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गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने का सबसे बड़ा माध्यम है शिक्षा: दत्तात्रेय

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गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने का सबसे बड़ा माध्यम है शिक्षा: दत्तात्रेय
 
गुरूग्राम विश्वविद्यालय का पहले दीक्षांत समारोह में 270 को दी गई डिग्रियां

राज्यपाल  बोले शिक्षा में दो तिहाई प्रैक्टिकल तथा एक तिहाई थ्योरी हो

दीक्षांत समारोह में 17 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम । 
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि आज के बदलते परिवेश में शिक्षाविद् विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दें जिसमें दो तिहाई हिस्सा प्रैक्टिकल तथा एक तिहाई भाग थ्योरी का हो । ताकि छात्र अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद नौकरी मांगने वालों की बजाय नौकरी देने वाले बन सकें। नई शिक्षा नीति में इसी विषय पर जोर दिया गया है। राज्यपाल दत्तात्रेय गुरूवार को गुरूग्राम के सैक्टर-51 स्थित गुरूग्राम विश्वविद्यालय में आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के 270 छात्र-छात्राओं को राज्यपाल द्वारा उपाधियां प्रदान की गई। इसमें 16 विभागों के 2018 तथा 2019 बैच के विद्यार्थी शामिल थे। इसके साथ ही समारोह में 17 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए। इस दौरान उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आनंद मोहन शरण बतौर विशिष्ट अतिथि के तौर पर राज्यपाल के साथ उपस्थित रहे। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कलेण्डर और स्मारिका का भी विमोचन किया। उन्होंने नव स्नातकों को शपथ भी दिलाई।

नए इनोवेटिव आइडियाज के साथ काम करें
राज्यपाल ने कहा कि देश में गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने का सबसे बड़ा माध्यम शिक्षा है। इसमें युवाओं को ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जो उन्हें अपना व्यवसाय या रोजगार शुरू करने में सहायक हो। उन्होंने कहा कि आज की परिस्थिति को देखते हुए युवाओं का कौशल विकास करना महत्वपूर्ण है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया‘ व ‘स्किल इंडिया‘ नामक कार्यक्रम शुरू किए। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे ‘स्किल इंडिया‘ के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया ‘ को अपनाएं और एंटरप्रेन्योर बनें। उन्होंने युवाओं से सीधा संवाद स्थापित करते हुए कहा कि आप अपने नए इनोवेटिव आइडियाज के साथ काम करें तभी भारत उन्नति के रास्ते पर आगे बढे़गा। अगर विश्व में दूसरे देशों के साथ भारत को प्रतिस्पर्धा करनी है तो वोकेशनल एजुकेशन और स्किल को बढ़ाने पर बल देना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा में देश की पहली स्किल युनिवर्सिटी स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि पहली बार नई शिक्षा नीति में भारत सरकार ने दूसरे देशों के समान युवाओं को 7 व 8 ग्रेड की शिक्षा प्रदान करने की सोची है। इतने ग्रेड के साथ पास होने वाले विद्यार्थी विदेशों में सीधे नौकरी पा सकेंगे, अन्यथा पहले हमारे युवाओं को वहां नौकरी प्राप्त करने के लिए टैस्ट पास करना होता था। उन्होंने यह भी कहा कि हर विश्वविद्यालय में एक इन्क्यूबेशन सैंटर होना चाहिए, जो युवाओं के उद्यमशीलता के विचारों को मूर्त रूप देने में उनकी मदद करे।

स्थानीय जरूरतों पर डिप्लोमा कोर्स प्रारंभ करे
राज्यपाल ने यह भी कहा कि हर विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र की ‘लोकल नीड्स‘ अर्थात् स्थानीय जरूरतों के आधार पर नए-नए डिप्लोमा कोर्स प्रारंभ करे। इन कोर्सों में स्थानीय युवा दाखिला लेकर अपने हुनर को निखारते हुए काम शुरू कर पाएंगे जिससे वे अपने रोजगार के साधन जुटा सकते हैं। उदाहरण देते हुए राज्यपाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करने की काफी संभावनाएं हैं। इसी प्रकार, हैल्थ सेक्टर में रोजगार के अवसरों का स्कोप है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान हमने देखा कि अस्पतालों में वेंटिलेटर तो थे परंतु उनको चलाने वाले नही थे। युवाओं को इसका प्रशिक्षण दिया जाए तो वह उनके लिए उपयोगी होगा। इसके साथ राज्यपाल ने संस्कारयुक्त नैतिक शिक्षा प्रदान करने पर बल देते हुए कहा कि युवाओं को जीवन में खुद पर विश्वास होना चाहिए। उन्होंने अंग्रेजी कहावत का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर धन की हानि होती है तो समझें कि कुछ नही खोया , स्वास्थ्य का नुकसान होने पर कुछ हानि हुई लेकिन अगर आप चरित्र खो देते हैं तो सबकुछ खो देते हैं, इसलिए शिक्षण संस्थान चरित्र निर्माण पर बल दें।  कोविड महामारी काल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान भी शिक्षा रूकी नही और तकनीक के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा की नई प्रथा शुरू हुई। राज्यपाल ने सभी प्रदेशवासियों से अपील की कि वे कोरोना से बचाव के लिए टीके अवश्य लगवाएं और कोविड पर विजय प्राप्त करें।

8 कोर्सों की कक्षाएं शुरू करने की योजना
इससे पहले राज्यपाल का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मार्कंडेय आहुजा ने कहा कि गुरूग्राम विश्वविद्यालय की स्थापना हुए 3 वर्ष का समय हुआ है और इस थोड़े से अंतराल में यहां पर विभिन्न प्रकार के 28 कोर्स शुरू किए गए हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह विश्वविद्यालय सेक्टर-51 में अस्थाई तौर पर चलाया जा रहा है और विश्वविद्यालय का अपना भवन सैक्टर -85 में बन रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि अगले कुछ समय में 8 कोर्सों की कक्षाएं उस नए कैंपस में शुरू करने की योजना है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के निर्माणाधीन भवन की सैटेलाइट से फोटो लेंगे तो वह भगवान गणेश के आकार का दिखाई देगा। उन्होंने विश्वविद्यालय के चिन्ह में लिखे गए सिद्धांत ‘ विद्या जीवनाय, न तु जीविकाय‘ का उल्लेख करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य यही है कि विद्यार्थी यह सीख लें कि विद्या जीवन के लिए है, ना कि जीविका के लिए।  इस अवसर पर राज्यपाल के आईटी एडवाइजर  भानु शंकर, गुरूग्राम के विधायक सुधीर सिंगला, पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता, हरेरा गुरूग्राम के चेयरमैन डा. के के खंडेलवाल, जे सी बोस विश्वविद्यालय फरीदाबाद के कुलपति डा. दिनेश अग्रवाल, श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू, आईआईएलएम यूनिवर्सिटी की कुलपति सुजाता साही, केन्द्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ के पूर्व कुलपति डा. आर सी कुहाड़ , डा. अंजु , विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल तथा अकेडमिक काउंसिल के सदस्यगण भी उपस्थित थे।

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