खेतों पर बाड़ बंदी की अनुमति नहीं 30 साल से जीरो लाइन पर 11468 बीघा जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे किसान
खेतों पर बाड़ बंदी की अनुमति नहीं:30 साल से जीरो लाइन पर 11468 बीघा जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे किसान
बाड़मेर. भारत-पाक बॉर्डर पर स्थित किसानों की खातेदारी जमीन। – Dainik Bhaskar
बाड़मेर. भारत-पाक बॉर्डर पर स्थित किसानों की खातेदारी जमीन।
भारत-पाक बॉर्डर पर बसे हजारों किसान 30 साल से उनकी खुद की खातेदारी 11468 बीघा जमीन पर भी कदम नहीं रख पाए है। वजह ये है कि यह जमीन भारत-पाक बंटवारे के बाद जब बॉर्डर तारबंदी और जीरो लाइन के बीच आ गई। वर्ष 1990-92 में तारबंदी का काम पूरा हुआ, इसके बाद से यहां के किसान हजारों बीघा उनकी पुश्तैनी खातेदारी जमीन पर न तो खेती कर पाए है और न ही उन्हें सुरक्षा कारणों से उधर जाने दिया गया।
ऐसे में पिछले 30 साल से किसान उनकी खातेदारी जमीन पर खेती का हक दिलाने के लिए संघर्ष लड़ रहे हैं। गृह मंत्रालय का दावा है कि किसानों को उनकी जमीन पर किसी तरह की मनाही नहीं है, वे खेती कर सकते हैं। सिंचाई के लिए पाइपलाइन की भी अनुमति दी गई है।
किसानों ने खेत के चाराें ओर 6 से 8 फीट ऊंची कांटेदार बाड़ या तारबंदी लगाने की अनुमति मांगी थी उसे सुरक्षा कारणों से देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में किसान वहां खेती करते भी है तो पशुओं की तादाद ज्यादा होने से नुकसान पहुंचाने का खतरा है। ऐसे में जब तक बाड़ या तारबंदी की अनुमति नहीं मिल पाती है तब तक किसानों के लिए बॉर्डर तारबंदी के पार खेती करना मुश्किल हो रहा है।
वर्ष 1990-92 में भारत-पाक बॉर्डर पर तारबंदी कर बंद कर दिया था
यह तारबंदी भारत-पाक की जीरो लाइन से 100 मीटर अंदर की गई। ऐसे में यह 100 मीटर जमीन किसानों की खातेदारी है, जो अंतरराष्ट्रीय तारबंदी के अंदर आ गई। उस दौरान गृह मंत्रालय ने तारबंदी की महज 4 मीटर जमीन अवाप्त कर उसका मुआवजा दे दिया, लेकिन तारबंदी के उस पर जीरो लाइन तक की जमीन का न मुआवजा दिया और न ही किसानों के लिए खेती का समाधान निकाला। अकेले बाड़मेर जिले में 11468 बीघा जमीन बॉर्डर तारबंदी और जीरो लाइन के लिए फंसी हुई है, ये किसानों की पुश्तैनी खातेदारी जमीन है।
इसको लेकर किसान कोर्ट तक गए। बीएसएफ, गृह मंत्रालय की ओर से कई बार पत्र व्यवहार भी हुए। एक नया गेट भी किसानों के आने-जाने के लिए बनाया गया। गृह मंत्रालय ने खेती के लिए अनुमति भी दे दी, लेकिन सुरक्षा कारणों से खेत के चारों ओर तारबंदी की अनुमति नहीं दी गई। इससे एक बार फिर मामला अटक गया। किसान कांटेदार बाड़ या तारबंदी करने की अनुमति मांग रहे हैं।
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