Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

भूत-प्रेत का अस्तित्व एवं सत्यता

34

भूत-प्रेत का अस्तित्व एवं सत्यता

संसार में बहुत सी संस्कृतियों के लोग भूत-प्रेत में विश्वास रखते हैं। कुछ लोग भूत-प्रेत के नाम पर मानसिक रोग से पीड़ित मनुष्यों का आर्थिक शोषण भी करते हैं। लेकिन क्या भूत-प्रेत सच में होते हैं? आइये! चिन्तन करते हैं।

समाज में एक गलत मान्यता है कि जिन मनुष्यों की अकाल मृत्यु हो जाती है, वे लोग शेष जीवन में भूत-प्रेत की योनि में चले जाते हैं, भूत-प्रेत की योनि में इधर-उधर भटकते रहते हैं, परिचितों और रिश्तेदारों के शरीर में प्रवेश करके उनको परेशान करते हैं। यदि यह सत्य है तो यह सिद्धान्त कीट-पतंग, पशु-पक्षी आदि सभी जीवों पर लागू होना चाहिए जो प्राकृतिक आपदाओं-तूफान, भूकम्प, बाढ़ आदि में मर जाते हैं अथवा मनुष्य द्वारा मारे जाते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार, इनको भी भूत प्रेत की योनि में जाना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो संसार में भूतों की संख्या मनुष्यों से अधिक हो जायेगी लेकिन ऐसा नहीं है। अतः अकाल मृत्यु प्राप्त जीव प्रेत योनि में जाता है तर्क सम्मत नहीं है, विज्ञान सम्मत नहीं है।

भूत-प्रेत की कोई योनि नहीं है। ईश्वर ने ऐसी कोई योनि नहीं बनाई है। वेद, शास्त्र, रामायण, गीता आदि ग्रन्थों में भी भूत-प्रेत योनि का विधान नहीं है, वर्णन नहीं है।

दिवंगत आत्मा का इधर-उधर भटकना या दूसरे शरीर में प्रवेश करना आदि बातें काल्पनिक है। ईश्वरीय नियम के विरुद्ध है। मृत्यु के बाद जीव तुरन्त ही या तो दूसरे शरीर को धारण कर लेता है अथवा मोक्ष अवस्था या प्रलय अवस्था में अदृश्य रहता है।

भूत-प्रेत का भय एक प्रकार का वहम है भूतों की ना कोई सत्ता है और ना हो कोई योनि विज्ञान भी इसको नहीं मानता है। अतः निर्भीक बनिये और अपने बच्चों को भी निर्भीक बनाइये।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading