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Rajni

नूरगढ़ आश्रम में आज भी बरसता है ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव का नूर

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नूरगढ़ आश्रम में आज भी बरसता है ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव का नूर

ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव की 19वीं पुण्यतिथि पर किया हवन-यज्ञ

ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव के निजी कक्ष में श्रद्धा से किया नमन

सोमवार को नूरगढ़ आश्रम परिसर बन गया मिनी भारत देश

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
समाज में, राज्य में, देश में और ब्रह्मांड में समय-समय पर ऐसे साधु-संत, तपस्वी अवतरित होते रहे हैं जिनके देवलोक गमन के बाद बनी कमी को पूरा नहीं किया जा सकता है । इसका एक ही कारण है , ऐसी पवित्र आत्मा और हुतात्मा के द्वारा समाज, प्रकृति और जीव कल्याण के हितार्थ किए गए कार्य । जोकि ऐसी प्रेरणा प्रदान कर जाते हैं जिन्हें समाज चाह कर भी नहीं रोक पाता और वह कार्य निरंतर पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं।

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कुछ ऐसा ही कार्य पटौदी विधानसभा क्षेत्र के गांव नूरगढ़ में स्थित नूरगढ़ आश्रम के अधिष्ठाता ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज के द्वारा अपने अंतिम सांस तक किया गया। सोमवार को शिक्षाविद और सन्यासी जीव कल्याण और प्रकृति के लिए पूरी तरह समर्पित स्वामी सोमदेव महाराज की 19वीं पुण्यतिथि के मौके पर नूरगढ़ आश्रम में विभिन्न राज्यों से हजारों की संख्या में अनुयाई अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शक स्वामी ब्रह्मलीन सोमदेव महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए पहुंचे। इनमें मुख्य रूप से पटौदी की पूर्व एमएलए विमला चौधरी, रेवाड़ी के पूर्व एमएलए रणधीर सिंह कापड़ीवास, रेवाड़ी के पूर्व जिला प्रमुख सुरेश देवी, महाराज अभय देव जी, महाराज जीवानंद जी, एफएस सैनी, सुमित कुमार सहित हजारों की संख्या में महिलाएं, बच्चे, पुरुष, वृद्ध, यहां तक की दिव्यांगजन भी पहुंचे ।

सोमवार प्रातः के समय नूरगढ़ आश्रम परिसर में ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज की याद में हवन यज्ञ का आयोजन किया गया । इस मौके पर नूरगढ़ आश्रम की संचालक और यहां मौजूद औषधालय की प्रमुख साध्वी शारदा देवी , मास्टर जय नारायण, रामकिशन, रवि आर्य सहित अनेक गणमान्य ग्रामीण मौजूद रहे । ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज के द्वारा आरंभ किए गए लोक कल्याण के कार्यों को जारी रखने का संकल्प लिए जसात कन्या गुरुकुल की वेदाचार्य छात्राओं के द्वारा विधि विधान और मंत्रोच्चारण के बीच हवन यज्ञ में श्रद्धा पूर्वक आहुतियां अर्पित करवाई गई । इस मौके पर हवन कुंड में अर्पित की गई औषधीय और पवित्र जड़ी बूटियों की सामग्री की उठने वाली महक दूर-दूर तक इस बात का एहसास करवा रही थी कि नूरगढ़ आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज स्वयं ही अपना नूर वातावरण में प्रत्येक श्रद्धालुओं तक पहुंचा रहे हैं ।

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निजी कक्ष में अर्पित की पुष्पांजलि
नूरगढ़ आश्रम ग्रामीण अंचल में पूरी तरह देश के किसी भी तीर्थ स्थल के मुकाबले कम नहीं है । यहां प्रत्येक पत्थर पर अध्यात्म संबंधित ज्ञान की बातें, गीता के उपदेश, श्रीमद् भागवत कथा के श्लोक, जीवो के प्रति करुणा भाव रखन,े प्रकृति के संरक्षण, बालिका सरंक्षण-शिक्षा सहित तमाम शिक्षाप्रद ऐसी बातें लिखी हुई हैं। जिनका सरोकार केवल मात्र मानव चरित्र निर्माण, धर्म-कर्म के प्रति आस्थावान, जीव कल्याण की ही प्रेरणा प्रदान करता है। सोमवार को ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज के निजी कक्ष में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपने जीवन को धन्य मानने वाले श्रद्धालुओं में महिलाओं और पुरुषों की पंक्तियों में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शांत चित अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे। सोमवार को देर सायं तक यहां नूरगढ़ आश्रम में पवित्र आत्मा ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए उनके भक्तो, अनुयायियों सहित श्रद्धालूओ के आने का सिलसिला बना रहा।

आंसुओं को चाह कर भी नहीं रोक सके 
नूरगढ़ आश्रम परिसर में ही ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज जोकि जीवन पर्यंत मानव और प्रत्येक जीव सहित पक्षियों के लिए समर्पित रहे, उनके निजी कक्ष के साथ ही उनका अंतिम आश्रय स्थल भी फूलों से सजाया गया । यहां आश्रम परिसर में इस प्रकार की व्यवस्था की गई कि जो भी कोई श्रद्धालु पहुंचे , बिना किसी रूकावट परेशानी और बाधा के जिस भी स्थान पर पहुंचना चाहता है अपने आप ही वहां तक पहुंचता रहे। गोद में नन्ही बच्ची लिए एक परिवार की महिला और युवती जब स्वामी सोमदेव महाराज के अंतिम आश्रय स्थल पर पुष्प अर्पित करने के लिए पहुंचे तो नमन करते हुए आंखों में निकल आए आंसुओं को चाह कर भी नहीं रोक सके । इसी बात से साबित होता है कि ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज का आम लोगों के जीवन और मानस पटल पर उनके द्वारा बताए गए मार्ग दर्शन सहित दी गई शिक्षाओं का आज के परिवेश में भी कितना अधिक गहरा असर बना हुआ है। इसी मौके पर आश्रम परिसर में आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को भंडारा का प्रसाद ग्रहण करवाते हुए घर लौटते समय विशेष रुप से पुण्य आत्मा ब्रह्मलीन स्वामी सोमदव महाराज के आशीर्वाद स्वरुप प्रसाद देकर विदा किया गया।

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