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144 दिन अनशन किया और 168 दिन की ही आजादी देखी 

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144 दिन अनशन किया और 168 दिन की ही आजादी देखी 

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को और 30 जनवरी 1948 को ली अंतिम सांस 

गांधी के सत्याग्रह और अहिंसा की बदौलत 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी 

महात्मा गांधी के हाथ में लाठी, लेकिन जीवन पर्यंत रहे अहिंसा के पुजारी 

जब प्रत्येक भारतीय आत्मनिर्भर होगा, उसी दिन होगी गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि

79 वर्ष का जीवन, 17 बार में कुल 144 दिन का  अनशन,  13 बार जेल में गए, जीवन में दो बार 21-21 दिन का उपवास रखा और 168 दिन ही आजाद भारत में आजादी की सांस ली। यह सब कुछ पढ़ कर दिमाग और मन में निश्चित ही कई सवाल अपना जवाब तलाश रहे होंगे या मांग रहे होंगे। जो कुछ भी ऊपर बताया गया लिया लिखा गया है, वह अपने आप में एक युग पुरुष का जीवन परिचय ही कहा जा सकता है । आज भी दुनिया के 30 से अधिक देश में इस महान पुरुष की प्रतिमाएं उनके जीवन आदर्श पर अमल करने के लिए प्रेरणा दे रही है। जी हां इस रहस्य से पर्दा उठा ही देते हैं । ऊपर जो भी परिचय दिया गया है, वह सत्याग्रह पर चलने वाले और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का है।

कांग्रेस नेत्री सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट पर्ल चौधरी ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर धीर-  गंभीर चर्चा के दौरान कहा- काश महात्मा गांधी अपने सत्याग्रह और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए स्वतंत्र होने वाले भारतवर्ष में और अधिक लंबे समय तक जीवित रहते तो, आज का भारत आज के मुकाबले काफी हद तक बदला हुआ हो सकता था। महात्मा गांधी ने भारतीयों के साथ मिलकर भारत देश को आजादी दिलवाई । इस बात में लोगों के बीच विरोधाभास होना निश्चित है । लेकिन यह भी सत्य है भारत देश की आजादी में महात्मा गांधी के सत्याग्रह और अहिंसात्मक आंदोलन को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। गंभीरता से चिंतन और मंथन किया जाए तो दुर्भाग्य की बात यही है कि देशवासी पूरी तरह से आजाद नहीं हुए। जबकि देश आजाद हो चुका है। 15 अगस्त 1947 को भारत देश अपनी नीति और नियम निर्धारित करने के लिए आजाद हुआ। लेकिन सभी भारतीय को आजाद नहीं कहा जा सकता है । इसका जीता जागता उदाहरण आजादी के सात दशक बाद भी यह है कि आज भी देश की 80 करोड़ जनता 5 किलो अनाज से अपना पेट भरने के लिए सरकारी सहायता पर निर्भर है। उन्होंने कहा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास, सामाजिक सौहार्द, भाईचारा सहित बेखौफ मतदान किया जाना उपलब्ध नहीं होगा, तब तक देशवासी पूर्णतया आजाद नहीं कहे जा सकते हैं।

कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने कहा 26 जनवरी 1950 को डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में बने संविधान को लागू करवाया गया। प्रत्येक नागरिक के अधिकार और कानून के पालन से लेकर सभी प्रकार के नीति और नियम इस संविधान में समाहित है। यदि ईमानदारी से भारतीय संविधान का पालन किया जाएगा, तो देश के अधिकांश लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा । तमाम प्रकार की सुविधा मिलेगी। इस संविधान में कहा गया है बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक नागरिक को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं । इसके बाद ही प्रत्येक भारतीय आत्मनिर्भर और आजाद कहा जा सकेगा। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ और 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या कर दी गई । वही 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ। इस प्रकार से आजाद भारत में भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी के द्वारा लगभग 168 दिन ही आजादी की सांस ली गई।

पर्ल चौधरी ने कहा एक समय में अंग्रेजी हुकूमत का दुनिया के अधिकांश हिस्से में राज था अथवा हुकूमत थी। जापान से लेकर दक्षिणी अफ्रीका तक अंग्रेजों का ही हुकुम चलता था । आज जब हम महात्मा गांधी और उनके विचारों की बात करते हैं तो इस बात को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं कर सकते, दुनिया के 30 देश में महात्मा गांधी की प्रतिमाएं लगी हुई है । ऐसा मान सम्मान शायद किसी और व्यक्ति या फिर व्यक्तित्व को उपलब्ध हो । मारटर लूथर किंग भी महात्मा गांधी के विचारों से या फिर जीसस क्राइस्ट के विचारों से ही अपने जीवन में प्रभावित रहे।  यह बात उनके द्वारा महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे लिखी गई है । आज विचारणीय प्रसंग यह है कि अमेरिका जैसे विकसित देश में भी गांधी के विचारों को जीवित रखा जा रहा है । जिससे कि आने वाली युवा पीढ़ी महात्मा गांधी को जान सके उनके जीवन आदर्शो को ग्रहण कर आत्मसात करें। इतना ही नहीं ब्रिटेन में आज भारतीय मूल के ही व्यक्ति पीएम भी हैं।

कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने कहा महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब देश का प्रत्येक व्यक्ति अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम होगा । देश का शिक्षित बेरोजगार युवा अपने और अपने अभिभावकों के सपनों को पूरा करने में सक्षम होगा, तब ही देश आत्मनिर्भर कहलाएगा। डॉ भीमराव अंबेडकर के मार्गदर्शन और नेतृत्व में लिखे गए संविधान के मुताबिक प्रत्येक भारतीय मान सम्मान के साथ जीवन यापन करने में सक्षम होगा, लोकतांत्रिक देश में जनता की भावना का मान सम्मान होगा, लोगों को जीवन की मूलभूत जरूरत रोटी, कपड़ा, मकान, रोजगार जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो जाएगी । वही दिन सही मायने में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने वाला दिन भी होगा।

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