबाजी की बातें कर रहे हैं और दूसरी ओर उनके अफसरों ने कर्नाटक में 40 सड़क परियोजनाओं के ठेके आनन-फानन में दे दिए।

गडकरी ने सवाल-जवाब किया तो वे कोई जवाब भी नहीं दे सके। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कई सड़क परियोजनाओं के लिए दस प्रतिशत जमीन का भी अधिग्रहण नहीं किया गया, जबकि सड़क निर्माण में ठेकेदारों के साथ मुकदमेबाजी अथवा आर्बिट्रेशन कम करने के लिए मंत्रालय 90 प्रतिशत तक जमीन के अधिग्रहण के बाद ही प्रोजेक्ट अवार्ड करने की नीति पर काम कर रहा है।

परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बैठक में जताई नाराजगी

पिछले दिनों मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने भी इस नीतिगत परिवर्तन की बात कही थी। गडकरी ने डीपीआर बनाने वाले इंजीनियरों और सलाहकारों के साथ एक बैठक में सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी भी जताई और यह इशारा भी किया कि अफसरों ने नेताओं को खुश करने के लिए प्रोजेक्टों के ठेके देने में जल्दबाजी दिखाई। गडकरी ने कहा कि कर्नाटक की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई। सड़क परियोजनाओं के लिए ठेके 10-15 प्रतिशत जमीन के अधिग्रहण के बाद ही दे दिए गए। अधिग्रहण 90 प्रतिशत तक होना चाहिए। अब सारे प्रोजेक्ट पचड़े में फंस गए हैं। हमें भुगतना पड़ेगा।

अफसरों ने अपनी ही गलतियों से निकाला कंपनियों का दीवाला

हम पहले ही फंसे प्रोजेक्टों को निकालने में थक गए हैं, अब इनका भी सामना करना पड़ेगा। गडकरी ने उन अफसरों के नाम तो नहीं लिए, लेकिन यह जरूर कहा कि ये प्रोजेक्ट इसलिए अवार्ड किए गए ताकि मोबिलाइजेशन एडवांस मिल सके और जैसे मांगलिक कार्यों के लिए चढ़ावा देना पड़ता है, उसी तरह अफसरों और एमपी-एमएलए को कुछ दिया जा सके। गडकरी ने यह भी कहा कि एनएचएआइ और दूसरी एजेंसियों के अफसरों ने अपनी ऐसी ही गलतियों से तमाम कंपनियों का दीवाला निकाल दिया है।

90% सड़क दुर्घटनाओं के लिए इंजीनियरिंग की खामियां जिम्मेदार

डीपीआर बनाने में खामियों पर एक बार फिर चिंता जताते हुए गडकरी ने कहा कि नब्बे प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं के लिए इंजीनियरिंग की खामियां जिम्मेदार हैं और इसके लिए सबसे बड़ा दोष खराब डीपीआर का है। गडकरी ने इस पर निराशा जताई कि अपने दस साल के कार्यकाल में वह एक भी ऐसी डीपीआर नहीं देख सके जो दोषरहित हो। एक भी ऐसी डीपीआर नहीं मिली जिसके आधार पर बनी सड़क में ब्लैक स्पाट न उभरा हो।

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