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विषमता में समता मात्र शिव परिवार में ही दृष्टिगोचर: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

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विषमता में समता मात्र शिव परिवार में ही दृष्टिगोचर: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

प्रतिमा जितनी छोटी होगी, गृहस्थ को पूजा की तुरन्त सिद्धि प्राप्त होगी

नित्य पूजा अर्चना करने पर व्यक्ति अनन्त पुण्य का भागी हो जाता

जो इस जगत में सभी का कल्याण करते हैं, वही भगवान शिव हैं

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम।
 जो जगत में सबका कल्याण करते हैं, वह भगवान शिव हैं । विषमता में समता मात्र शिव परिवार में ही दृष्टिगोचर होती है । शिव की ही अनुकपा से भगवान शिव परिवार की स्थापना सम्पन्न हुई है । शिवलिंग या किसी भी देवी-देवता की प्रतिमा घर में स्थापित करने से पहले ये हमेशा याद रखें कि प्र्रतिमा या शिवलिंग का माप ( अंगुष्ठ प्रमाण ) यानी अपने अंगूठे से ज्यादा बड़ा का नही होना चाहिए। प्रतिमा जितनी छोटी होगी, गृहस्थ को पूजा की तुरन्त सिद्धि की प्राप्ति होती है। शिव लिंग को घर में नही रखना चाहिए, अपितु घर से पृथक ईशान कोण में अलग से एक छोटा सा शिवालय बनाकर उसमें प्रतिष्ठित कर नित्य पूजा अर्चना करने पर व्यक्ति अनन्त पुण्य का भागी हो जाता है। मीना बाग, डुँगरी, में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह एवम् शिव परिवार स्थापना के कार्यक्रम में पधारे सनातन धर्म के सर्वाेच्च धर्मगुरु श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर यति सम्राट् अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने उपस्थित सनातन धर्मावलम्बियों को अपना आशिर्वाद एवम् मार्गदर्शन प्रदान करते हुए देव प्रतिमा स्थाना और प्राण प्रतिष्ठा के गूढ़ रहस्य की जानकारी देते हुए कही। यह जानकारी शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द के निजी सचिव स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती जी महाराज के द्वारा मीडिया के साथ जनकल्याण के हितार्थ सांझा की।

शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द ने बताया कि शिवलिंग को ईशान में स्थापित तो करें, परन्तु प्राण-प्रतिष्ठा और चक्षु दान आदि कभी नही करना चाहिए। शिवलिंग पर प्राण-प्रतिष्ठा करना हमेशा से ही वर्जित माना गया है। शिव स्थापना में नंदी जी की प्रतिमा शिव की और मुख किये हुए स्थापित करना अत्यावश्यक होता है तथा शिव के दाहिनी ओर त्रिशूल स्थापित करना चाहिए । उसके साथ-साथ अन्य शिवप्रिय वस्तुओं का समावेश अवश्य करना चाहिए। पूज्य शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज ने कहा कि वैशाख, ज्येष्ठ तथा आषाढ़, श्रावण, माघ, फाल्गुन महीनों में महादेव जी की प्रतिष्ठा हर प्रकार से सिद्धि देने वाला माना जाता है। ऋतुओं की दृष्टि से हेमंत ऋतु में महादेव यानी शिव लिंग की प्रतिष्ठा से यजमान और भक्तों को विशेष ज्ञान की प्राप्ति होती है। शिशिर में शुभ, किन्तु बसंत ऋतु में शिव मंदिर की प्रतिष्ठा विशेष धनदायक साबित होती है। जबकि ग्रीष्म ऋतु में यह प्रतिष्ठा शांति, शीतलता और विजय प्रदाता होती है।

उन्होंनेकहा कि भगवान शिव के परिवार की प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई है, यहाँ आने वाले भक्तों की हर मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होगी । क्योंकि भगवान शिव “आशुतोष अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं । इस अवसर पर भारी संख्या में सनातन धर्मावलम्बियों के साथ नैमिषारण्य से पधारे प्रख्यात श्रीमद्भागवत कथावाचक श्री कमलेश  महाराज, अनिल कुमार गुप्ता, मीना गुप्ता, दीपू तिवारी, रमाशंकर, दिलीप चौधरी अतुल , प्रभाकर तिवारी सहित अनेक प्रमुख लोगएवं श्रद्धालू मौजूद रहे।

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