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पटौदी में ईद उल अजहा की नमाज अता की गई

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पटौदी में ईद उल अजहा की नमाज अता की गई

देश में एकता, अखंडता व अमन चैन का दिया गया संदेश

परंपरा के मुताबिक कुर्बानी भी अल्लाह के नाम दी गई

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 सडेे को मुस्लिम समुदाय का ईद उल अजहा बकरीद अथवा कुर्बानी का त्यौहार था । मुस्लिम समुदाय के द्वारा ईद उल फितर या फिर ईद उल अजहा जैसे मुस्लिम पर्व के मौके पर नमाज ईदगाह के अलावा विभिन्न मस्जिदों में अतता की गई। ईदगाह में सामूहिक रूप में नमाज अदा करने के लिए बडी सख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग पहुचे । पटौदी और हेली मंडी दोनों इलाकों को मिलाकर ईदगाह सहित करीब एक दर्जन मस्जिद मौजूद हैं । हाल ही विभिन्न राज्यो में हुई  हिसंक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए नमाज अता किया जाने वाली मुख्य ईदगाह के अलावा  अन्य मस्जिदों के आसपास पुलिस बल व अधिकारी मौैजद रह कर नजर रखे हुए थे। हिंदू समाज के प्रतिष्ठित लोेगों के द्वारा अपने मुस्लिम मित्रों को मुस्लिम पर्व ईद उल अजहा की व्यक्तिगत तौैर से भी बधाई दी गई।

अपने अपने परिचितों और सभी विभिन्न समुदाय के जानकारों के हित को भी प्राथमिकता देते हुए नमाज अदा की गई । पटौदी शहर का हिंदू मुस्लिम एकता और भाईचारे के लिए एक अलग ही इतिहास सहित पहचान भी रही है । यहां पर हिंदू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल ऐसी बनी हुई है जिसका उदाहरण दूरदराज के इलाकों तक की दिया जाता है । नमाज अदा किया जाने के बाद अनेक नमाजियों के द्वारा विभिन्न कब्रिस्तान में पहुंचकर अपने पूर्वजों को याद किया गया और इसके उपरांत ईद उल अजहा अथवा बकरीद के मौके पर अपनी धार्मिक मान्यता के मुताबिक कुर्बानी भी दी गई ।

हालांकि ईद उल अजहा या फिर बकरीद के मौके पर पहले की अपेक्षा बहुत कम संख्या में परंपरा के मुताबिक कुर्बानी दी गई । पंडित कैलाश चंद्र वाली पालम वाले के शिष्य हजरत बाबा सैयद नूरउद्दीन धर्मार्थ ट्रस्ट के चेयरमैन सैयद एजाज हुसैन जैदी जज्जू बाबा के मुताबिक बदलते समय के अनुसार त्योहार मनाने के तौर तरीकों में भी तेजी से बदलाव महसूस किया जा रहा है । वास्तव में कुर्बानी का मकसद ही यही है की इंसान अपनी और अपने अंदर की बुराइयों की कुर्बानी दे । वही पूर्व पार्षद अब्दुल जलील नंबरदार के मुताबिक इस बात में कोई शक नहीं है कि जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार प्रचार हो रहा है , शुद्ध वातावरण और पर्यावरण को प्राथमिकता प्रदान की जा रही है । मानव जीवन के अनुकूल प्रकृति को बनाए रखने के लिए अब प्रतीकात्मक रूप से भी कुर्बानी की  रस्म आता की जाने लगी है। इस मौके पर मुस्लिम और हिंदू परिचितों मित्रों और वर्षों से एक दूसरे के सुख दुख के भागीदार लोगों के द्वारा मुस्लिम समुदाय के अपने मित्रों को ईद उल अजहा पर्व की बधाई भी दी गई।  विभिन्न मुस्लिम मित्रों और परिचितों के द्वारा अपने यहां परिचित मित्रों को आमंत्रित कर मीठी सिमैयां खिलाकर मुंह मीठा करवाया गया। 

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