कारनामा… एक दिन के नवजात शिशु की आंखों का ऑपरेशन
कारनामा… एक दिन के नवजात शिशु की आंखों का ऑपरेशन
आई सर्जन डॉ सुशांत शर्मा कर चुके साढे 6 हजार से अधिक आई ऑपरेशन
30 मार्च 2020 से पटौदी नागरिक अस्पताल में दे रहे हैं अपनी सेवाएं
आंखों का पहला ऑपरेशन 15 अप्रैल 2020 को किया गया
नेत्र रोग पीड़ित दो सुशांत शर्मा को कहते हैं आंखों का जादूगर
फतह सिंह उजाला
पटौदी 12 फरवरी । पटौदी क्षेत्र ही नहीं, इसके आसपास लगने वाले जिलों सहित अन्य राज्यों के नेत्र रोगियों के द्वारा पटौदी नागरिक अस्पताल में कार्यरत आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा को आंखों का जादूगर कहा जाने लगा है। आखिर कहा भी क्यों न जाए ।
यह कारनामा नहीं तो और क्या है, महज 24 घंटे पहले जन्म लेने वाले नवजात शिशु की आंखों का ऑपरेशन भी डॉक्टर सुशांत शर्मा के द्वारा पटौदी नागरिक अस्पताल में ही किया गया। गांव मोजाबाद के रहने वाले राहुल के यहां शिशु ने जन्म लिया। जन्म के बाद परिजनों ने देखा शिशु की आंखों की पलक पूरी तरह से बंद थी और आंखों से अनवरत पानी निकल रहा था। परिजन नवजात शिशु देव को लेकर पटौदी नागरिक अस्पताल में डॉक्टर सुशांत शर्मा के पास पहुंचे और इसके बाद शिशु आंखों की पलक की सर्जरी कर पानी निकालने के लिए नली लगाई गई शिशु पूरी तरह स्वस्थ और परिजन खुश हैं।
पटौदी नागरिक अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर की पोस्ट पर कार्यरत आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा ने बातचीत में बताया प्रति 1000 नवजात बच्चों में एक बच्चा जन्म से ही आंखों का रोगी होता है। वही 13 बच्चे ऐसे होते हैं, जिनको कम दिखाई देता है।
दूसरी और जिस संख्या अथवा अनुपात में दृष्टिहीन है या फिर आंखों की जरूरत है, उसके मुकाबले भारत में प्रति 1000 के मुकाबले केवल मात्र एक ही आंख उपलब्ध होती है। आज जरूर इस बात की है कि अधिक से अधिक लोगों को नेत्रदान करना चाहिए । मानव शरीर के लिए कुछ ऐसे तत्व हैं या अंग है, जिनका उत्पादन संभव नहीं । इसी कड़ी में हम रक्त और आंख को शामिल कर सकते हैं । एक व्यक्ति की आंखें दान करने से दो लोगों की जिंदगी में रोशनी लौट सकती है । केवल मात्र जरूरत नेत्रदान को जन आंदोलन बनाने की है।
मार्च 2020 में आई सर्जन के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद कोरोना महामारी के दौर को निकाल कर डॉक्टर सुशांत शर्मा के द्वारा अभी तक विभिन्न प्रकार के 6.5 हजार से अधिक आंखों के ऑपरेशन किया जा चुके हैं ।।एक ऑपरेशन में सामान्यतः 12 से 15 मिनट का समय लगता है। उनके द्वारा यहां अस्पताल में एक दिन आंखों की जांच और एक दिन आंखों के ऑपरेशन करने का सिलसिला अनवरत चल आ रहा है । जटिल ऑपरेशन के संदर्भ में पूछे जाने या चर्चा के दौरान डॉक्टर सुशांत शर्मा ने बताया 1 दिन के नवजात शिशु की आंखों का ऑपरेशन करना वास्तव में एक नया ही अनुभव रहा है । उन्होंने बताया सामान्यतः लोग या नेत्र रोगी सर्दियों आरंभ होने के मौके पर ही आंखों के ऑपरेशन करवाना पसंद करते हैं । लेकिन यहां नागरिक अस्पताल में रूटीन में आंखों के ऑपरेशन किया जा रहे हैं । मोतियाबिंद, काला मोतिया, पलक बंदी, मधुमेह रोग से आंखों की समस्या, उच्च रक्तचाप से आंखों की समस्या सहित दुर्घटना होने पर या आपात स्थिति में पटौदी नागरिक अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध है ।
आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा ने बताया पटौदी नागरिक अस्पताल में उनके पास उपचार के लिए ऐसे ऐसे नेत्र रोगी भी आए हैं , जिनकी आंखें तो सही थी लेकिन दिखाई नहीं देता था । ऐसे लोगों की पूरी तरह से आंखों के रोग की हिस्ट्री जानने के उपरांत उपचार किया जाने पर पूरी तरह से देखने में सक्षम हो चुके हैं । इनमें मुख्य रूप से 5 वर्ष की बच्ची उमा शामिल है। गांव पहाड़ी की रहने वाली सुमन उर्फ सुमित्रा को भी दिखाई नहीं देता था, लेकिन ऑपरेशन के उपरांत अब वह स्वतंत्र रूप से चलने फिरने में सक्षम है । इसी प्रकार से भिवानी की रहने वाली शीला देवी को रात के समय दिखाई नहीं देता था, उसकी भी आंखों का ऑपरेशन किया गया। यूपी की रहने वाली वैष्णवी को भी गंभीर दृष्टि दोष था, वह यहां पटौदी में रिश्तेदारी में आई थी और जब पता लगा तो पटौदी नागरिक अस्पताल में ऑपरेशन के उपरांत उसका नेत्र दोष समाप्त हो गया। आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा ने कहा विशेष रूप से बुजुर्ग जो की विभिन्न प्रकार के नेत्र रोगों के कारण परेशान रहते हैं और ऑपरेशन के बाद नेत्र दोस्त का निवारण होने पर सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते हैं , तो इससे बड़ा पुरस्कार और मन को खुशी मिलना संभव नहीं है।
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