बिजली निगम ने 18 सब डिवीजन को निजी हाथों में सौंपने का किया फैसला
बिजली निगम ने 18 सब डिवीजन को निजी हाथों में सौंपने का किया फैसला
बिजली कर्मियों ने किया आंदोलन का ऐलान
खाली पदों को भरने का विकल्प निजीकरण नही : लांबा
प्रधान संपादक योगेश
गुरुग्राम ! दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम ने 18 सब डिवीजन को निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया है। जिसमें फरीदाबाद सर्कल की 5, गुरुग्राम की 12 व रेवाड़ी की एक सब डिवीजन शामिल हैं। इनमें से कई सबडिवीजन नई बनी है। निगम मेनेजमेंट के इस एकतरफा एवं गुपचुप तरीके से लिए जा रहे फैसले को लेकर शनिवार को महरौली रोड़ स्थित सबोर्डिनेट रेस्ट हाउस में ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन की जौन स्तरीय बैठक का आयोजन किया। जिसमें इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया एवं एएचपीसी वर्कर यूनियन के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शब्बीर अहमद गनी, डिप्टी जरनल सेकेट्री जितेन्द्र तेवतिया व सुदाम पाल, सीसी सदस्य संजय सैनी, फरीदाबाद के सर्कल सचिव कृष्ण कुमार, पलवल के राजेश शर्मा व गुरुग्राम के सर्कल सचिव सुशील शर्मा व नरेंद्र पवार एवं यूनिट प्रधान अमरजीत जाखड़, सतेंद्र यादव, जितेंद्र दीक्षित मौजूद थे। बैठक में निगम मेनेजमेंट के इस फैसले को कर्मचारी, उपभोक्ता व निगम विरोधी करार देते हुए फैसले के खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया है। बैठक में लिए गए निर्णयानुसार 27 जून को कर्मचारी काले बिल्ले लगाकर सब डिवीजन स्तर पर विरोध गेट मीटिंग करेंगे। आंदोलन के अगले चरण में 4 जुलाई को डिवीजन स्तर पर विरोध प्रदर्शन किये जाएंगे और 20 जुलाई को दिल्ली जोन के सभी सर्कलों में विरोध प्रदर्शन किये जाएंगे। इसके बाद भी खाली पड़े पदों को भरने और 18 सब डिवीजन के आपरेशन एंड मेंटीनेंस के काम को निजी हाथों में सौंपने के फैसले पर रोक लगाने बाबत ठोस कार्रवाई नहीं की तो 3 अगस्त को चीफ इंजीनियर दिल्ली जोन के गुरुग्राम स्थित कार्यलय पर आक्रोश प्रदर्शन किया जाएगा। जिसमें फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम 1 व 2 , रेवाड़ी व नारनौल सर्कल के कर्मचारी शामिल होंगे।
मीटिंग को संबोधित करते हुए इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया एवं ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि निगम मेनेजमेंट रिक्त पड़े पदों को पक्की भर्ती से भरने की बजाय दिल्ली जोन की 18 सब डिवीजन के आपरेशन एंड मेंटीनेंस के काम को निजी हाथों में सौंपने जा रही है। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और मेमोरंडम चीफ आफिस से हैड आफिस हिसार भेजा जा चुका है। शीध्र ही स्वीकृति मिलने के बाद 18 सब डिवीजन को निजी हाथों में सौंपने के टेंडर जारी हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि आपरेशन एंड मेंटीनेंस का काम निजी हाथों में सौंपने के बाद उन सब डिवीजन में पहले से तैनात ठेका हजारों कर्मियों की छंटनी होगी। क्योंकि निगम ठेका लेने वाली कंपनी व वर्तमान में कार्यरत ठेका कर्मियों (दोनों को) वेतन का भुगतान नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अनट्रेंड कर्मचारी सिस्टम को संभाल नहीं पाएंगे। जिससे उपभोक्ताओं को भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मेनेजमेंट ने बढ़े हुए वर्कलोड अनुसार जोन में दर्जनों नयी सब डिवीजन बनाई है। लेकिन वहां एसडीओ तो पोस्ट कर दिए लेकिन बाकी स्टाफ पोस्ट नहीं किया गया। उन्होंने सवाल किया कि स्टाफ की पोस्टिंग किए बिना नई सब डिवीजन बनाने का क्या फायदा है ? उन्होंने कहा कि सन् 2016 में भी निगम मेनेजमेंट ने 23 सब डिवीजन को निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया गया था। बिजली कर्मचारियों ने एकताबद्ध होकर तीन दिन की ऐतिहासिक हड़ताल करने पर मजबूर होना पड़ा था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिना हितधारकों ( कर्मचारियों व उपभोक्ताओं) से बातचीत किए बिना बिजली संशोधन बिल 2022 को आगामी मानसून सत्र में पारित करने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि बिल पास होने पर बिजली वितरण के निजी कंपनियों को लाइसेंस दिये जाएंगे। क्रास सब्सिडी होने पर बिजली की दरों में बढ़ोतरी होगी और बिजली किसान व गरीब की की पहुंच से बाहर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले पुराने ठीक ठाक मीटर को बदलकर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं और उसके बाद मोबाइल की तरह प्रीपेड किए जा रहे हैं। इससे किसान व गरीब कंज्यूमर के सामने कठिनाई पैदा होगी। यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शब्बीर अहमद गनी, डिप्टी जरनल सेकेट्री जितेन्द्र तेवतिया व उप प्रधान सुदाम पाल ने कहा कि यूनियन पुरानी पेंशन बहाली, कौशल रोजगार निगम को भंग कर ठेका कर्मियों को नियमित करने, नियमित होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने, एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाने, पांच हजार रुपए रिस्क अलाउंस देने, निजीकरण की मुहिम पर रोक लगाने आदि मांगों को लेकर सब डिवीजन से लेकर बिजली मंत्री के सिरसा कैंप कार्यालय तक प्रदर्शन कर चुकी हैं। लेकिन सत्ता के नशे में चूर मंत्री ने ने बातचीत तक करना आवश्यक नहीं समझा। इसके विपरित 18 सब डिवीजन को निजी हाथों में सौंपने का फैसला लेकर कर्मचारियों को आंदोलन तेज करने पर मजबूर किया है।
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